गजल चारों तरफ हैं रास्ते, हर रास्ते पे मोड़ है ! March 30, 2014 / September 3, 2018 by भारत भूषण | 3 Comments on चारों तरफ हैं रास्ते, हर रास्ते पे मोड़ है ! चारों तरफ हैं रास्ते, हर रास्ते पे मोड़ है ! तुही बता ये जिन्दगी, जाना तुझे किस ओर है !! हर तरफ़ से आवाजें, कोलाहल और शोर है ! कुछ समझ आता नहीं, मंजिल मेरी किस ओर है !! सब के सब बेकल यहाँ , सबके सपनों का जोड़ है ! किसके सपने […] Read more » gazal ग़जल भारत भूषण
प्रवक्ता न्यूज़ कनिष्क: वो दरिया था,आकर उन्हे बुझा जाता August 5, 2009 / December 27, 2011 by कनिष्क कश्यप | Leave a Comment मैं शौक से मनाता जश्न उनकी जीत का उस रौशनी में लेकिन कई घर जल रहे थे मलाल तो था जरूर उनके जलने का उनकी छावं मे हम कब से पल रहे थे वो दरिया था,आकर उन्हे बुझा जाता दूर कहीं शायद पत्थर पिघल रहे थे नही थी खबर ज़िन्दगी बसती हैं यहीं हम तो […] Read more » poem कनिष्क कश्यप कनिष्क की कविताएं कविता कविताएं ग़जल