दोहे कण कण में कृष्ण क्रीड़ा किए! August 12, 2020 / August 12, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment कण कण में कृष्ण क्रीड़ा किए, हर क्षण रहते; कर्षण कराके घर्षण दे, कल्मष हरते! हर राह विरह विरागों में, संग वे विचरते; हर हार विहारों की व्यथा, वे ही हैं सुधते! संस्कार हरेक करके वे क्षय, अक्षर करते; आलोक अपने घुमा फिरा, ऊर्द्ध्वित त्वरते! कारण प्रभाव हाव भाव, वे ही तो भरते; भावों अभावों […] Read more » कृष्ण क्रीड़ा