व्यंग्य व्यंग्य बाण : मिलावट के लिए खेद है June 13, 2015 by विजय कुमार | Leave a Comment –विजय कुमार- गरमी में इन्सान तो क्या, पेड़–पौधे और पशु–पक्षियों का भी बुरा हाल हो जाता है। शर्मा जी भी इसके अपवाद नहीं हैं। कल सुबह पार्क में आये, तो हाथ के अखबार को हिलाते हुए जोर–जोर से चिल्ला रहे थे, ‘‘देखो…देखो…। क्या जमाना आ गया है ?’’ इतना कहकर वे जोर–जोर से हांफने लगे। […] Read more » Featured मिलावट मिलावट के लिए खेद है व्यंग्य