विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-34 September 27, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  ईश्वर के विषय में यह माना जाता है कि वह सृष्टि के अणु-अणु में विद्यमान है और घट-घट वासी है। उसकी दृष्टि से कोई बच नहीं सकता। अत: वह मनुष्य के प्रत्येक विचार का और प्रत्येक कार्य का स्वयं साक्षी है। जिससे उसकी न्यायव्यवस्था से कोई बच नहीं पाएगा। घट-घट वासी […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-32 September 25, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य सभी मनुष्यों को यह अधिकार है कि बुद्घि पूर्वक अपने जीवनोद्देश्य का निर्धारण करे। अपनी सामाजिक, शारीरिक व आत्मिक उन्नति करे, साथ ही परोपकारी बने रहकर अन्य जीवों के कल्याण की योजनाओं में भी लगा रहे, विद्या प्राप्ति करे और अज्ञान से युक्त होकर अपनी शारीरिक रक्षा करने व भोजन वस्त्र […] Read more » Featured अष्टांगयोग कर्मफल व्यवस्था भारत भारत में कर्मफल व्यवस्था विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-31 September 25, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य इन नास्तिकों की बात तो कहीं तक ठीक थी कि राजनीति और साम्प्रदायिकता को अलग करो, परंतु इनसे दो भूले हुईं-एक तो यह कि ये लोग साम्प्रदायिकता और धार्मिकता को एक ही समझ बैठे-उनमें ये अंतर नहीं कर पाये। इसलिए इन लोगों ने संसार के लिए परमावश्यक धार्मिकता को भी गोली मारने […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-30 September 23, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  एक मां के गर्भ में आना दूसरे के यहां पैदा होना, देश छोडक़र भेजा जाना, रास्ते में नदी की सूचना, तत्कालीन राजा द्वारा बच्चों का वध गौ और मधु दोनों का प्रेम यह कृष्ण और क्राइस्ट की सब समान गाथाएं हैं। पर वध की कहानी कंस से मिलती है। क्राइस्ट की […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-29 September 22, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  आज की शिक्षा बच्चे को बड़ा होकर धनी बनाने के लिए दिलायी जाती है, जबकि भारत में इसके विपरीत था। यहां तो वेद (यजु. 2/33) की व्यवस्था है :- ”(विद्यार्थी के माता-पिता उसके गुरू से निवेदन कर रहे हैं) हे गुरूजनो! कमल पुष्प की माला पहने इस बालक को अपने गुरूकुल […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-28 September 20, 2017 / September 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   हर युग में और हर स्थिति-परिस्थिति में भारत के महान लोगों ने मानवतावाद को पुष्ट करने वाले चिंतन को प्रस्तुत किया और उसी के आधार पर लोगों को जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। जब तक भारत की ऐसी शिक्षा प्रणाली विश्व का मार्गदर्शन करती रही तब तक संसार में […] Read more » Featured India India as world leader पंथ भिन्नता भारत भारतीय शिक्षा नीति विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-27 September 19, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गुरूकुलों की परीक्षा प्रणाली हमारे यहां प्राचीनकाल में गुरूकुलों में विभिन्न परीक्षाओं की व्यवस्था की जाती थी। उन परीक्षाओं को आजकल की अंक प्रदान करने वाली परीक्षाओं की भांति आयोजित नहीं किया जाता था। उसका ढंग आज से सर्वथा विपरीत था। तब आचार्य अपने विद्यार्थियों की परीक्षा के लिए कई प्रकार […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-25 September 18, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   हमारे प्राचीन ऋषियों ने पशु-पक्षियों की अनेकों प्रेरणास्पद कहानियों का सृजन किया, और उन्हें बच्चों को बताना व पढ़ाना आरंभ किया। उसे बच्चे के मनोविज्ञान के साथ जोड़ा गया और परिणाम देखा गया कि बच्चों पर उसका आशातीत प्रभाव पड़ा। वेद और उपनिषदों की गूढ़ बातों को पशु-पक्षियों की कहानियों […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
समाज विश्वगुरू के रूप में भारत-26 September 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य यदि अस्पृश्यता आदि विकृतियां भारत की संस्कृति होतीं तो अलग-अलग कालखण्डों में आये अनेकों समाज सुधारकों को उनके विरूद्घ आवाज उठाने की ही आवश्यकता नहीं पड़ती, और ना ही उनके सत्कार्यों का इतिहास वन्दन करता। राष्ट्र सर्वप्रथम भारत में विद्यार्थियों के भीतर राष्ट्र सेवा का भाव जागृत करने के लिए राजा और […] Read more » India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-24 September 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  अपनी बात को मनवाने के लिए महर्षि दयानंद ने अंग्रेज सरकार को सितंबर 1874 में एक ज्ञापन दिया था। जिसमें उन्होंने आर्ष संस्कृत शिक्षा को भारत में पुन: लागू कराने का आग्रह सरकार से किया था। ज्ञापन में लिखा था-”इससे मेरा विज्ञापन है-आर्यावर्त देश का राजा अंग्रेज बहादुर से कि संस्कृत […] Read more » ' Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-23 September 12, 2017 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on विश्वगुरू के रूप में भारत-23 राकेश कुमार आर्य ऐसे लोग मनुष्य मात्र के शिक्षक व प्रेरक होते हैं, और आलस्य आदि शत्रुओं से रहित होकर धारणा, ध्यान, समाधि का अनुष्ठान करने वाले, परम उत्साही, योग्य, सर्वस्व त्यागी निष्काम विद्वान महान मोक्ष को प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग ईश्वर और मृत्यु को सदा साक्षी रखते हैं और प्रत्येक प्रकार के पापकर्म […] Read more » India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-22 September 11, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  चमड़े को मृत पशुओं के शरीरों से उतारकर उसका जूते-जूतियां या अन्य वस्तुओं के बनाने में प्रयोग करने की कला भी विश्व में भारतीयों ने ही प्रचलित की। इसी प्रकार गौ-भैंस को दूहने की कला और उनके दूध से विभिन्न प्रकार के पेय या भोज्य-पदार्थ बनाना, दही, घी बनाना या निकालना […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू भारत