विविधा भ्रष्टाचार का गरलः निजात नहीं सरल May 29, 2015 / May 29, 2015 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- चाणक्य ने कहा था कि जिस तरह अपनी जिह्ना पर रखे शहद या हलाहल को न चखना असंभव है, उसी प्रकार सरकारी कोष से संबंधित व्यक्ति राजा के धन का उपयोग न करे, यह भी असंभव है। जिस प्रकार पानी के अन्दर मछली पानी पी रही है या नहीं, जानना कठिन है, उसी […] Read more » Featured भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार का गरलःनिजात नहीं सरल महंगाई