समाज
सुधार अंदर से ही होता है
by विजय कुमार
दुनिया का कोई भी धर्म, मत, पंथ, सम्प्रदाय, मजहब, समाज, संस्था या संगठन ऐसा नहीं है, जिसमें समय के अनुसार कुछ सुधार या परिवर्तन न हुआ हो। कुछ में यह स्वाभाविक रूप से हुआ, तो कुछ में भारी खून खराबे के बाद। स्थिरता और जड़ता मृत्यु के प्रतीक हैं, तो परिवर्तन जीवन का। इसीलिए परिवर्तन […]
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