कविता पीड़ा के दो छोर September 24, 2020 / September 24, 2020 by बीनू भटनागर | Leave a Comment १ज़िंदगी समय मेंघुलती जा रही है।समय में घुलने कीअनंत पीड़ा है।पीड़ा से बचने के लिये,शब्दों और सुर तालका सहारा है।संगीत में डूब जाऊं याकाव्य में बिखर जाऊँ,घुलने के कष्ट कोथोड़ा सा बिसराऊँफिर उठकर पीड़ा कोथोड़ा सा सहलाऊँ,फिर अपनी जीत परयूँ मुस्किराऊं…जानती हूँवो दरवाज़े की ओट मेेेंखड़ी हैअभी ज़राकिसी दवा से डरी हैअब तो ये लड़ाईजीवन […] Read more » the two ends of pain पीड़ा के दो छोर