कविता
बोली व गोली एक जाति की होती
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकबोली व गोली एक जाति की होती,बोली गोली से अधिक प्रभावी होती!गोली एकबार प्रहार कर मिट जाती,बोली की चोट आजीवन तक रहती! मधुर बोली मुहावरे जैसी प्रिय होती,मुंह वरे जिसे वह मुहावरे की बोली!बोली घायल करती, मरहम लगाती,बोली हमेशा गोली से, घातक होती! बोली से किसी को घात नहीं पहुंचे,बोली का दुःख, वाचिक […]
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