कविता आदमी की कोई हद न रही February 20, 2020 / February 25, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment जाने ये क्या हद हो गयी ? कि आदमी की हद सरहदों में खो गयी सरहद बना ये आदमी,आदमी है कहाँ खोखला उसका वजूद और झूठा उसका जहाँ, सगे भाईयों के बीच,आपस में ठनी हो गयी, आंगन में लगी बाँगड़., और घनी हो गयी ? जाने ये क्या हद हो गयी कि आदमी मुस्कान गमों […] Read more » आदमी की कोई हद न रही