कविता तुम राम हो और रावण भी April 15, 2021 / April 15, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | 2 Comments on तुम राम हो और रावण भी —विनय कुमार विनायकमैं कहता हूंतुम राम हो और रावण भी,कि गलतियां करने के पहलेडर जाते हो पिता को यादकरखबरदार की तरह सामने देखकरकि तुम हो राम होने की ओर अग्रसर! कोई झूठ बोलने के पहले होंठोंऔर गाल पर टिक जाती तर्जनी अंगुलीअपनी प्यारी सी भोली मां की तरहऔर याद आ जाती मां की हर सीखकि […] Read more » तुम राम हो और रावण भी