कविता ये ज़रूरी तो नहीं June 8, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment मैं ख़ुद से ही रूठी रहती हूँ, कोई मनाये मुझको आकर, ये ज़रूरी तो नहीं, मैं ख़ुद को ही मना लेती हूँ। कुछ भी लिखूं या करूँ मैं जब अपनी प्रशंसा भी कर लेती हूँ , कोई और भी मेरा प्रशंसक हो, ये ज़रूरी तो नहीं………… जो भी काम पूरा कर लेती हूँ, […] Read more » ये ज़रूरी तो नहीं