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समाज

कलियुग, मानव और व्यवस्था

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ऐसा नही है कि समाज में व्यक्ति-व्यक्ति के मध्य ही ऐसा होता है। आज की सारी व्यवस्था ही इसमें लिप्त है। जब धर्म को खुलेआम सडक़ों पर बेचा जा रहा हो, तब न्याय की अपेक्षा व्यवस्था से नही की जा सकती। अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकारों को फटकार लगायी है कि केन्द्र और प्रांतों की सरकारें समय पर सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण करने वालों पर कठोर कार्यवाही नही करातीं। जबकि बहुत से धार्मिक स्थलों को लोग जानबूझकर सार्वजनिक मार्गों में बना लेते हैं।

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