गजल तेरी आहट August 8, 2013 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment जग मोहन ठाकन तेरी वक्रोक्ति को लबों की सजावट समझकर हम खिल खिलाते रहे मुस्कुराहट समझकर जब जब घण्टी बजी किसी भी द्वार की हम दौड कर आये तेरी आहट समझकर ना आना था , ना आये तुम कभी संतोष कर लिया तेरी छलावट समझकर […] Read more » तेरी आहट