व्यंग्य भ्रष्टाचार महाक्ति कलियुगे!! June 5, 2011 / December 11, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on भ्रष्टाचार महाक्ति कलियुगे!! बाजे गाजे की आवाज सुन हड़बड़ाया जाग कर बाहर निकला तो पैरों तले से जमीन खिसक गई। वे सुबह सुबह अपने फसली बटेरों के जुलूस के साथ झोटे सी गरदन को चंदे के गुड्डी कागजों की मालाओं से लक दक किए गंजे सिर पर लाल साफा बांधे, मुहल्ले के मास्टर जी की पहले तो ट्रांसफर […] Read more » Corruption कलियुगे भ्रष्टाचार महाक्ति