कविता
ये तिरंगा परचम लहरानेवाला भारत की महान संस्कृति का
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकअब तो सन दो हजार बाईस ईस्वी में मनाना है,अब तो आजादी का पचहत्तरवां दिवस को आना है,हां! पंद्रह अगस्त को घर-घर में तिरंगा फहराना है,आजादी का अमृत महोत्सव हम सबको मनाना है! हर घर में तिरंगा हो,जय हो,हर हाथ में तिरंगा हो,ना देश में दंगा हो, नहीं कोई भूखा प्यासा नंगा हो,ईमान […]
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