कविता साहित्य
एक क़दम तुम बढ़ाओ……
by बीनू भटनागर
एक क़दम तुम बढ़ाओ, दो हम बढ़ायेंगे। फ़ासले जो दरमियां हैं, दूर होते जायेंगे। दूरियाँ मन की नहीं थीं, विचारों के द्वन्द थे, आओ बैठो, बातें करो,मसले सब सुलझ जायेंगे। वक़्त मिलता ही नहीं…,…… कहने से उलझने बढ़ जायेंगी। वक़्त को वक़्त से चुराकर, कुछ वक़्त तो देना पड़ेगा। एक छोर तुम पकड़ना, मैं हर […]
Read more »