दोहे अब मैं आता हूँ मात्र! October 12, 2020 / October 12, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment अब मैं आता हूँ मात्र अपनी, विश्व वाटिका को झाँकने; अतीत में आयोजित रोपित कल्पित, भाव की डालियों की भंगिमा देखने! उनके स्वरूपों की छटा निहारने, कलियों के आत्मीय अट्टहास की झलक पने; प्राप्ति के आयामों से परे तरने, स्वप्निल वादियों की वहारों में विहरने! अपना कोई उद्देश्य ध्येय अब कहाँ बचा, आत्म संतति की […] Read more » अब मैं आता हूँ मात्र!