चाय न आई हाय !

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

न तो हमको भैंस चाहिए ,
नहीं चाहिए गाय |
कड़क ठण्ड है हमें पिला दो,
बस एक कप भर चाय |
चाय कड़क हो थोड़ी मीठी ,
बस थोड़ा अदरक हो|
दूध मिलाकर खुशियों के संग ,
मिला हुआ गुड लक हो |
हो जाती छू मंतर सुस्ती ,
बढ़िया चाय,उपाय |
जब भी बनती चाय घरों में ,
मोहक गंध निकलती |
लाख सम्भालो जीभ परन्तु ,
बिलकुल नहीं संभलती |
समय नहीं कटता है काटे ,
चाय न आई हाय !
गरम घूँट की चुस्की देती ,
दिव्य भव्य आनंद |
मन करता कविता लिख डालूँ ,
ह्रदय बांटता छंद |
बड़े काम की चीज़, न समझो ,
इसे अलाय -बलाय |

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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