कविता

चोर वे नहीं होते जो रात्रि में चोरी करते

—विनय कुमार विनायक
चोर वे नहीं होते जो रात्रि में चोरी करते,
चोर वे होते जो रातों रात धनी हो जाते!

चोर वो नहीं होते जो रोटी चुराकर खाते,
चोर वे होते जो दूसरों की रोटी खा जाते!

चोर वे नहीं हैं जो सरकारी नौकरी करते,
चोर वे जो आय से अधिक संपत्ति बनाते!

चोर वे नहीं होते हैं जो रात में भूखे सोते,
चोर वे हैं जो अवैध धनार्जन में लगे होते!

चोर वे नहीं जो पेट भरने हेतु चोरी करते,
चोर वे होते जो सरकारी कुर्सी खरीद लेते!

चोर वे नहीं जो शिक्षार्थ कुछ वक्त चुराते,
चोर वे होते जो कार्यावधि में ईस अराधते!

चोरी करना पाप है ये सदा से सुनते आते,
परंतु ऊपरी कमाई पाप क्यों नहीं कहलाते!

चोरी करना अगर मानव जाति की बुराई है,
तो लूटपाट, हत्या, बलात्कार क्या कहलाते?
—विनय कुमार विनायक