गजल इंतज़ार September 26, 2014 by अश्वनी कुमार | Leave a Comment इंतज़ार… इंतज़ार इंतज़ार बाक़ी है. तुझे मिलने की ललक और खुमार बाक़ी है. यूँ तो बीती हैं सदियाँ तेरी झलक पाए हुए. जो होने को था वो ही करार बाक़ी है. खाने को दौड़ रहा है जमाना आज हमें. *1यहाँ पे एक नहीं कितने ही जबार बाक़ी है. वोही दुश्मन है, […] Read more » इंतज़ार