लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-44 January 24, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज अच्छे बुद्घिमानों का और पवित्रात्माओं का परिवार ऐसे ही योगभ्रष्ट लोगों को एक पुरस्कार के रूप में मिलता है। जिनके संसर्ग, सम्पर्क और सान्निध्य में रहकर वह योगभ्रष्ट व्यक्ति या योगी शीघ्र ही आगे बढऩा आरम्भ कर देता है। वह पूर्व जन्म के […] Read more » Featured geeta karmayog of Geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-43 January 24, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज योगेश्वर श्री कृष्णजी कहते हैं कि अर्जुन यह कार्य अर्थात मन को जीतना या वश में करना अभ्यास तथा वैराग्य के माध्यम से सम्भव है। अभ्यास और वैराग्य से होती मन की जीत। मन को लेते जीत जो पाते रब की प्रीत।। इस प्रकार श्रीकृष्णजी ने मन को […] Read more » Featured geeta karmayog of Geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-42 January 20, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज भारत की ऐसी ही परम्पराओं में से एक परम्परा यह भी है कि जब किसी व्यक्ति को कोई कष्ट होता है तो दूसरा उसके विषय में यह कहता है कि यह कष्ट मुझे ऐसे ही अनुभव हुआ है जैसे कि मुझे ही हुआ हो। लोग […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-41 January 20, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज अब पुन: हम उस आनन्द के विषय में ‘ब्रह्मानन्दवल्ली’ (तैत्तिरीय-उपनिषद) का उल्लेख करते हैं। जिसका ऋषि कहता है कि यदि कोई बलवान युवावस्था को प्राप्त वेदादि शास्त्रों का पूर्ण ज्ञाता सम्पूर्ण पृथ्वी का राजा होकर राज भोगे तो उसे उस राज से जो आनन्द प्राप्त […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-38 January 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज आत्म कल्याण कैसे सम्भव है संसार के लोग अपने आप पर अपनी ही नजरें नहीं रखते। मैं क्या कर रहा हूं? मुझे क्या करना चाहिए? ऐसी दृष्टि उनकी नहीं होती। वह ये सोचते हैं कि मैं जो कुछ कर रहा हूं-उसे कोई नहीं […] Read more » Featured कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज