हम हिंदुस्तानी हैं

प्रभुदयाल श्रीवास्तव »
बच्चो कहो प्रेम से हम,
सब हिन्दुस्तानी हैं।
भरत वंश के ध्वज वाहक,
हम अमर कहानी हैं।

वेद ऋचाओं वाली माँ,
भारत के रहवासी।
दिल में रखते प्यार और,
आँखों में पानी है।

दया धर्म का सदियों से,
सबसे अपना नाता।
संग साथ रहने में ही,
सबको आसानी है।

खून खराबा करना यह,
है नहीं सोच अपनी।
मदद ग़रीबों की करना,
यह रीति पुरानी है।

सत्य अहिंसा बापू से,
हम सबने सीखी है।
यहाँ निकलती कंठों से,
प्रिय, मीठी वाणी है।

सदा सहायक बनकर हम,
सब सेवा करते हैं।
दादाजी से सब बातें,
ये हमने जानी हैं।

पश्चिम वालों की हमने,
करतूतें देखी हैं।
पश्चिम वालों की सूरत,
हमनें पहचानी है।

इसी लिए तो बार-बार,
बच्चो तुमसे कहते।
बड़े गर्व से बोलो कि,
हम हिंदुस्तानी हैं।

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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