व्यंग्य वे शहर के कन्धों पर खडे है March 20, 2023 / March 20, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment सदियों पहले मैं एक कस्वानुमा गॉव था, अब विकसित शहर में अग्रणी हॅू। एक बौना सा गॉव जिसके उत्तर में कल-कल बहती नर्मदा बहती है, आज भी बहती है। फर्क इतना है कि अब मैं तहसील से जिला, जिला से संभाग हो गया हॅू। तब से अब तक सुबह और सॉझ, अजान, गुरूवाणी, शंख ध्वनियॉ-घन्टियों का […] Read more » they stand on the shoulders of the city