विविधा कठोर निर्णायक संकल्पों की प्रतीक्षा में है देश April 26, 2017 by डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र | Leave a Comment चिन्ता का विषय है कि अलगाववादियों-नक्सलवादियों के विरूद्ध की जा रही सैन्य कार्यवाहियों पर उँगली उठाने वाले तथाकथित सामाजिक कार्यकत्र्ता मानवाधिकारों की दुहाई देकर अपराधियों का संरक्षण कर रहे हैं। अपनी राजनीतिक महत्वाकाक्षाओं की पूर्ति के लिए वामपंथी दलों के नेता इन राष्ट्र विरोधी शक्तियों का खुला समर्थन करके इनका हौसला बढ़ा रहे हैं। नित नई दुर्घटनायें घट रही हैं। शासन-प्रशासन पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं, किन्तु इन दुर्दान्त हिंसक-शक्तियों के विरूद्ध प्रभावी कदम उठाने में समर्थ व्यवस्था में बैठे लोग सैनिकों के बलिदानों पर आँसू बहाकर, मुआबजा बाँटकर, ‘शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा’ जैसे जुमले उछालकर अपने दायित्व की पूर्ति मान लेते हैं। टी.वी. चैनलों पर उत्तेजक बहसें आयोजित हो जाती हैं और फिर नई दुर्घटना घट जाती है। सारा घटनाचक्र एक निश्चित रस्मअदायगी सा घटित होता है। प्रश्न यह है कि ऐसी बिडम्बनापूर्ण दुखद स्थितियों के विषदंश देश को कब तक झेलने होंगे ? आखिर कब तक हमारे देश में राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ यूँ ही हिंसा का तांडव करती रहेंगी ? इन ज्वलन्त समस्याओं का समाधान क्या है और इन्हें सुलझाने की जबावदारी किनकी है? Read more » Featured naxal attack on crpf jawans sukma attack