कविता सामाजिक न्याय का अमृतफल March 8, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकएक सामाजिक न्याय वह भी थाजब स्वर्ण खड़ाऊ/रेशमी वस्त्र त्यागकरनिकल पड़ा था एक राजकुमारविवस्त्र गात्र, नग्न पांव बोधिवृक्ष की छांव मेंराजमहल से झोपड़ी के बीचतीन लोक की दूरी कोएक कर गया था वामन सा ढाई डग मेंबांट गया था सामाजिक न्याय का अमृतफलसबके बीच बिना किसी जाति भेद के! एक सामाजिक न्याय वह […] Read more » सामाजिक न्याय का अमृतफल