जिस इंद्रेश कुमार को मैं जानता हूं !!

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क्या उन्हें अपने अच्छे कामों की सजा मिल रही है

– संजय द्विवेदी

कुछ साल पहले की ही तो बात है इंद्रेश कुमार से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मेरी मुलाकात हुयी थी। आरएसएस के उन दिनों वे राष्ट्रीय पदाधिकारी थे। एक अखबार का स्थानीय संपादक होने के नाते मैं उनका इंटरव्यू करने पहुंचा था। अपने बेहद निष्पाप चेहरे और सुंदर व्यक्तित्व से उन्होंने मुझे प्रभावित किया। बाद में मुझे पता चला कि वे मुसलमानों को आरएसएस से जोड़ने के काम में लगे हैं। रायपुर में भी उनके तमाम चाहने वाले अल्पसंख्यक वर्ग में भी मौजूद हैं। उनसे थोड़े ही समय के बाद आरएसएस की प्रतिनिधि सभा में रायपुर में फिर मुलाकात हुयी। वे मुझे पहचान गए। उनकी स्मरण शक्ति पर थोड़ा आश्चर्य भी हुआ कि वे सालों पहले हुयी मुलाकातों और मेरे जैसे साधारण आदमी को भी याद रखते हैं। उसी इंद्रेश कुमार का नाम अजमेर बम धमाकों में पढ़कर मुझे अजीब सा लग रहा है। मुझे याद है कि इंद्रेश जी जैसे लोग ऐसा नहीं कर सकते। किंतु देश की राजनीति को ऐसा लगता है और वे शायद इसके ही शिकार बने हैं।

मेरे मन में यह सवाल आज भी कौंध रहा है कि क्या यह आदमी सचमुच बहुत खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह प्रचारक हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करता है। वह मुसलमानों को राष्ट्रवाद की राह पर डालकर सदियों से उलझे रिश्तों को ठीक करने की बात कर रहा है। ऐसे आदमी को भला हिंदुस्तान की राजनीति कैसे बर्दाश्त कर सकती है। क्योंकि आज नहीं अगर दस साल बाद भी इंद्रेश कुमार अपने इरादों में सफल हो जाता है तो भारतीय राजनीति में जाति और धर्म की राजनीति करने वाले नेताओं की दुकान बंद हो जाएगी। इसलिए इस आदमी के कदम रोकना जरूरी है। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि एक ऐसा आदमी जो सदियों से जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिशें कर रहा है, उसे ही अजमेर के बम विस्फोट कांड का आरोपी बना दिया जाए।

अब उस इंद्रेश कुमार की भी सोचिए जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन में काम करते रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज का संगठन है। ऐसे संगठन में रहते हुए मुस्लिम समाज से संवाद बनाने की कोशिश क्या उनके अपने संगठन (आरएसएस) में भी तुरंत स्वीकार्य हो गयी होंगी। जाहिर तौर पर इंद्रेश कुमार की लड़ाई अपनों से भी रही होगी और बाहर खड़े राजनीतिक षडयंत्रकारियों से भी है। वे अपनों के बीच भी अपनी सफाई देते रहे हैं कि वे आखिर मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं , जबकि संघ का मूल काम हिंदू समाज का संगठन है। इंद्रेश कुमार की कोशिशें रंग लाने लगी थीं, यही सफलता शायद उनकी शत्रु बन गयी है। क्योंकि वे एक ऐसे काम को अंजाम देने जा रहे थे जिसकी जड़ें हिंदुस्तान के इतिहास में इतनी भयावह और रक्तरंजित हैं कि सदभाव की बात करनेवालों को उसकी सजा मिलती ही है। मुसलमानों के बीच कायम भयग्रंथि और कुठांओं को निकालकर उन्हें 1947 के बंटवारे को जख्मों से अलग करना भी आसान काम नहीं है। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, मौलाना आजाद जैसे महानायकों की मौजूदगी के बावजूद हम देश का बंटवारा नहीं रोक पाए। उस आग में आज भी कश्मीर जैसे इलाके सुलग रहे हैं। तमाम हिंदुस्तान में हिंदू-मुस्लिम रिश्ते अविश्वास की आग में जल रहे हैं। ऐसे कठिन समय में इंद्रेश कुमार क्या इतिहास की धारा की मोड़ देना चाहते हैं और उन्हें यह तब क्यों लगना चाहिए कि यह काम इतना आसान है। यह सिर्फ संयोग ही है कि कुछ दिन पहले राहुल गांधी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सिमी के साथ खड़ा करते हैं। एक देशभक्त संगठन और आतंकियों की जमात में उन्हें अंतर नहीं आता। नासमझ राजनीति कैसे देश को तोड़ने और भय का व्यापार करती है, ताजा मामले इसका उदाहरण हैं। इससे यह साफ संकेत जाते हैं कि इसके पीछे केंद्र और राजस्थान सरकार के इरादे क्या हैं ? देश को पता है कि इंद्रेश कुमार, आरएसएस के ऐसे नेता हैं जो मुसलमानों और हिंदू समाज के बीच संवाद के सेतु बने हैं। वे लगातार मुसलमानों के बीच काम करते हुए देश की एकता को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। ऐसा व्यक्ति कैसे कांग्रेस की देशतोड़क राजनीति को बर्दाश्त हो सकता है। साजिश के तार यहीं हैं। क्योंकि इंद्रेश कुमार ऐसा काम कर रहे थे कि अगर उसके सही परिणाम आने शुरू हो जाते तो सेकुलर राजनीति के दिन इस देश से लद जाते। हिदू- मुस्लिम एकता का यह राष्ट्रवादी दूत इसीलिए सरकार की नजरों में एक संदिग्ध है।

राजस्थान पुलिस खुद कह रही है अभी इंद्रेश कुमार को अभियुक्त नहीं बनाया गया है। यह समय बताएगा कि छानबीन से पुलिस को क्या हासिल होता है। फिर पूरी जांच किए बिना इतनी जल्दी क्या थी।क्या बिहार के चुनाव जहां कांग्रेस मुसलमानों को एक संकेत देना चाहती थी, जिसकी शुरूआत राहुल गांधी आऱएसएस पर हमला करके पहले ही कर चुके थे। संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल पुलिस का इस्तेमाल करते रहे हैं किंतु राजनीतिक दल इस स्तर पर गिरकर एक राष्ट्रवादी व्यक्तित्व पर कलंक लगाने का काम करेंगें, यह देखना भी शर्मनाक है। इससे इतना तो साफ है कि कुछ ताकतें देश में ऐसी जरूर हैं जो हिंदू-मुस्लिम एकता की दुश्मन हैं। उनकी राजनीतिक रोटियां सिंकनी बंद न हों इसलिए दो समुदायों को लड़ाते रहने में ही इनकी मुक्ति है। शायद इसीलिए इंद्रेश कुमार निशाने पर हैं क्योंकि वे जो काम कर रहे हैं वह इस देश की विभाजनकारी और वोटबैंक की राजनीति के अनूकूल नहीं हैं। अगर इस मामले से इंद्रेश कुमार बच निकलते हैं तो आखिर राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार का क्या जवाब होगा। किंतु जिस तरह से हड़बड़ी दिखाते हुए इंद्रेश कुमार को आरोपित किया गया उससे एक गहरी साजिश की बू आती है। क्योंकि उनकी छवि मलिन करने का सीधा लाभ उन दलों को मिलना है जो मुसलमानों के वोट के सौदागर हैं। आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कार्रवाई का देश स्वागत करता है किंतु आतंकवाद की आड़ में देशभक्त संगठनों और उनके नेताओं को फंसाने की किसी भी साजिश को देश महसूस करता है और समझता है। किसी भी राजनीतिक दल को ऐसी घटिया राजनीति से बाज आना चाहिए। किसी भी समाज के धर्मस्थल पर विस्फोट एक ऐसी घटना है जिसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है। किंतु क्या एक डायरी में फोन नंबरों का मिल जाना एक ऐसा सबूत है जिसके आधार किसी भी सम्मानित व्यक्ति को आरोपित किया जा सकता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि आखिर वे कौन से लोग हैं जो हिंदू-मुस्लिम समाज की दोस्ती में बाधक हैं। वे कौन से लोग हैं जिन्हें भय के व्यापार में आनंद आता है। अगर आज इंद्रेश कुमार जैसे लोगों का रास्ता रोका गया तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों में मुस्लिम मुद्दों पर संवाद बंद हो जाएगा। हिंदुस्तान के 20 करोड़ मुसलमानों को देश की मुख्यधारा में लाने की यह कोशिश अगर विफल होती है तो शायद फिर कोई इंद्रेश कुमार हमें ढूंढना मुश्किल होगा। इंद्रेश कुमार जैसे लोगों के इरादे पर शक करके हम वही काम कर रहे हैं जो मुहम्मद अली जिन्ना और उनकी मुस्लिम लीग ने किया था जिन्होंनें महात्मा गांधी को एक हिंदू धार्मिक संत और कांग्रेस को हिंदू पार्टी कहकर लांछित किया था। जो काम 1947 में मुस्लिम लीग ने किया, वही काम आज कांग्रेस की सरकारें कर रही हैं। राष्ट्र जीवन में ऐसे प्रसंगों की बहुत अहमियत नहीं है किंतु इंद्रेश कुमार की सफलता को उनके अपने लोग भी संदेह की नजर से देखते थे। वे सरकारें जो आतंकी ताकतों से समझौते के लिए उनकी मिजाजपुर्सी में लगी हैं, जो कश्मीर के गिलानी, मणिपुर के मुइया और अरूघंती राय जैसों के आगे बेबस हैं, वे इंद्रेश कुमार को लेकर इतनी उत्साहित क्यों हैं?

बावजूद इसके कि इंद्रेश कुमार एक गहरे संकट में हैं, पर इस संकट से वे बेदाग निकलेगें इसमें शक नहीं। उन पर उठते सवालों और संदेहों के बीच भी इस देश को यह कहने का साहस पालना ही होगा कि हमें एक नहीं हजारों इंद्रेश कुमार चाहिए जो एक हिंदू संगठन में काम करते हुए भी मुस्लिम समाज के बारे में सकारात्मक सोच रखते हों। आज इस षडयंत्र में क्या हम इंद्रेश कुमार का साथ छोड़ दें ? इस देश में तमाम लोग हत्यारे व हिंसक माओवादियों और कश्मीर के आतंकवादियों के समर्थन में लेखमालाएं लिख रहे हैं, व्याख्यान दे रहे हैं। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। क्या इंद्रेश कुमार जिनसे मैं मिला हूं, जिन्हें मैं जानता हूं, उन्हें इस समय मैं अकेला छोड़ दूं और यह कहूं कि कानून अपना काम करेगा। कानून काम कैसे करता है, यह जानते हुए भी। जिस कानून के हाथ अफजल गुरू को फांसी देने में कांप रहे हैं, वह कानून कितनी आसानी से हिंदू-मुस्लिम एकता के इस प्रतीक को अपनी फन से डस लेता है, उस कानून की फुर्ती और त्वरा देखकर मैं आश्चर्यचकित हूं। मैं भारत के एक आम नागरिक के नाते, हिंदू-मुस्लिम एकता के सूत्रधार इंद्रेश कुमार के साथ खड़ा हूं। आपको भी इस वक्त उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।

37 COMMENTS

  1. हिंदुत्व से आतंकवाद को जोड़ने के विरोध में विशाल धरना आयोजित कर स्वयंसेवकों ने दिखा दिया है कि वे ऐसा होने नहीं देंगे.

  2. मैं आपसे पूर्ण सहमत हूँ …. भविष्य में ऐसे गंदे राजनीतिबाज़ अप्रासंगिक हो जाने वाले हैं …. ये तथाकथित आज में जीनेवाले अपने कल से पूरी तरह अनजान हैं !!

    धन्यवाद !
    अशोक जायसवाल !!!!

  3. इन्द्रेशजी के बारें में क्या कहा जाये वे तो भारत की अति प्रचीन ऋषि परम्परा के वो आधुनिक .ाषि है जिन्होने अपने सम्पूर्ण जीवन को भारत माता के श्रीचरणों अर्थात भारत को परम वैभव तक पंहुचाने के लिए समर्पित कर दिया है।

  4. इन्द्रेश जी को बचने के लिए सारी दुनिया इकट्ठी हो गई और प्रज्ञा जो जेल में सड़ रही है, उसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं? कर्नल पुरोहित की उँगलियाँ tod di गई hain. kya unke bachav की jarurat नहीं जो sangh se नहीं hain?

  5. संजय जी,

    इन्द्रेश जी पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं उनकी गंभीरता को समझने की जरूरत है. इन्द्रेश्जी के मामले में एक बात अच्छी है की संघ परिवार और संघ समर्थक सतर्क हो गए इसलिए शायद कोई अनहोनी न हो. यह बात मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि प्रज्ञा सिंह मेरे साथ की अभाविप की कार्यकर्ता है.

  6. इन्द्रेश जी को फसाने की साजिश कर्ताओं का पर्दा फाश होना चाहिए. जो लोग भी एक राष्ट्रवादी व्यक्ति के खिलाफ साजिश का दोषी पाए जाते हैं, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए.
    कांग्रेस ने ऐसे क्षुद्र तरीके अपने राजनैतिक विरोधियों को फंसाने के लिए समय समय पर उपयोग किये हैं. न केवल विरोधियों पर बल्कि कई कांग्रेसी नेता भी इसका शिकार हुए हैं. कुछ नेताओं को जान तक गंवाना पड़ा है.
    उदाहरण स्वरुप ऐसे नेताओं का उल्लेख कर रहा हूँ जिन्हें बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी
    डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी, लालबहादुर शाष्त्री, फिरोज गाँधी, जय प्रकाश नारायण, सरदार भगत सिंह. सुभास चन्द्र बोस ये श्रीन्खला अनंत हैं. सत्ता प्रतिष्ठान पर बैठे लोग किसी के खतरा बनाने पर उसको रास्ते से भी हटाने से नहीं चुकते. संघ आज कांग्रेस के लिए चुनौती बन गया है . कांग्रेस के पुरोधा हर हाल में संघ को बीट करना चाहते हैं. कांग्रेस ने युद्ध का शंखनाद कर दिया है. देखते हैं संघ कैसे निपटती है. कहते हैं प्यार और जंग में सब जायज होती है. शायद कांग्रेस पार्टी ने ये टीप दिल से लगा लिया है.
    मुझे याद है मलेसिया में वहां के प्रधानमंत्री मुहथिर बिन मोहम्मद ने उप प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम के खुद के लिए खतरा बनाने पर उसे समलैंगिक सम्बन्ध के आरोपों में दस साल की सजा दिलवा दी थी. ऐसे शिकार किया जाता है विरोधियों का. हर्र लगे न फिटकरी रंग चोखा आ जाये. सैयद मोदी हत्याकांड में अमेठी के राजा संजय सिंह को जो परेशानी झेलनी पड़ी शायद आपको पता हो. वजह कांग्रेस का साथ छोड़ जाना. यदि संजय कांग्रेस के साथ रहते तो ऐसा नहीं होता.
    खैर इस पार्टी में राहुल गाँधी जैसे विद्वान मौजूद हैं, हम और कर भी क्या सकते हैं. सिमी के साथ संघ की तुलना करते समय उसकी जबान को खिंच लेना था. कांग्रेसियों को आतंकवादी करार देकर सबको कठोर सजा दिया जाना चाहिए. और सरकार बदलने पर उनके साथ गद्दार की तरह से पेश आना चाहिए. कांग्रेसी गद्दारों को देश के दुश्मन समझा जाना चाहिए. इस पार्टी की राजनीतिक मान्यता ख़त्म करके लश्कर की श्रेणी का आतंकवादी करार दे दिया जाना चाहिए. इसके शीर्ष नेताओं को फांसी दे देनी चाहिए. और बाकी के बारे में निर्णय अमेरिका द्वारा तालिबान पर की जानी वाली कार्यवाही के अनुसार की जानी चाहिए.

  7. Bhai pradeep ee i have said according to what is written by Sanjay Dwivedi on ths article. Its nothing personal as u r taking it.
    By the way i dont need (interested even) to learn these kind of ideological discourses.
    U live with urs and let others live too.
    DONT INDOCTRINATE PLZZZZ
    OKKKK
    Take cre

  8. bhai B K Sharma ji, jisne hame main or mera pariwar se badhkar mera desh or mere samaj ke liye jina sikhaya.. bharat ko mata kahana sikhaya to main manta hu mai sahi khanche me bandha hun.. un se to behtar jinko parwah nahi desh me kya ho raha he mujhe kya matlab? sangh wo sangathan he jisme karya karne wala swayamsewak mahapurushon ki prerana se karya karta he… or rahi baat dene ki jis sangthan ne hamse hamara tan managa dhan manga or jivan manga to me bhala usse kya apeksha karunga.. ye to wo vat vriksh he जिसके ek tane par hajaron shakhayen निकलती हें…और un shakhaon se patte nikalte हें.. aaj samaj me sangh ne चरित्रवान लोग khade kiye हें जिसके karan अपना bharat un sab swayam sevakon ke man और mastisk me saidev jivit he… to koi vyakti esa ghranit karya karne ki soch bhi nahi sakta.. और rahi baat sath dene ki jo desh और samaj ka kaam karta he uske peechhe swaym bhagawan सहायता karte हें.. और mere kya kai ese लोग हें jo संघ se prerna lekar samaj ki seva ka kaam karte हें और kabhi संघ wahan shreya lene nahi jata na hi uske karya karta… और इन सब बातो को मन कर चलना पागल पण ya अंध bhakti he तो desh और samaj ki seva ke liye me aajanm ise sweekar karta rahunga….अगर ये सब करना आपको साम्प्रदायिक ya dreshdroh lagta he तो ये आपको sochna hoga… और me संघ se kabhi apeksha rakhata ki vo mere liye kuchh kare.. me स्वयमसेवक रहूँ न रहूँ पर desh और samaj ka sevak jarur rahunga….sharma ji अगर आप और vyktigat charcha chahte हें तो pls मेरे mail पर sandesh avasya karen aapka sadaiv swagat he.. aryap.aryap@gmail.com

  9. प्यारे संजय भैया आपकी इस टिपण्णी से लगता है आप हमें बताना चाहते हो की rss से जुड़ना नहीं चाहिए लेकिन जिस rss ने हमें जीना सिखाया है, सबसे प्रेम करना सिखाया है, उसके बारे में टीवी न्यूज़ , या प्रिंट मीडिया की टिपण्णी से धरना बनाना गलत hai

  10. इन्द्रेश जी ने सिर्फ मुस्लिम को ही नहीं दलित की आवाज़ को भी अभिव्यक्ति दी ,तिब्बत की मुक्ति , नेपाल को मऊवाद से बचाकर लोकतंत्र को इस्थापित करने मे भूमिका निभाई ,कश्मीर की आसली आवाज़ भारत व् विश्व सुनाई ,भारत मे सीमा पार से आने वाले विदेशी धन ,नशीली पधार्थ ,हथियार पर हिमालय परिवार इस्थापित किया जिनको इसकी हानि हो ररही हे वे केवल इन्द्रेश जी के ही नहीं देश के भी दुश्मन हे .गिरीश जुयाल

  11. Bhai Pradeep ki Batton se lagta hai ki woh kisi khanche me bandhe hue hain or sirf wahi duniya ko dikhana chahte hai jo wo dekhte hain.lage raho bhai….

    – Bikash K Sharma

  12. संजय सर आप की बात से में सहमत हू…और एक बात ये कहना चहुँगा की मैं भी जिस इन्द्रेश जी को जनता हू…वो ये तो नहीं ही हो सकते …जो वयेक्ति अपने पूरे लगन और निष्ठां क साथ गंगा जमुना सस्कृति को जोड़ने क लिए लगा हो वो ऐसा कार्य कर ही नहीं सकता…और दूसरी बात तो ये है की सघ के प्रचारक तो राष्ट्र को परंवैभव पर पहुचने का संकल्प ले कर निस्वार्थ भाव से सेवा करते है..वो एषा कर ही नहीं सकते…जहा तक मुझे लगता है ki इन दिनों कांग्रेस तमाम समस्याओ से घिरी पड़ी है…और लोगो के कोप का भागी बन रही है….इसी लिए वो लोगो का धयान बाटने के लिए इस तरह का काम भी कर रही है……जो निंदनीय है…….. सौरभ मिश्र

  13. जिस इंसान ने अपनी जिंदगी के ४० साल देश और समाज के लिए लगा दिए हो उस वयक्ति के ऊपर इस प्रकार के आरोप से केवल राजनीति की बू ही आती है आज समाज को एक नहीं हजारो इन्द्रेश कुमारो की जरुरत है हम सब हर प्रकार से उनके साथ है भारत माँ की सेवा का प्रण जिन भी देशभक्तों ने लिया है उन को इन तकलीफों से तो गुजरना ही पड़ता है क्योकि :

    “यू ही नहीं इस देश मैं, खुशियों के चमन खिलते है,
    जरा आँख उठा कर देख ए विश्व, यहाँ दीप नहीं जीवन जलते है “

  14. दरअसल यह सारा मामला और गहराई के साथ जांच पडताल चाहता है। किसी मुलजिम की डायरी में किसी शख्‍स का नाम लिखे होने से उसे उसके साथ कैसे फंसाया जा सकता है । इंद्रेश जी का सारा केस इसी बिंदु पर टिका हुआ है। हूकुमत आरएसएस के नेतृत्‍व को आतंकवादी करार देने पर आमादा हो रही है अत: वही सब बाकायदा किया जा रहा है। सीबीआई ने अपनी विश्‍वसनीयता खो दी है। सीबीआई केंद्र सरकार के इशारे पर नृत्‍य करने वाली वाली ऐजेंसी बन कर रह गई है। हवाला मामला इसका सबसे अहम उदाहरण है कि कैसे महज जैन डायरी के आधार पर निर्मित केस की धज्जियां कोर्ट में उड़ गई और सभी मुलजिम बाइज्‍जत बरी कर दिए गए।

  15. वी के शर्मा जी आर एस एस कब अपने कार्यकर्ता के आगे पीछे नहीं रहा.. मा. इन्द्रेश जी के पक्ष में पूर्व सर संघ चालक जी ने अपना वक्तव्य मीडिया में दिया हे और संघ एवं उसके कार्यकर्ता एसा घ्रणित कार्य कभी नहीं करते तो इसमें डरने की क्या बात हे कुछ आरोप हम पर लगा दिए तो समझो देशद्रोही दर अगये हैं बोखला गए हैं संघ कार्य से … संघ का कार्य ईश्वरीय कार्य हे..और संघ के कार्यों को समाज जनता है.. जब समाज में कोई विरोधी प्रतिक्रिया नहीं तो सम्माज के लोगों का संघ कार्य पर आज भी भरोसा है.. संघ के कार्य कर्ताओं के लिए तो इसे कंटक पथ अनेक मिले हें और मिलते रहेंगे..इसकी प्रमाविकता का कोई पर्याय नहीं है.. तो क्यों इसका स्पष्टि कारन देकर अपना समय व्यर्थ गंवाया जाये ..शर्मा जी आपकी सोच गलत ही नहीं आधूरी भी हे… संघ आज भी कार्यकर्ताओं के कार्यों और चरित्र पर टिका हे… आपकी सोच का क्या कारन हे कृपया बताने का कास्ट करें…

  16. दिवस दिनेश गौर जी समर्थन के लिए धन्यवाद. राष्ट्रवादी शक्तियों पर हमला कोई नई बात नहीं है. असल में इन आसुरी शक्तियों के पास अपार धन होता है और इनका पैसा ही बोलता है. ये सब चीजों को खरीद लेते हैं या जुगाड़ लेते हैं. हमें इनसे सावधान रहना होगा. यदि इन्द्रेश जी ने खूब पैसे बनाये होते तो शायद किसी की हिम्मत नहीं होती इन पर कीचड उछालने की. चाहे इन्होने कोई भी अपराध किया होता.
    दूसरा दोष धारा के विपरीत बहना है. इन्द्रेश जी ने जो काम किया वो उनके कई दुश्मन पैदा करता है. इससे इन्द्रेश जी को ऐसी परेशानी होना ही था.
    यदि इन्द्रेश जी सेकुलर खेमे में होते तो बड़े लीडर कहलाते और कोई भी उनका बाल भी बांका नहीं कर पता.
    पैसों के बल पर आजकल वोट बैंक भी मंबूत होते हैं. इन्द्रेश जी इमानदार होने की वजह से फँस गए.

  17. निस्वार्थ और निश्चल भावना के साथ भारत माँ के चरणों में अपना जीवन अर्पित करने वाले एक युग पुरुष का नाम है इन्द्रेश . हिमालय को भी शीत में कठोर थपेरो को झेलना पड़ता है पर इससे उसकी सुन्दरता और भी उभरती है .
    इस बे बुनियाद और मन गढ़िथ आरोप के आधार पर सरकार देश को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. भारत की जनता मुर्ख नहीं है और मीडिया द्वारा दिखाई जा रही एक तरफ़ा कहानी पर कोई विश्वाश नहीं करेगा.
    इन्द्रेश जी आप निडर और अडिग रह कर अपने सच्चाई के पथ पर बने रहिये क्यूंकि भारत के अगले चमकते सूरज आप ही है.

  18. आम इंसान आज भी शांति पसंद है, और शांति चाहता है. हम एक बहुजातीय, बहुभाषीय, बहुधर्मीय देश भारत के नागरिक हैं, और यह हमरा धर्म है की अपनी एकता और अखंडता को शांति और प्रेम सन्देश से बचाएं.

  19. इन्द्रेश जी जैसे आदर्श व्यक्तित्व सदियों से इसी तरह तकलीफ उठाते रहे हैं.. इस कुपरम्परा को रोकना बहुत जरूरी है.

  20. इंद्रेश कुमार ने संघ में कोई नया विचार नहीं लाया बल्कि उन्होंने उसके अनुकूल काम को बढ़ाया है जो मुस्लिम समाज के पूर्वाग्रह की वजह से पहले नहीं हो पाया था। इस बीच कुछ छद्म राष्ट्रवादियों की आतंकी गतिविधियों में कथित संलिप्तता इस मार्ग में बाधा बन रही है। जहाँ तक डायरी में मोबाइल नंबर मिलने का सवाल है तो संघ जैसे लोकतांत्रिक संगठन में किसी भी व्यक्ति का आ जाना व किसी बड़े अधिकारी का मोबाइल नंबर रख लेना कोई आश्चर्य की बात नहीं। मैं तो कहता हूँ कि आरोपी सुनील जोशी की डायरी में सैकड़ों लोगों के नंबर होंगे। क्या सब अजमेर ब्लास्ट में शामिल थे?

    अभी तो चार्जशीट में नाम भी नहीं है इंद्रेश जी का फिर भी इतना उछाला जाना स्वयं ही छद्मधर्मनिरपेक्षतावादियों की नी बयां कर रहा है।

  21. इन्द्रेश के साथ नहीं खड़े होकर आरएसएस ने एक बार फिर जाहिर कर दिया है कि वो न तो कभी मुसलामानों कि हितेषी थी, न है ओर न कभी होगी.
    संजय जी ने बहुत ही सही ढंग से अपना समर्थन इन्द्रेश को दिया है ओर वो भी तब जब उनके साथ खुद आरएसएस खड़े होने से घबरा रहा है.
    आरएसएस करने वाले सभी युवा सथियों से मेरा आग्रह है कि अब भी सतर्क हो जाएँ. जब इन्द्रेश के साथ ये हो सकता है तो फिर हमारी ओर अपकी बिसात ही क्या है.

  22. संजय सर की बात में दम है. वैसे मैं बता दू की राजस्थान की सरकार और राजस्थान की पुलिस अपने आप को चर्चा में लाने के लिए ये सब शिगूफे रचती है. इन्द्रेश जी से मैं कभी नहीं मिला लेकिन अगर उन पर आरोप लगाया गया है तो उन्हें भी इसका सामना डटकर करना चाहिए और जब वे यहाँ से बेदाग निकलेंगे तब संघ का नाम और भी रोशन होगा…

    अंकुर विजय
    हिन्दुतान टाइम्स
    दिल्ली

  23. हाँ संघ में मुस्लिमों के हित की बात करने वाला चेहरा है इन्द्रेश जी का… याद है एक परिचर्चा के सिलसिले में मोहम्मद अफजाल से मिला था. वे कश्मीरी गेट के पास ही कहीं रहते हैं. पंद्रह मीनट की बात चित में अफजाल साहब ने पांच सात मीनट इन्द्रेश जी के सम्बन्ध में ही बताया. दो साल पहले मैंने पहली बार इन्द्रेश जी का नाम सुना था. उन पर जिस तरह के आरोप लग रहे हैं.. विश्वास नहीं होता.

  24. इस विषय पर आपकी पोस्‍ट अन्‍य ब्‍लाग पर भी है, मैं वहाँ अपनी टिप्‍पणी दे चुकी हूँ लेकिन यह पोस्‍ट जब दोबारा दिखायी दी तो टिप्‍पणियां पढने के लिए आयी थी लेकिन यह अन्‍य ब्‍लाग पर है। इस विषय पर तो जितनी भी टिप्‍पणी दी जाए कम है। अभी तो ऐसा लग रहा है कि जैसे कृष्‍ण ने शिशुपाल को कहा था कि तुम जब तक सौ गल्तियां नहीं करोगे तुम्‍हारा वध नहीं करूंगा लेकिन जैसे ही सौ हो जाएंगी तुम्‍हारा सर कलम कर दिया जाएगा। तो ऐसे ही कांग्रेस की यह सौवी गल्‍ती दिखायी दे रही है। ऐसे कुटिल संस्‍था का जितनी जल्‍दी अन्‍त हो उतना ही देशहित होगा।

  25. मुझे श्री इन्द्रेश जी के काफी नजदीक रहने का अवसर मिला हे और हमेशा उनके द्वारा किये जा रहे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रयासों के बारे में प्रश्न पूछता हूँ… उनके उत्तर सुनकर और उनकी जानकारी युक्त बातें जन कर एसा लगता हे की संघ में एक एसा पुरोधा हे जो हिन्दू मुस्लिम एकता की नीव का काम कर रहे हें. उनका कहना हे जो मुस्लिम इस धरती को अपनी माता मानता हे यहाँ की संस्क्रती को अपनी सस्कृति मानता हे वो व्यक्ति हिन्दू हो या मुसलमान वो हमारा भाई हे… और हमें उन सब को साथ लेकर चलना होगा.. पर जब आज उन पर इसे आरोप लगे देखता हूँ तो समझ में आरहा हे की राजनितिक लोग अब उनके इन प्रयासों से दर गए हें.. उनको अपनी दूकान बंद होने का खतरा नजर आने लगा हें… में आभी तक मीडिया के लोगो को बुरा बोलता आया हूँ पर आज जब एक मीडिया के व्यक्ति का ये लेख पढ़ा तो मेरी भी धरना कुछ बदलने सी लगी हे … संजय जी द्विवेदी जिअसे लोगो को देख कर लगता हे की सत्य अभी जीवित हे… मीडिया का स्वाभिमान जिन्दा रखने वाले लोग अभी हें…

  26. इन्द्रेश जी ने अपना सारा जीवन स्वेक्षा से माँ भारती के चरणों में अर्पित किया है, जिसने देश सेवा का व्रत लिया है वो ऐसे आरोपों से तनिक भी विचलित नहीं होगा…
    इन्द्रेश जी राष्ट्र पुरुष हैं और पूरा राष्ट्र उनके साथ खड़ा है…

  27. जिस इंद्रेश कुमार को मैं जानता हूं !! क्या उन्हें अपने अच्छे कामों की सजा मिल रही है -by – संजय द्विवेदी

    संजय द्विवेदी जी आपका निम्न सन्देश का सारे देश में प्रसार होना चाहिए :

    (१) इंद्रेश कुमार, आरएसएस नेता, मुसलमानों और हिंदू समाज के बीच संवाद के सेतु हैं.

    वह RSS का उदारवादी चेहरा हैं.

    (२) मुलमानों के बीच काम कर देश की एकता का काम कर रहे हैं.

    (३) अभी इंद्रेश कुमार अभियुक्त नहीं है.

    (४) हमें इंद्रेश कुमार चाहिए, जो संघ में रह कर, मुस्लिम समाज के बारे में सकारात्मक सोच रखते हैं.

    – अनिल सहगल –

  28. इंद्रेश जी पर लगाया गया यह आरोप, आर एस एस और सीमी की तुलना जैसा, दूसरा अवतार है। (१) पहले रणनीति तैय्यार हुयी। (२) सोचा, अब किस संघवाले को सरलता से फंसाया जा सकता था? (३) इंद्रेश कुमार जी में कुछ संभावना दीखी। (४) जब वे मुसलमानों को संघके निकट लाना चाहते थे/है, तो फो. नं. तो मिल ही जाएंगे। और मिल भी गए।(५) **काम सफल हो गया**
    जब तक तिकडम चलेगा, तब तक कांग्रेसको लाभ पहुंचेगा, बादमें और कोई तिकडम निकाला जाएगा, फिरसे फंसाने के लिए।मराठी कहावत: गाजर की सीटी बजी तो बजी, नहीं बजी,तो गाजर खा जाएंगे।भले इंद्रेश जी पर कोई आरोप प्रमाणित ना हो, कांग्रेसको “शॉर्ट रन में लाभ” तो मिल ही जाएगा। यह रणनीतिक, कूटनीतिक,चाल है। भोली जनता समाचार को पंक्तियों के बीच (बिट्विन द लाइन्स), नहीं पढती। वह तो मानके चलती है, जो समाचार पत्रमें आता है, सच होता है।ऐसा होता था। अब नहीं होता। मिडिया भ्रष्ट है।
    दुर्जन के लिए सारे रास्ते होते हैं, सज्जन को ही सारी नैतिकता सोचनी पडती है। कौरव १०० हैं, पर पांडव केवल ५, इस जन तंत्रके राजमें ५ पांडव १०० कौरवों से कैसे जीतेंगे? भारत का भला कब होगा? ===संजय द्विवेदी जी धन्यवाद॥ संघ राष्ट्रीय है।उसका नाम भी यही बताता है।===

  29. आदरणीय संजय जी १०० फीसदी सच के साथ आपके इस महत्वपूर्ण लेख के लिए आपका धन्यवाद| ६३ वर्षों से यही निजाम चलता आ रहा है| जब भी कोई राष्ट्र भक्त सामने आकर इस बर्बर कांग्रेस सरकार को चुनौती देता है, तब तब इनकी तरफ से उसे इसी प्रकार दुष्प्रचारित किया जाता है| और जहाँ वे उस राष्ट्र भक्त की छवि को नहीं बिगाड़ पाते तो उसे मरवा दिया जाता है| श्री जय प्रकाश नारायण और श्री लाल बहादुर शास्त्री इसके उदाहरण हैं| दोनों की मृत्यु संदिग्ध अवस्था में हुई थी| यहाँ तक की शास्त्री जी का तो पोस्टमार्टम भी इन कमीनों ने नहीं होने दिया जबकि स्वयं शास्त्री जी की पत्नी ने पोस्टमार्टम की मांग की थी|
    और अभी के समय में देखें तो इसी प्रकार श्री नरेन्द्र भाई मोदी पर भी कीचड उछाला जा रहा है| इसी प्रकार प्रवक्ता.कॉम पर चतुर्वेदी जी द्वारा बाबा रामदेव पर भी कीचड उछाला जा रहा है| इन्द्रेश जी की राष्ट्र भक्ति से घबराकर ही इस बर्बर सरकार ने यह घिनौना कृत किया है|
    शिशीर चन्द्र जी की बात से पूर्णतया सहमत हूँ कि यह कांग्रेस राष्ट्रवादी शक्तियों पर आतंकवाद की तोहमत लगा रही है| हम सब को इन्द्रेश के साथ खड़े होना चाहिए और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए|

  30. संजय द्विवेद्फ़ी जी वास्तव में इन्द्रेश जी ख़तरा बन रहे हैं देश को तोड़ने वालों के लिए. वे मुस्लिम समाज को भारत की मुख्य धारा से जोड़ने के काम को सफल बना रहे हैं. ऐसे में उन्हें बदनाम करने का मौक़ा कसे छोड़ा जा सकता था. एक तीर से दो निशाने, इन्द्रेश जी के बहाने संघ को भी नाप daalenge. soniyaa जी के sapuut aur chidambaram mahoday apanee hindu wirodhee neeyat का parichay de hee chuke हैं. aisaa lagataa hai ki ye aapas में asambadh lagane waalee sabhee ghatanaayen kise एक hee sochee-samajhee saajish का ang हैं jisakaa shikaar इन्द्रेश जी को भी banaayaa gayaa hai.
    देश के nastaa भी hazaaron baar aatanjwaadiyon से baatcheet के लिए milate rahate हैं. fir to un sab netaaon को naamzad karke nyaayaalay में pesh karanaa chaahiye. yadi nasheen to fir इन्द्रेश जी hee kyon ? उन्हें भी मुस्लिम समाज के logom से milanaa padataa hai. isake binaa उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने का काम sambhaw naheen. hazooron milane वालों में से koii hindu ya मुस्लिम kise aparaadfh में shaamil ho gayaa to kyaa वे aparaadhee jitanon से mile, un sab को pulees ne naamjad kardiyaa kyaa ?atah lndresh जी par lage dheele-dhaale aroop एक saajish aur badneeyat prayaas lagataa hai.

  31. मैं आपकी बात का पुर्णत: समर्थन करता हुँ,मैं इन्द्रेश जी की तीन बार बैठक मे भाग ले चुका हुँ,और यकिन मानिये इतना सुलझा हुवा व्यक्तित्व है कि आप को पता ही नही चलता है कि आप बैठक मे बैठे है,हँसी की फ़ुलवारी फ़ुटती रहती है,फ़िर उनकी अदभुत प्रतिभा,राजस्थान का निवासी होने का कारण मुझे पता है कि कोटा जैसे क्षेत्रो मे जहा संघ के कार्यकरताओ तक को पता नही होता है कि इन्द्रेश जी आने वाले वही अनेकों मुस्लिम उनके स्वागत के लिये घन्टॊ खडे रहते है,एसी स्थिति मे सत्तारुढ पार्टि के गॄह मन्त्री की नींद उडना स्वाभाविक ही है,उनकि रोजी रोटि ही संघ विरोध पर चलती है,महाराष्ट्र के गॄह मन्त्री की यात्रा के बाद से ही ये नाटक रचा गया था,पहले एक गुमनाम से स्व्यंसेवक को पकडा गया जो केंसर से पीडित अपनी माँ से मिलने आया था,उसे पकड कर पहले पुलिस ने कहना शरु किया ये मुख्य आरोपी है फ़िर तीन चार को ओर पक्डा कोयी सबुत नही मिला छोड दिया,फ़िर उसको एक मर चुके आदमी जोडा ओर कहा गया कि ये मरा हुवा आदमी मुख्य आरोपि लेकिन कोयी सबुत नहीं,फ़िर असीमानन्द से जोडा गया,फ़िर इन्द्रेश जी से………………..पुरी की पुरी नोटकी है,और ये इस बात का घोयतक है कि राज्स्थान में अब कोंग्र्से की कब्र खुदने वाली है,अनेको स्थानो पर जमानते तक जब्त हो जायेगी,जातीवाद को फ़ैला कर जीती यह पार्टी ये सोचती है कि वो हमेशा सत्ता मे रहेगी तो बह्त भ्रम मे है राजश्थान के हिन्दु इन्द्रेश जी को कोन्ग्रेस से बहुत ज्यादा जानते है,जो भी व्यक्ति उनसे एक बार भी मिला है वो भाईसहाब के सोम्य,मॄदु,विध्वाता पुर्ण व्यक्तित्व से प्रभावित हुवे बिना नही रह सकता,संघ के प्रत्येक अखिल भारतिय अधिकारी के प्रवास पहले से तय होते है उन्हे कहा रुकना है किससे बात करनी है,किनको सम्बोधित करना है,किनसे सम्पर्क करना है,कहा भोजन करना है,कहा ठहर कर विश्राम करना है पहले से तय होता है,अधिकांश किसी स्वयंसेवक के घर या कार्यलय में रुकते है,और हमेशा उनके साथ कार्य्कर्ता रहते है अत: सब बाते सिरे से बकवास है
    हाल ही में सम्पन्न हुवे इक कार्यक्रम मे पुजनीउ सुद्र्शन जी ने कहा कि ये सब बाते हिन्दु को भी आंतंगी सिध कर उन्हे मुस्लिम आंतग्वादियो के बराबर खडा करने कि कोशिश है.
    सरकारे मुस्लिम आंतग्वाद को रोकने मे बुरी तरीके से नाकाम रही है,अपनी उस असफ़लता को छुपाने और हिन्दु आक्रोश से बचने के लिये हिन्दुओ को कठघरे मे डालना जरुरी है अत: ये र्डामा रचा गया है।कोयी लाख कहे मजहब का आंतग से सम्बंध नही होता लिकिन मजहब का नाम लेकर मारने वाले ही खुद को ज्यादा सच्चा मानते है।
    ये आरोप इस लिये लगाया गया है ताकि अभि हाल ही मे पकडे गये स्थानिय मुस्लिम आंतगवादी की खबर छुप जाये,एक तो १० साल से हिन्दु नाम रख कर रह रहा था,बाकि को जासुस ने पैसो का पर्लोभन देकर फ़ुसलाया था,सिमी का राजस्थान में जबर्द्स्त नेट्वर्क है जिसे भेदने मे अभी तक सरकार नाकाम रही है,जो सुचना मिलि है उसके मुताबिक पुलिस मुस्लिम युवाओ के पिछे हाथ धो कर पडि है जो कभी भी सीमी के सद्स्य रहे थे,लेकिन अभि तक ज्यादा हाथ नहि लगा था पर कुछ दिन पहले ही कुछ युवाओ को पकडा है.
    जानकारी के लिये बता दु कि २००८ में जब पुलिस ने बटाला हाउस के मुख्य आरोपियो को शरण देने वाले तीन युवा आंतग्वादियो को जोधपुर से पकडा था तो चन्द मिनटो मे ही मुस्लिम पक्ष ने हजारो की तादाद मे जोध्पुर के मुख्य चोअहराहे पर कब्ज्जा कर लिया और धमिक देती हुवे नमाज पढ अपनी ताकत से हिन्दुओ ओर पुलिस को डराने का प्रयास किया लेकिन पुलिस की सख्ति से अपने कदम वापस खिचने पडे उनको और माफ़ी भी मांगी थि,इस तरिके से पाटक गण समझ गये होंगे कि कैसे पुलिस के प्रति नारजगी मुस्लिमो मे बढ रही है,उसको “बैलेंस” कैसे किया जये उसका यह बडा तरिका है,लिकिन इसा करके सरकार खुद अपने पैरो पर कुल्हाडि मार रही है……………………….

  32. संजय द्विवेदी जी मैं भी छत्तीसगढ़ से हूँ. इसमें कोई शक की बात नहीं कि उन्हें फंसाया गया है.इन्द्रेश कुमार जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व को आरोपित करना सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे लोगों को शोभा नहीं देता. खैर, आशा करता हूँ कि इन्द्रेश्जी बेदाग़ निकलेंगे. इस परीक्षा कि घडी में हम सबको इन्द्रेश जी के साथ खड़े होना चाहिए. यदि इन्द्रेश जी आतंकवादी हैं तो हम सभी आतंककारी हैं. सारे स्वाभिमानी लोगों को एकजुट होकर उनका समर्थन करना होगा, अन्यथा तंत्र उनकी कुरबानी पर आमदा है.
    इन्द्रेश्जी को झूठा आरोपित करना सारे देश के स्वाभिमान पर हमला है. हमें इसका डटकर जवाब देना होगा. राहुल गाँधी के इशारे पर क्या हो सकता है, यह एक संकेत है. प्रवक्ता के माध्यम से सरकार के इस कदम को सरकारी आतंकवाद कि संज्ञा देता हूँ.
    आज सरकार कि इतनी हिम्मत बढ़ गई कि वो राष्ट्रवादी शक्तियों पर आतंकवाद का तोहमत मढ़ दे? पाठकों से अनुरोध करूँगा कि इन्द्रेश जी के समर्थन में पुरे पेज रंग दीजिये. जिससे इसकी प्रतिध्वनि तंत्र को भी सुने दे. धन्यवाद.

  33. अभी हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया है की इस्लामी आतंकी समूह सुनियोजित और रणनीतिक रूप से हिंदू आतंकवाद का हौआ खड़ा कर रहा है. और इस हौए को यहाँ की शर्मनिरपेक्ष पारितियाँ भी हवा दे रही है. राहुल द्वारा संघ और सिमी की तुलना करना बिलकुल ही संयोग नहीं था संजय जी. वह भी इसी सुनियोजित अभियान का एक अंग था.आपको याद होगा की कुछ साल पहले इन्ही इंद्रेश जी को ऐसे ही कमीनों ने आईएसआई का एजेंट प्रचारित करना शुरू किया था. लेकिन उस दुष्प्रचार के दौरान भी इन्द्रेश जी कुंदन बनकर निकले थे. इस बार भी ऐसा ही होगा इसमें संदेह नहीं…बहरहाल.
    जब-तक राष्ट्र हित की बात करने के साथ ही राष्ट्रवादी संगठनों के ऊपर लगाए ऐसे भद्दे आरोपों का जबाब देने आप जैसे लोग हैं तब-तक भौकने वाले समूह अपने ही गति को प्राप्त होंगे ऐसा भरोसा है. साधुवाद संजय जी.

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