कविता साहित्य
मां, पर पीर तो होती होगी
by अरुण तिवारी
गांव की सबसे बङी हवेली उसमें बैठी मात दुकेली, हवेली से बाते करते, दीवारों से सर टकराना, ईंट सरीखा मन हो जाना, दूर बैंक से पैसा लाना, नाज पिसाना, सामान मंगाना, हर छोटे बाहरी काम की खातिर दूजों से सामने गिङगिङ जाना, किसी तरह घर आन बचाना, शूर हो, मज़बूर हो मां, पर पीर तो […]
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