कविता हवाओं में बसी देहगंध May 25, 2013 by प्रवीण गुगनानी | 1 Comment on हवाओं में बसी देहगंध कहाँ से आ रही है हवा ? ये पता नहीं बस इसमें बसी देह गंध पहचान आती है. तभी तो पहचाना कि तुम बहती हवा की दिशा में हो. नहीं है इसमें वो सब कुछ जो एक पहाड़ पर होता है शिखर, गरिमा,संपदा, और थोड़ी जड़ता भी बस है तनिक सहजता जो सदा उँगलियों […] Read more » हवाओं में बसी देहगंध