चारों तरफ हैं रास्ते, हर रास्ते पे मोड़ है !
तुही बता ये जिन्दगी, जाना तुझे किस ओर है !!
हर तरफ़ से आवाजें, कोलाहल और शोर है !
कुछ समझ आता नहीं, मंजिल मेरी किस ओर है !!
सब के सब बेकल यहाँ , सबके सपनों का जोड़ है !
किसके सपने तोड़ूँ मै, कैसा ये कठिन होड़ है !!
कैरियर के दौड़ में, भूषण कितने ही मोड़ है !
ठान लिया तूने अगर, मंजिल नहीं कोई दूर है !!
जिस तरफ भी चल पड़ो, रास्ता तेरा उसी ओर है !
मंजिले भी है वहीं तेरी, मुक्कमल जहाँ उसी ओर है !!
bhao ke anuroop kala me pariskar ki sambhawna bani hai,swagatey hai
शब्द संकलन सार गर्भित है कवी की सार्थकता है की देश के लिए कुछ आदर्श युक्त करे ।
यमुना,,
Bahut achha! Likhte rahiye!