कम्युनिस्टों के ऐतिहासिक अपराधों की लम्बी दास्तां है-

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-सौरभ मालवीय

• सोवियत संघ और चीन को अपना पितृभूमि और पुण्यभूमि मानने की मानसिकता उन्हें कभी भारत को अपना न बना सकी।

• कम्युनिस्टों ने 1942 के भारत-छोड़ो आंदोलन के समय अंग्रेजों का साथ देते हुए देशवासियों के साथ विश्वासघात किया।

• 1962 में चीन के भारत पर आक्रमण के समय चीन की तरफदारी की। वे शीघ्र ही चीनी कम्युनिस्टों के स्वागत के लिए कलकत्ता में लाल सलाम देने को आतुर हो गए। चीन को उन्होंने हमलावर घोषित न किया तथा इसे सीमा विवाद कहकर टालने का प्रयास किया। चीन का चेयरमैन-हमारा चेयरमैन का नारा लगाया।

• इतना ही नहीं, श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने शासन को बनाए रखने के लिए 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी और अपने विरोधियों को कुचलने के पूरे प्रयास किए तथा झूठे आरोप लगातार अनेक राष्ट्रभक्तों को जेल में डाल दिया। उस समय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी श्रीमती इंदिरा गांधी की पिछलग्गू बन गई। डांगे ने आपातकाल का समर्थन किया तथा सोवियत संघ ने आपातकाल को अवसर तथा समय अनुकूल बताया।

• भारत के विभाजन के लिए कम्युनिस्टों ने मुस्लिम लीग का समर्थन किया।

• कम्युनिस्टों ने सुभाषचन्द्र बोस को तोजो का कुत्ता, जवाहर लाल नेहरू को साम्राज्यवाद का दौड़ता कुत्ता तथा सरदार पटेल को फासिस्ट कहकर गालियां दी।

• कम्युनिस्टों से अपेक्षा की जाती है कि वे सर्वहारा के प्रति संवेदनशील होंगे। परन्तु यह संवेदनशीलता तो उनके बीच जीने और मरने में होती है। सीपीएम वाले बता दें कि अपनी स्थापना के बाद से देशभर में उन्होंने कितनी बार मजदूर-किसानों के संघर्ष का नेतृत्व किया है। इसके कितने कामरेड जेल गए हैं। सच तो यह है कि सीपीएम नेता सामूहिक रूप से एक ही बार जेल गए और वह भारत-चीन युध्द के समय चीन की तरफदारी करते हुए भारतीय राज्य के खिलाफ विद्रोह करने की तैयारी के आरोप में। आज सीपीएम नेतृत्व सर्वहारा को छोड़कर कारपोरेट व व्यावसायिक घरानों का सिपाही हो गया है। यह विडंबना नहीं, चरित्र है। सर्वहारा विरोधी चरित्र और स्टालिनवादी चाल, माओवादी धूर्तता के साथ सीपीएम अपने नए पूंजीवादी दोस्तों के साथ रंग की नहीं खून की होली खेलने में जनहित देख रही है।

• हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रीय सांख्यिकी सर्वेक्षण का अध्ययन बताता है कि साल के कुछ महीनों में कई दिन भूखे सोने वाले परिवार पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा (10.6 प्रतिशत) पाए गए।

• माकपा चाहे सत्ता में हो या न हो, यह सीधे या उल्टे तरीकों से पैसा इकट्ठा करती रहती है। केरल में माकपा ने, कहा जाता है कि 5 हजार करोड़ रुपए की सम्पदा इकट्ठी कर ली है। माकपा कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम और ईसाई गुटों से अवसरवादी गठजोड़ करके पैसे की दृष्टि से सबसे अमीर पार्टी बन गई है। आज यह ऐसे कारपोरेट समूह की शक्ल में दिखती है जिसकी न जाने कितनी सम्पत्ति यहां-वहां बिखरी है।

• कामरेड खुद को भले ही सर्वहारा वर्ग की पार्टी बताते हों मगर पिछले 5 दशकों में पार्टी की केरल इकाई 5 हजार करोड़ रुपए की स्वामी बन गई है।

• 30 वर्ष से पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी राज में समस्‍याओं का अम्‍बार लगा हुआ है। कोलकाता की गलियों में घूमने के बाद साबित करने की जरूरत नहीं है कि मार्क्सवादी विचारधारा भारत की समस्याओं का हल नहीं है।

• महात्मा गांधी ने आजादी के पश्चात् अपनी मृत्यु से तीन मास पूर्व (25 अक्टूबर, 1947 को कहा-

कम्युनिस्ट समझते है कि उनका सबसे बड़ा कत्तव्य सबसे बड़ी सेवा- मनमुटाव पैदा करना, असंतोष को जन्म देना और हड़ताल कराना है। वे यह नहीं देखते कि यह असंतोष, ये हड़तालें अंत में किसे हानि पहुंचाएगी। अधूरा ज्ञान सबसे बड़ी बुराइयों में से एक है। कुछ ज्ञान और निर्देश रूस से प्राप्त करते है। हमारे कम्युनिस्ट इसी दयनीय हालत में जान पड़ते है। मैं इसे शर्मनाक न कहकर दयनीय कहता हूं, क्योंकि मैं अनुभव करता हूं कि उन्हें दोष देने की बजाय उन पर तरस खाने की आवश्यकता है। ये लोग एकता को खंडित करनेवाली उस आग को हवा दे रहे हैं, जिन्हें अंग्रेज लगा लगा गए थे।

भारतीय कम्युनिस्टों की बर्बरता- इंडिया टुडे

• 1979 – सुंदरबन द्वीप में पुलिस और माकपा कार्यकर्ताओं ने पूर्वी बंगाल के सैकड़ों शरणार्थियों को मौत के घाट उतार दिया।

• 1982 – माकपा कार्यकर्ताओं ने कोलकाता में इस अंदेशे में 17 आनंदमार्गियों को जलाकर मार डाला कि निर्वाचन क्षेत्र में वे अपना आधार खो बैठेंगे।

• 2000 – भूमि विवाद को लेकर बीरभूमि जिले में माकपा कार्यकर्ताओं ने कम से कम 11 भूमिहीन श्रमिकों की हत्या कर दी।

• 2001 – माकपा कार्यकर्ताओं ने तृणमूल कांग्रेस के प्रायोजित राज्यव्यापी बंद के दौरान मिदनापुर में 18 लोगों को मार डाला। (साभार- इंडिया टुडे, 28 नवंबर,2007

• 2007 – नंदीग्राम में अपना हक मांग रहे किसान, मजदूर और महिलाओं पर माकपा कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त जुल्म ढ़ाए। महिलाओं के साथ बलात्कार किए। लाशों के ढेर लगा दिए। करीब 200 लोग मारे गए।

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डॉ. सौरभ मालवीय
उत्तरप्रदेश के देवरिया जनपद के पटनेजी गाँव में जन्मे डाॅ.सौरभ मालवीय बचपन से ही सामाजिक परिवर्तन और राष्ट्र-निर्माण की तीव्र आकांक्षा के चलते सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए है। जगतगुरु शंकराचार्य एवं डाॅ. हेडगेवार की सांस्कृतिक चेतना और आचार्य चाणक्य की राजनीतिक दृष्टि से प्रभावित डाॅ. मालवीय का सुस्पष्ट वैचारिक धरातल है। ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मीडिया’ विषय पर आपने शोध किया है। आप का देश भर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं अंतर्जाल पर समसामयिक मुद्दों पर निरंतर लेखन जारी है। उत्कृष्ट कार्याें के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है, जिनमें मोतीबीए नया मीडिया सम्मान, विष्णु प्रभाकर पत्रकारिता सम्मान और प्रवक्ता डाॅट काॅम सम्मान आदि सम्मिलित हैं। संप्रति- माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। मोबाइल-09907890614 ई-मेल- malviya.sourabh@gmail.com वेबसाइट-www.sourabhmalviya.com

13 COMMENTS

  1. ye rajesh kapoor to dhoron ka doctor lagta hai ….chiploonkar ki mati maree gai hai …thoda adhkachra gyaan bhi bada tkleef deh hogaya inke boote ki baat nahin das capital ko samjhna …saamywad to dunia ke 53 deshon men hai jinmen hai ve khush hal hain …bharat men yadi vaampanth ko fail karoge to tumehen kya mil jaayega ulte kttarwad dikhaoge to naxalwadi ya maowadiyon ke hathon maare jaoge…

  2. kitna hi bhonko ,sachaai ko maar nahin sakoge .itihas ke vishw ke sngharshon ki dastan ka naam himarxwad hai.aap jaise ghasiyaron ke dimag men bhoosa bhara hai…aap dayaa ke paatr hain …isiliye daya karke makhanlal patrkarita namak chotton ki jamaat men shaamil kiye gaye ho .

  3. मालवीय जी इस स्पष्ट, सटीक, सशक्त लेख के लिए साधुवाद. आपने कमुनिस्तों के देशद्रोहितापूर्ण कार्यों का कच्चा चिट्ठा खोलकर इनकी कडवी जुबान पर ताला लगाने का प्रभावी प्रयास किया है तथा देशवासियों को जगाने का भी सुंदर कार्य किया है. बहुत ज़रूरी है की इन विदेशी ताकतों के इशारों पर द४एश को खोखला बनाने वालों के नकाब हटाये जाएँ. अन्यथा ये कमुनिस्तों और ईसाईयों की जुंडली भारत के अस्तित्व को समाप्त करने में कोई कसार नहीं छोड़ने वाली.
    आपके लिए बारम्बार शुभकामनाएं, कृपया देशद्रोही ताकतों के विरुद्ध लेखन यूँही जारी रखें.

  4. aadarneey singh saheb
    main koi bhi rajnetik partee men nahin hun ….mujhe koi bhi partee kuchh nahin deti ….main ek adhyansheel pruvrutti ka swtantr vicharon ka behad aastik vykti hun …jb lucknow bench ka faisla aaya to mene khulkar sarahna ki thi aap chahen to isi pravakt.com par purani post …30 sitamber ke aaspaas ki dekh sakte hain …chaturvedi ji ke baare men bhi isi pravakta.com pr jankari mili hai …aap sochenge ki fir maine vaampanth ke paksh men kyon likha?…darsal jb..jb…iahaan..jahaan..mujhe lagta hai i stya pr ya imaan par hamla ho raha hai to ..men apne aap ko rok nahin pata….chunki bharat ki ponjiwadi dakshinpanthi partiyon se vaampanthi jayda shreshth hain so mene unke baare men yhi nivedan kiya hai ki thida sa padhen ..sapeksh vichar karen…sabhi vykti ya samooh aalochna se pare nahin hain …isi pravakta .com pr lagaataar kohram machane wale jhaarkhand karnatakor gujrat men ho rahe ghrnit papachaar pr chup hain …dhikkar hai…

  5. थू थू थू काम गरीबों का करने का मगर करते हैं पूंजीपतियों का.
    हे राम ये अगर कभी सत्‍ता में आ गये तो देश को चीन के हवाल कर देंगे.
    अभी राम मंदिर पर इतनी कलुषित विचार जानने को मिला.
    सबसे बदतर और घटियां हैं ये सब.

  6. प्रवक्ता डोट कॉम के संपादक श्री एस. के. सिन्हा सहित इसके लेखकों, पाठकों और तिप्पन्हीकारों को हमारा सादर नमन. कम से कम इस तरह की वेबसाइटस और ब्लॉगस के बहाने सब को अपनी-अपनी भड़ास निकालने यानि अपनी बात को खुले रूप से कहने का मोका मिला हुआ है. गत कुछ समय से हम भी इस और अन्य वेबसाइटस व ब्लोग्स साईट से जुड़े हुवे हैं. इन सबसे यही उजागर हो रहा है कि हमारा आज का लेखन और चिंतन बंटा हुआ है – राजनीति, धर्म व जाति आधारित खिंची हुई “लक्ष्मण रेखाओं” के आधार पर. आख़िरकार, हम सभी इन्ही ‘रेखाओं’ से बंधे व जुड़े हुए जो हैं. शायद, इसीलिए कोई कांग्रेस को, कोई भाजपा को, कोई वामपंथियों को, तो कोई सपा, बसपा वगेरा को कोसता दिखाई देता रहता है. लेकिन मानवीय मूल्यों और लोकतंत्र को कुचलने वालों पर हमारी कलम और हमारा चिंतन खामोश बना हुआ है. ऐसे ‘वैचारिक गुलामियत’ के दोर में, फिर भी कुछ ऐसी कलमें और चिंतन मौजूद है जो हमारी जाग कर भी सोई हुई आत्माओं को जगाने और सच को समझाने में बनी हुई है, इस उम्मीद के साथ – कि देश की आजादी का संघर्ष किसी एक व्यक्ति या एक संगठन ने ही नहीं किया है बल्कि असंख्य बलिदानों के बाद हमें यह आजादी मिली है, जो मात्र चंद ठेकेदारों की ‘जागीर’ बनकर रह गयी है. जिस दिन भी इस सच को हम सारे भारतवासी समझ लेगें, तभी हम आजादी के सही मर्म को समझ सकेगें और तभी हमें इन दरिंदें बने हुए जागीरदारों से आजादी मिल सकेगी. वर्ना तो हम तब विदेशियों के गुलाम थे और अब हम अपने ही कहे जाने वाले देशियों के गुलाम हैं – यहीं सच्चाई है, किसी भी नजरिये से देख लें. सादर –
    भारत देश का एक दलित, दमित व शोषित आम नागरिक – जीनगर दुर्गा शंकर गहलोत, मकबरा बाज़ार, कोटा – ३२४००६ (राज.) ; मोबाइल : ०९८८७२-३२७८६

  7. जगदिश्वर जी कहाँ छिपे हुए हैं .इस लेख पर तो मैं उनके द्वारा प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा था,पर लगता है की यह कार्य चूँकि तिवारीजी बखूबी निभा रहे हैं तो वे क्यों सामने आयें?अब मैं तिवारीजी से पूचता हूँ.की सौरभजी ने क्या गलत लिखा है?क्या कम्युनिष्टों का पर्दाफ़ाश करने वाला हर व्यक्ति पूंजीवादी ही होता है?अगरआप यानि तिवारीजी या जगदीश्वर जी जो बात कहते हैं, वही क्यों सर्वमान्य हो.?मैं पूर्ण नास्तिक हूँ जो इश्वर के किसी रूप का पुजारी नहीं है,पर मुझसे ये महानुभाव यह क्यों आशा करते हैं की मैं लखनऊ बेंच के फैसले के विरुद्ध ही बोलूँगा.उस फिसले में एक ऐसा समन्वय है जो किसी भी सही ढंग से सोचने वाले को अपील करेगा.पर जिन लोगों के आँखों ही नहीं बुद्धि पर भी पर्दा पडा हो वे जैसा सोचेंगे उसका एक उदहारण मेरे टिपण्णी पर जगदीश्वर जी का राम नाम जपते हुए निकल जाना है और वही बात यहाँ तिवारीजी की प्रतिक्रिया में झलक रही है. कम्युनिष्टों के राष्ट्र विरोधी कार्यों का पर्दाफाश करने पर लेखक को पूजीवाद का समर्थक कह देने से कम्युनिष्टों के द्वारा किये हुए देशद्रोह को झुठलाया नहीं जा सकता.

  8. maalveey ji aapko poonjiwad ne makhanlal chaturvedi patrkarita mahaviddyalay men shaayad isi lafangyaai or jhoonth parosne ke liye purskrut kiya hai ….badhai ;…lage raho ….
    nindak niyre raakhiye ,aangan kuti chhaway….
    bin pani bin saabuna ,nirmal kare subhay …..
    communisim ka ABC nahin janane bale tum jaise burjuaaon se desh or dunia ke majooron -kisano ko iske alawa or kya ummid ho sakti hai ?apni aukat dhaile bhar ki nahin or aasmaan par thunkne chale …..dhikkar hai …tumhari soch bahut ghatia or aalekh to jhoonth ka pulanda hai ……ye jo do chaar tumhaare peechhe kukarhav kar rahe inhe bhi jaldi sedo chaar mazdooron ki haddiyan aiyash poonjipati varg ki or se fenk di javegi ….lage raho ….vo subah kabhi to…..hm mahnatkash jagwalon se jb apna hissa mangege…….ek khet nahin ….ek desh nahin …..hm sari dunia maangege…….

  9. कम्युनिस्टों के ऐतिहासिक अपराधों की लम्बी दास्तां है -by- सौरभ मालवीय

    (१) सीपीएम नेता जेल गए – भारत-चीन युध्द के समय चीन की तरफदारी करते हुए – भारतीय राज्य के खिलाफ विद्रोह करने की तैयारी के आरोप में.

    इस संगीन अपराध के होते यह जेल से बाहर कैसे आये ?

    विवरण दें तो विशेष नेताओं को, इतने अंतराल के उपरांत भी, फिर से अंदर करवाने के मामले को, LEGALLY EXAMINE करवाया जाये.

    इससे इनको नंगा तो किया जा सकेगा.

    (२) भूखे सोने वाले परिवार पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा (10.6 प्रतिशत).

    इस मुद्दे पर सी.पी.ऍम. का क्या कहना लहै ?

    (३) केरल में माकपा ने 5 हजार करोड़ रुपए की सम्पदा इकट्ठी कर ली है.

    यह अपराध दीदी ममता और प्रणब बाबु को यदि विदित हैं तो उन्होंने इस पर अभी तक क्या किया है ?

    इसमें रक्षा मंत्री ने भी अभी तक क्या कुछ नहीं किया है ?

    (४) यह सभी कुछ विस्तार से प्रवक्ता.कॉम में प्रकाशित हो, केवल मुद्दोँ की सूची से कुछ नहीं बनता.

    यह तो रोज़ रोज़ प्रवक्ता.कॉम में विस्तार से गाली देते रहते हैं.

    – अनिल सहगल –

  10. “कब्जा” करने में भी इन लोगों का कोई सानी नहीं है, भारत के न जाने कितने शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों, अकादमियों आदि में इन लोगों ने जुगाड़-तुगाड़ से अपने “छँटे” हुए व्यक्ति बैठा रखे हैं, जिनके द्वारा शिक्षा, संस्कृति और भारतीय सभ्यता और इतिहास को बिगाड़ने का पूरा काम किया जाता है।

    अयोध्या निर्णय आने के बाद इस गैंग के कुछ इतिहासकार बेनकाब भी हुए हैं, फ़िर भी ये “जमे” रहते हैं…

  11. कम्युनिस्टों की कोई जात-धर्म-राष्ट्रीयता नहीं होती। वे लोग अपने आपको इन सबसे ऊपर मानते हैं। ऐसे लोग जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने को अपना धर्म समझते हैं और अपनी कथित बौद्धिकता द्वारा अपने दुष्कृत्यों को सही ठहराने का प्रयास करते हैं। मानव (?) की यह प्रजाति शर्मनिरपेक्ष होती है औऱ इनकी बाकी लोगों से वैसा ही होने की अपेक्षा भी होती है।
    मालवीय जी ने इस लेख में कम्यूनिस्ट विचार का असली चेहरा उजागर किया है।

  12. देश के छिपे द्रोहियों को बाहर लाने का आभार!!

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