कविता कबीर से कहना है July 3, 2021 / July 3, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकहे वाणी के डिक्टेटर!जातिवाद/साम्प्रदायिकता केप्रबल विरोधी धक्कामार! यकीन नहीं होता कि गुलामभारत में तुमने वह सबकुछ कहाएक सहज सपाट बयानी मेंजिसे आजादी की सांस लेते लोगकहते डरते स्वतंत्रता के लुटेरों से! काश अगर तुम आज होतेकबीर नहीं मात्र कवि होते!राजनीति की दोगली चाल से सहमेविम्ब-प्रतीक की ढाल में दुबकेमुलम्मामार शब्दों में घिघियातेकबीर नहीं […] Read more » कबीर से कहना है