ये है दिल्ली मेरी जान

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-लिमटी खरे

राजा युवराज साथ साथ होंगे सक्रिय

कांग्रेस के ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के कुलदीपक युवराज जयवर्धन सिंह के मन मस्तिष्क में भी राजनीति के बियावान में हाथ अजमाने की इच्छाएं कुलाचंे मारने लगी हैं। राजा और युवराज दोनों ही सक्रिय राजनीति में एक साथ पदार्पण कर सकते हैं। युवराज जयवर्धन सिंह ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में कहा है कि वे 2013 में योजना बद्ध तरीके से कांग्रेस की सदस्यता लेकर सक्रिय राजनीति में पदार्पण करेंगे। जयवर्धन की शिक्षा दीक्षा सुप्रसिद्ध दून स्कूल और फिर श्रीराम कालेज से वे वाणिज्य स्नातक हैं। कम ही लोग जानते होंगे कि मेनेजमेंट की पढ़ाई करने के इच्छुक जयवर्धन योजना आयोग के लिए काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह ने 2003 में विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित होने के उपरांत दस साल तक चुनाव न लड़ने का कौल लिया था, जिस पर वे आज भी कामय हैं। 2013 में उनकी यह कसम पूरी होने जा रही है, तब वे सक्रिय होंगे, पर अपने इकलौते पुत्र जयवर्धन के साथ। राजा दिग्विजय सिंह अभी कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को राजनीति का ककहरा सिखा रहे हैं, तो निश्चित तौर पर उन्होंने अपने सपूत जयवर्धन को भी राजनीति के दांव पेंच से वाकिफ करा ही दिया होगा।

जदयू, भाजपा: हनीमून इज ओवर

जैसे जैसे बिहार में चुनावों की तारीखें पास आती जा रही है, वैसे वैसे भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाईटेड की संयुक्त सरकार में दरारें बढ़ती जा रही हैं। पोस्टर विवाद से आरंभ हुए इस झगड़े के उपरांत भाजपा और जदयू के नेताओं के बीच वार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। बीच बीच में अवश्य ही सीज फायर की स्थिति बन जाती है, किन्तु राख के नीचे शोले जलते दिखाई पड़ ही रहे हैं। दरअसल कुल मिलाकर झगड़ा सत्ता की मलाई दुबारा चखने का है। जदयू को लगने लगा है कि वह अकेले ही बिहार में सरकार बनाने की स्थिति में है, तो उधर भाजपा भी कम मुगालते में नहीं है। लालू पासवान और कांग्रेस भी अपने अपने स्तर पर जोर अजमाईश में लगे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि वे नरेद्र मादी को बिहार में घुसने नहीं देंगे। निंितीश के बयान ने ठहरे हुए पानी में एक बार फिर लहरें पैदा कर दी हैं। इसका कारण यह है कि हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि बिहार चुनाव अभियान के दौरान नरेंद्र मोदी अवश्य ही शिरकत करेंगे।

कॉमन वेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार से आहत हैं असलम

राष्ट्रमण्डल खेलों में तबियत से हो रहे भ्रष्टाचार से 1975 में हाकी विश्व कप के हीरो रहे पूर्व संसद सदस्य असलम शेर खान बुरी तरह आहत हैं। वे कामन वेल्थ गेम्स को भ्रष्टाचार गेम्स की संज्ञा देते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेसनीत केंद्र और कांग्रेस की ही दिल्ली सरकार की छत्रछाया में कामन वेल्थ गेम्स के नाम पर भ्रष्टाचार का नंगा नाच नाचा जा रहा है। असलम शेर खान का कहना है कि लोग आजकल स्पोर्टस से कम अर्थात सेक्स, दाम अर्थात पैसा और नाम यानी प्रसिद्धि से जोड़कर देखते हैं। असलम की इस बात में दम है कि कामन वेल्थ गेम्स के नाम पर 28 हजार करोड़ फूंककर हमे क्या हासिल होने वाला है, अगर हम एक खेल पर एक हजार करोड़ खर्च करते तो हमारी झोली में 28 स्वर्ण पदक निश्चित तौर पर आ ही जाते। अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए प्रसिद्ध असलम शेर खान के इस कथन के बाद उनके विरोधी यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि असलम भाई अगर आप कलमाड़ी के स्थान पर होते तो क्या तब भी आप भ्रष्टाचार और धन फूंकने की बात इतनी शिद्दत के साथ करते!

दत्त परिवार में अब आल इज वेल

नरगिस और सुनील दत्त के पुत्र पुत्रियों के बीच अब युद्ध समाप्त होता दिख रहा है। कल तक नम्रता, प्रिया दत्त और संजय दत्त के बीच जबर्दस्त अंर्तविरोघ की स्थिति बनी हुई थी। संजय दत्त के निवास पर उनकी पत्नि मान्यता ने एक पार्टी का आयोजन किया था। यह आयोजन ईद, गणेश चतुर्थी के साथ ही साथ एक अन्य कारण से भी काफी महत्वपूर्ण था। कारण था प्रिया दत्त के पति ओवेन रॉकन का जन्म दिन। संजय और मान्यता के घर की खुशियां एक बार फिर लौटती दिख रही हैं। संजय दत्त के घर आयोजित पार्टी मंे न केवल संजय, मान्यता, प्रिया और नम्रता के दोस्तांे ने शिरकत की वरन इसमें उनके लगभग सारे रिश्तेदार भी आए। लोगों का मुंह है, सो कहने से कहां चूके। लोगों का कहना है कि अमर सिंह के साथ संजय दत्त की दूरियों के बाद भाई बहन के बीच लड़ाई की बर्फ पिघलना आरंभ हुआ है। वैसे भी कहते हैं कि जब तक अंबानी बंधुओं के करीब अमर सिंह रहे तब तक उनके बीच तलवारें खिची रहीं। अमिताभ और गांधी परिवार के बीच भी यही स्थिति रही।

ममता के राज में मूषक को लगता है पहले भोग

भगवान गणेश का वाहन चूहा हर घर में सभी प्रकार के अनाज का भोग पहले ही लगा देता है। यही आलम ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले रेल विभाग का है। यात्रियों के लिए बनने वाला भोग पहले चूहों द्वारा चखा जाता है फिर उसे रेल में सफर करने वाले मुसाफिरों को परोसा जाता है। पुरानी दिल्ली के प्लेटफार्म नंबर 20 के सेल किचन में आम मुसाफिरों के लिए खाना बनाया जाता है। रेल विभाग के अधिकारियों की अनदेखी से कटी सब्जियों, और अन्य खाद्य सामग्रियों पर चूहे सारे दिन उछल कूद मचाते रहते हैं। चूहों के कारण भोजन दूषित हुए बिना नहीं रह पाता। रेल में पेन्ट्री कार में भी चूहे और काकरोच का जलजला देखते ही बनता है। रेल विभाग के अधिकारियों द्वारा भी इस बारे में कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। चूंकि यात्रियों को इसके बारे में पता नहीं चलता है, वरना आंखों देखी मक्खी भला कौन निगलेगा। हो सकता है कि पश्चिम बंगाल पर कब्जा करने की मंशा मन में रखने वाली ममता बनर्जी द्वारा भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनके वाहन चूहे को भोग लगाने की बात पर सख्ती नहीं की जा रही हो।

प्रियंका के घर की उखड़ी छत

हिमाचल प्रदेश को देवताओं की भूमि माना जाता है। इस प्रदेश के शिमला के छराबड़ा में नेहरू गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी की सदस्य श्रीमति प्रियंका वढ़ेरा का आशियान तैयार किया जा रहा है। पिछले दिनों हुई ताबड़तोड़ बारिश ने प्रियंका के घर की छत ही उखाड़ दी है। यह छत जगह जगह टपकने लगी है। प्रियंका के निर्माणाधीन घर की छत पर लकड़ी के उपर स्लेट की चादरें लगाई गईं थीं, जो बुरी तरह टपकने लगी हैं। बताते हैं कि इस स्लेट की जगह अब स्टील की चादरें लगाए जाने का प्रावधान किया गया है, जिससे प्रियंका गांधी के इस घर में रहने का मामला अब एक साल और आगे बढ़ गया है। वैसे समय समय पर प्रियंका की मां और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा इस घर को जाकर देखा जाता रहा है। कांग्रेस की राजमाता जब भी शिमला गईं तो उन्होंने अपनी बेटी के इस आशियाने को अवश्य ही देखा है। जानकारों का मानना है कि सोनिया गांधी द्वारा प्रियंका के नए आवास में महज उनकी रसोई में ही खासी दिलचस्पी दिखाई है।

लालू ने तरेरी कांग्रेस पर आंखें

कभी कांग्रेस की आंखों के तारे रहे लालू की नजरों में कांग्रेस बहुत ही अच्छा राजनैतिक दल रहा है। पूर्व रेल मंत्री और स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस, श्रीमति सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बारे में कई मर्तबा कसीदे पढ़े हैं, जो किसी से छिपे नहीं है, हाल ही में लालू प्रसाद यादव के सुर बदले बदले नजर आ रहे हैं। कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए लालू प्रसाद यादव अब पानी पी पी कर कांग्रेस को कोस रहे हैं। बकौल लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस उनका आदर्श नहीं है। सांप्रदायिक ताकतों को रोकने की गरज से उनकी पार्टी ने केंद्र में कांग्रेस को सहयोग दिया था। आजादी के उपरांत देश में जो भी समस्याएं हैं, उनके लिए कांग्रेस ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। नई पीढ़ी द्वारा झेली जाने वाली हर समस्या कांग्रेस की ही देन है। इतना ही नहीं आपात काल के दौरान कांग्रेस की नीतियों के विरोध चलते ही वे एक साल तक मीसा में जेल में बंद रहे। सवाल तो यह है कि जब कांग्रेस इतनी ही बुरी है और देश का बट्टा बिठा रही है तब आप उसके नेतृत्व वाली सरकार में पांच साल तक रेल मंत्री रहे तब आपने कांग्रेस की शान में कसीदे किस आधार पर गढ़े हैं यह बात भी जनता को उन्हें बताना ही चाहिए।

निष्ठुर हो गया जेल प्रशासन

अपराधी या आरोपी को जेल में रखा जाता है ताकि उसे समाज से इतर होने की सजा मिल सके। कैदी जब बीमार पड़ते हैं तो उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है। यह अलहदा बात है कि कैदियों में ताकतवर, पैसे और रसूख वाले तथा पहुंचसम्पन्न लोग जेल में कम अस्पतालों में ज्यादा समय काटते हैं। कैदी को जब भी अस्पताल में रखा जाता है तब उसे हथकड़ी से मुक्त कर दिया जाता है। अस्पताल का विशेष वार्ड भी जेल से कम नहीं होता है, क्योंकि यहां कैदी पहरेदारों के साए में ही रहते हैं। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक नया मामला प्रकाश में आया है। लंबे समय से अस्पताल में भर्ती कैदी संतोष कुमार को हाथ के बजाए पैरों में हथकड़ी बांधकर रखा गया है, जो मनवाधिकारों का सरासर उल्लंघन की श्रेणी में ही आता है। जेल प्रशासन द्वारा अगर किसी कैदी को हथकड़ी वह भी पैरों में लगाकर रखा जा रहा हो तो इसे जेल प्रशासन की निष्ठुरता ही माना जाएगा।

मुख्यमंत्री करें सौजन्य भेंट और पार्टी उतरे सड़कों पर

अगर किसी सूबे का निजाम जाकर केंद्र के किसी मंत्री से सोजन्य भेंट करे और समाचार चेनल्स उसे पूरी प्राथमिकता से दिखाएं, वहीं उसी सूबे की उनकी पार्टी उसी मंत्री के खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात करे तो यह नूरा कुश्ती की श्रेणी में नहीं आएगा? जी हां, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और लोक निर्माण मंत्री द्वारा केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ से सोजन्य भेंट कर उनकी तारीफों में कशीदे गढ़े जाते हैं, सबसे ज्यादा आवंटन मध्य प्रदेश को मिलने की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में यह निर्णय लिया जाता है कि भूतल परिवहन मंत्रालय के द्वारा मध्य प्रदेश के साथ पक्षपात करने के विरोध में भाजपा सड़कों पर उतरेगी। लगता है मंत्रियों को लगने लगा है कि जनता निरी बेवकूफ है जो आज कुछ कहा जाए कल कुछ और जनता मान लेगी। भाजपा का कहना है कि वह केंद्र के भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा सूबे को मिलने वाली मदद को बंद करने के विरोध में 5 से 7 अक्टूबर तक एनएच पर पड़ने वाले कस्बों में हस्ताक्षर अभियान और 22 से 24 अक्टूबर तक मानव श्रंखला बनाकर अपना विरोध दर्ज कराएगी। अब पीडब्लूडी मंत्री की बात को सच माना जाए या भाजपा के इस विरोध को।

एक महीने में ही सवा करोड़ ग्राहक

भारत देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की तादाद और उनकी गिनती करने के आधार को भले ही शंका कुशंका की नजर से देखा जाए किन्तु भारत एक मामले में तो सभी को पीछे छोड़ रहा है, और वह है मोबाईल के उपभोक्ताओं के आंकड़े को। अगस्त माह में ही देश में एक करोड़ 35 लाख ग्राहकों को जोड़ा है मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों ने अपने साथ। अब देश में मोबाईल धारकों की संख्या का आंकड़ा 49 करोड़ को छूने ही वाला है। सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के ताजा तरीन आंकड़े वाकई चौकाने वाले हैं। कहते हैं कि देश में सत्तर फीसदी लोगों की औसत आय बीस रूपए से कम है, पर फिर आधी आबादी के पास मोबाईल फोन होना अपने आप में एक अजूबे से कम नहीं है। अगर किसी के पास खाने को रोटी के लिए पैसे नहीं है तो वह फिर कम से कम एक हजार रूपए का मोबाईल, सौ रूपए की सिम और कम से कम सौ रूपए के रिचार्ज के लिए पैसा कहां से जुगाड़ लेता है, यह आश्चर्य की ही बात है।

सरकार से ज्यादा मजबूत है नक्सली नेटवर्क

देश में अलगाववाद, आतंकवाद, माओवाद, नक्सलवाद और न जाने कितने वाद फिजां में जहर ही घोल रहे हैं। सरकार की इच्छा शक्ति में कमी का घोतक है इस तरह के वादों का पोषण। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की समस्या जबर्दस्त तरीके से सर उठा रही है। देश के न जाने सपूत जानों की बाजी लगाकर अपने प्राण तक न्योछावर कर चुके हैं, किन्तु समस्या सुरसा की तरह ही मुंह बाए खड़ी है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकी राम कंवर की यह स्वीकारोक्ति काफी महत्वपूर्ण है कि सरकार से ज्यादा मजबूत है नक्सली नेटवर्क। यही कारण है कि अनेक मोर्चों पर नक्सली सरकार पर भारी ही पड़े हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों की खामियों का लाभ इस तरह की ताकतें जमकर उठाती हैं। एसा नहीं है कि सरकार को यह पता न हो कि इस समस्या के मूल में क्या है? बावजूद इसके समस्या का जस का तस बना रहना निश्चित तौर पर कंेद्र और राज्यों की सरकारों के लिए शर्म की बात है, पर मोटी चमड़ी वाले जनसेवक और विपक्ष में बैठा ‘‘मैनेज विपक्ष‘‘ जनता के साथ अन्याय होते देख कर भी आंखे बंद किए बैठा है।

पुच्छल तारा

भारत में व्यवस्थाओं को लेकर जब तब कुछ न कुछ कहा जाता रहा है। बंग्लुरू से रचना तिवारी इस मामले में एक ईमेल भेजकर इसे बेहद करीने से चित्रित कर रहीं हैं। रचना लिखती हैं कि शिक्षक ने पूछा – इंडिया क्या है?‘‘ छात्र का जवाब था कि इंडिया एक एसा देश है, जहां पिज्जा एंबूलेंस और पुलिस से जल्दी आ जाता है. . ., एक एसा देश है जहां कार का लोन 5 प्रतिशत तो एजूकेशन लोन 12 फीसदी ब्याज दर पर मिलता है. . ., एक ऐसा देश है, जहां चावल 40 रूपए किलो तो सिम कार्ड महज दस रूपए में मिलता है. . ., एक एसा देश है जहां चाय की दुकान पर लोग अखबार पढ़ते हुए फरमाते हैं कि बच्चों से काम करवाने वालों को तो फांसी पर चढ़ा देना चाहिए, और फिर नाबालिग छोटू को पुकारकर दो चाय का आर्डर देते हैं . . .।‘‘ सच है ‘अतुलनीय है भारत‘।

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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