कहां खो गया कांग्रेस का चाणक्य!
एक समय था जब देश की राजनीति में कुंवर अर्जुन सिंह को कांग्रेस की आधुनिक राजनीति का चाणक्य माना जाता था। देश में उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल पाता था। खतो खिताब की राजनीति के जनक अर्जुन सिंह चाहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या पंजाब के राज्याल या फिर केंद्र में मंत्री कोई भी उनसे पंगा लेने का साहस नहीं कर पाता था। जब अर्जुन सिंह केंद्र की राजनीति में सक्रिय हुए तो आज के सबसे ताकतवर राजनेता अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, अम्बिका सोनी, जनार्दन द्विवेदी, राजीव शुक्ला जैसे धुरंधर अर्जुन सिंह का कीर्तन कर उनके नाम की माला जपते नहीं थकते थे। आज उनके पोषकों ने ही उन्हें राजनैतिक बियाबान से उठाकर किनारे करने में कसर नहीं रख छोड़ी है। अर्जुन सिंह के लगाए पौधे आज बट वृक्ष बन चुके हैं, विडम्बना यह है कि ये सारे वटवृक्ष आज सूरज का प्रकाश अर्जुन सिंह तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं। यही कारण है कि सूरज की रोशनी के अभाव में पिछले कुछ माहों से अर्जुन सिंह का वृक्ष पूरी तरह कुम्हला गया है।
शस्त्रों से खेलते सरकारी परिवार
मध्य प्रदेश में आजकल काफी उथल पुथल मची हुई है। इसका कारण सरकारी अस्त्रों के साथ सरकारी तंत्र में शामिल नुमाईंदों के परिवारों द्वारा खिलवाड़ किया जाना है। कुछ दिनों पूर्व पुलिस अधीक्षक जयदीप प्रसाद के नाबालिग पुत्र द्वारा सरकारी बंदूक एके 47 से हवाई फायर किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनकी पत्नी साधना एवं पुत्र के हाथों में सरकारी बंदूकों के छाया चित्र विवाद को जन्म दे रहे हैं। इस दौरान शिवराज ने हवाई फायर भी किया था। एक तरफ तो केंद्र सरकार द्वारा एके 47 जैसी बंदूकों की गोलियों की कमी के चलते इसमें किफायत की सलाह दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य में एसपी के नाबालिक बेटे द्वारा सरेआम बिना लाईसेंस इससे गोली दागी जा रही है। कहने को तो महज छ: इंच के चाकू रखने पर आपके खिलाफ पुलिस आर्मस एक्ट के तहत मामला पंजीबद्ध कर सकती है, किन्तु ”समरथ को नही दोष गोसाईं”। इसके पहले भी भोपाल की एक समाज सेवी आरती भदोरिया के जन्म दिवस पर उनके अंगरक्षक द्वारा किए गए हवाई फायर के उपरांत पुलिस ने उस पर बाकायदा मुकदमा दायर किया था।
कैबिनेट बंक करने पर आमदा मंत्री
कांग्रेस सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी को राजनीति की क्लास से बंक करने में आनंद आता है तो उनके मंत्री भला उनके पदचिन्हों पर क्यों न चलें। इस गुरूवार को प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने मंत्रीमण्डल समिति की बैठक (कैबिनेट) आहूत की, जिसमें आधे से अधिक मंत्री गायब रहे। तीन सूबों में विधानसभा चुनाव होने हैं, किन्तु कांग्रेस का सबसे अधिक ध्यान महाराष्ट्र पर ही नजर आ रहा है। अधिकतर मंत्री महाराष्ट्र में ही डेरा डाले हुए हैं। कृषि मंत्री शरद पंवार, नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल, उर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारी उद्योग मंत्री विलास राव देशमुख, पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा, पीएमओ में राज्य मंत्री पृथ्वीराज चौहान, सामाजिक न्याय मंत्री मुकुल वासनिक, दूरसंचार मंत्री गुरूदास कामत, सामाजिक न्याय राज्य मंत्री प्रतीक पटेल इस केबनेट से गायब रहे। चर्चा है कि इन मंत्रियों के दिल्ली से बाहर रहने और मंत्रालयों के कामकाज पर ध्यान न देने से मंत्रालयों के कामकाज पर जबर्दस्त असर पड़ रहा है। सूबों में कांग्रेस की सरकार बने न बने यह तय है कि इन मंत्रियों के इस तरह के रवैए से देश विकास के मार्ग पर मंथर गति से ही चल पाएगा।
मुसलमीनों से युवराज को परहेज
कांग्रेस के युवराज और कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी के राजनैतिक प्रबंधकों ने भले ही दलितों के घर युवराज को रात रूकवाकर मीडिया की सुर्खियों में ला दिया हो किन्तु हाल ही में आल इंडिया यूनाईटेड मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.एम.ए.सिद्दकी ने राहुल गांधी को दलित मुसलमानों के घर रात गुजारने का मशविरा देकर नई बहस को जन्म दे दिया है। इतिहास गवाह है साल दर साल कांग्रेस का एक बड़ा वोट बैंक रहा है मुसलमीन (मुसलमानों के लिए एक पीर द्वारा उपयोग किया जाने वाला शब्द)। पिछले दो दशकों से मुसलमानों का कांग्रेस से मोहभंग होता जा रहा है, यह बात भी सच ही है। क्षेत्रीय दलों ने इस बड़े वोट बैंक में सेंध लगाकर कांग्रेस को जबर्दस्त झटका भी दिया है। यह बात भी साफ हो गई है कि राहुल गांधी मुसलमानों के घरों पर रूकने से परहेज ही कर रहे हैं। अब राहुल के प्रतिद्वंदी इस बात को हवा देने में लग गए हैं। एआईसीसी में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार राहुल को दलित गरीब मुसलमान के घर पर रूककर उसकी उजड़ी रसोई के दीदार भी करें, कि आधी सदी से ज्यादा देश पर शासन करने वाली कांग्रेस ने देश के गरीबों को क्या दिया है। चूंकि अमीर सांसदों, उद्योगपतियों के घरों पर होने वाली नौ लखा दावतों का लुत्फ तो काफी हद तक उठा चुके हैं, राहुल। अब उन्हें दलित मुसलमानों से परहेज नहीं करना चाहिए।
शौरी की मुश्कें कसने को बेताब हैं राजनाथ
एक समय में बोफोर्स के नाम पर पत्रकारिता के आकाश में पहुंचने वाले अरूण शौरी के मन में अब वही पत्रकार वाला कीड़ा कुलबुलाता दिख रहा है। यही कारण है कि वे अब पार्टी लाईन से हटकर पार्टी के बारे में अपने विचार खुलकर व्यक्त करने लगे हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक निजी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह को ”हंप्टी डंप्टी” कहकर सभी को चौंका दिया था। अरूण शौरी के साहस को देखकर चंदन मित्रा ने भी ताल ठोंकनी आरंभ कर दी है। पार्टी प्रमुख राजनाथ सिंह इससे खासे परेशान बताए जा रहे हैं। राजनाथ के सलाहकारों ने उन्हें मशविरा दिया कि वे पार्टी के मुखपत्र ”कमल संदेश” के माध्यम से शौरी और मित्रा को साईज में लाएं। कमल संदेश के पिछले अंक में संपादकीय काफी करारी लिखी गई है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं जो भाजपा को चलाना चाहते हैं, यह बात तो समझ में आती है कि बतौर पत्रकार आप सलाह दें, किन्तु यह संभव नहीं है कि आपकी सलाह पर ही भाजपा चले। एक नहीं अनेकों नसीहतें दी गई हैं, पत्रकार से नेता बने भाजपाइयों को। राजनाथ के कड़े तेवर देखकर अभी तो शौरी और मित्रा खामोश हैं, पर आने वाले समय में क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता है।
ठेके पर स्कूल
एक ओर केंद्र और राज्यों की सरकारें नौनिहालों को शिक्षित करने के लिए एडी-चोटी एक करने का प्रयास कर रहीं है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत देखकर लगने लगा है कि केंद्र और सूबे की सरकारें सरकारी धन को आग लगाने की नौटंकी से अधिक कुछ नहीं कर रही हैं। मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले के पुनावा ब्लाक की सुरगांव बंजारी प्राथमिकशाला में एक प्राचार्य ने अपना पद ही ठेके पर दे दिया। इस गांव में प्राचार्य हमेशा ही नदारत रहा करते थे। उन्होंने अपनी कुर्सी संभालने की जवाबदारी एक चरवाहे को दे दी थी। शाला के प्राचार्य ने बकायदा कुछ राशि माहवार तय कर उस चरवाहे को अपनी कुर्सी पर बिठा दिया था। मजे और आश्चर्य की बात तो यह रही कि शाला के शिक्षक और अन्य कर्मचारी उस चरवाहे के आदेश का उसी तरह पालन करते थे जैसे कि वे प्राचार्य के आदेशों का पालन करते हों। यह सारी बातें मनगढंत कहानी नहीं बल्कि शिक्षा विभाग के एक जांच दल को मिली शिकायत के बाद हुई जांच में सामने आई हकीकत है। बाद में उस प्राचार्य को निलंबित कर दिया गया। देश भर में ग्रामीण अंचलों में न जाने कितने चरवाहे, दूधवाले, खोमचेवाले शालाओं की कमान संभाले होंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल ही है।
सोनिया का उपहास उड़ातीं शीला
मितव्ययता का संदेश देकर कम से कम कांग्रेस के लोगों को सुधारने के सोनिया गांधी की चीत्कार की गूंज दिल्ली सूबे में ही नहीं पहुंच पा रही है तो शेष भारत के कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की कौन कहे। दिल्ली में तीसरी बार काबिज हुईं श्रीमति शीला दीक्षित के मातहत ही सोनिया की अपील और दिशा निर्देशों का खुलेआम माखौल उड़ा रहे हैं। दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष योगानंद शास्त्री और विधानसभा सचिव सिद्धार्थ राव एक सप्ताह के लिए तंजानिया उड़ गए। इन दोनों की इस यात्रा पर ज्यादा नहीं महज 14 लाख रूपए खर्च होंगे। इतना ही नहीं दिल्ली सरकार के दो मंत्रियों की सत्य सदन स्थित कोठियों को ”रहने लायक” बनाने के लिए भी ज्यादा नहीं महज पचास लाख रूपए ही खर्च किए जा रहे हैं। उद्योग मंत्री मंगतराम सिंघल के सरकारी आवास की फ्लोरिंग के लिए भी महज 15 लाख रूपयों की दरकार है। स्वास्थ्य मंत्री किरण वालिया की कोठी को चकाचक करने के लिए भी बस 25 लाख रूपए ही खर्च होना प्रस्तावित बताया जा रहा है। एसा नहीं कि राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी की मितव्ययता की अपील का इन मंत्रियों पर कोई असर नहीं हुआ हो। सभी विधायकों ने अपने अपने वेतन का 20 फीसदी कटवाना आरंभ कर दिया है, किन्तु बंग्लों के मामले में उनकी राय सोनिया से जुदा ही नजर आ रही है।
भूख से मरती युवराज की रियाया
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी देश भर में घूम-घूम कर भारत की खोज में लगे हुए हैं, वहीं उनके संसदीय क्षेत्र में लोग भूख से मर रहे हैं। बहुत पहले एक लघु कथा को कवि सम्मेलनों में सुनाया जाता था कि एक व्यक्ति बहुत ही बड़बोला था, कभी जर्मनी तो कभी अमेरिका की बातें कर वहां के मंत्रियों प्रधानमंत्री आदि के बारे में लोगों से पूछकर उन्हें शर्मसार किया करता था। अंत में वह कहता कि कभी बाहर घूमो तो जानो। एक शरारती बच्चे ने उससे ही उल्टे पूछ लिया ”राम लाल को जानते हो”। उसने इंकार से सर हिलाया तब वह बच्चा बोला ”कभी घर में भी रहो तो जानो”। इसी तर्ज पर राहुल गांधी देश भर की चिंता कर रहे हैं, पर अमेठी में हुई दलित नंदलाल की मौत के बारे में खामोशी की चादर आढे हुए हैं। अमेठी दौरे पर गए राहुल से उसने मदद की गुहार भी लगाई थी, किन्तु उसे आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिला, मिलता भी कैसे? राहुल को देश भर की जो फिकर सता रही है, सो घर की चिंता कौन करे?
घर से बाहर निकलने से कतराती तीरथ
देश की आधी से अधिक आबादी के हितों और विकास के लिए जिम्मेदार केंद्र सरकार का महिला विकास मंत्रालय की महती जवाबदारी संभालने वाली संसद सदस्य कृष्णा तीरथ को अपने संसदीय क्षेत्र से बाहर निकलने की फुर्सत ही नहीं मिल पा रही है। कितने आश्चर्य की बात है कि तीरथ दिल्ली में घर बैठे बैठे ही पचास करोड़ से अधिक की आबादी की चिंता कर रही हैं, यहीं बैठकर वे ढेर सारी योजनाओं को अमली जामा भी पहनाने से नहीं चूक रही हैं। केंद्र सरकार के सौ दिनी एजेंडे को पलीता लग गया। सरकार के गठन के पांच माह बाद भी तीरथ ने देश के अन्य हिस्सों में जाने की जहमत ही नहीं उठाई है। लगता है कि महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा तीरथ द्वारा गणेश परिक्रमा के महत्व को समझ लिया है। यही कारण है कि उनके लिए समूचा देश सिमटकर 10 जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) और 12 तुगलक लेन (राहुल गांधी का सरकारी आवास) में आ बसा है।
राजेंद्र शायद ही भुना पाएं विरासत
देश की पहली नागरिक महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के पुत्र राजेंद्र सिंह शेखावत के लिए अमरावती विधानसभा का चुनाव काफी मंहगा साबित होता नजर आ रहा है। एक ओर उन्हें माता जी की विरासत को बचाए रखना है, वहीं दूसरी ओर दो बार के विधायक रहे सुनील देशमुख निर्दलीय तौर पर उनके लिए परेशानी का सबब बन चुके हैं। कांग्रेस ने भले ही राजेंद्र बाबू को टिकिट दे दी हो पर कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के तरकश से निकले जहर बुझे तीरों से बच पाना उनके लिए मुश्किल ही दिख रहा है। आलम यह है कि प्रदेश कांग्रेस अमरावती से दूर ही दूर नजर आ रही है। सुनील देशमुख सरेआम यह कहते घूम रहे हैं कि राजेंद्र शेखावत को टिकिट उनकी माता प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने दिलवाई है। वहीं राजेंद्र शेखावत का कहना है कि उन्हें टिकिट उनकी मां ने नहीं वरन कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी ने खुद ही दी है। प्रतिभा पाटिल महामहिम हैं, उनके नाम का उपयोग बहुत ही संभलकर करना होगा राजेंद्र शेखावत को, वरना प्रोटोकाल टूटते ही राजेंद्र बाबू को लेने के देने न पड़ जाएं।
प्रफुल्ल पटेल का बदला जा सकता है मंत्रालय
नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल को जल्द ही इस महकमे से मुक्त कर नई जवाबदारी दी जा सकती है। महाराष्ट्र के चुनावों के बाद प्रधानमंत्री अपने पत्ते फेंट सकते हैं। वैसे भी शशि थुरूर, एम.एस.कृष्णा, ममता बेनर्जी पहले से ही उनकी नापसंदगी वाली सूची में शामिल हो चुके हैं, अब पटेल की कार्यप्रणाली से उन पर गाज गिरने की संभावनाएं बढ़ती दिख रही है। पहले जेट फिर एयर इंडिया की हड़ताल से पीएमओ नाखुश ही है। बताते हैं कि पीएम का मानना है कि पायलट हडताल को पटेल ने ठीक तरीके से ”हेंडल” नहीं किया वरना हालात कुछ ओर होते। प्रधानमंत्री आवास के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रफुल्ल पटेल को साफ शब्दों में चेतावनी दे दी है कि वे अपना रवैया बदल दें वरना महाराष्ट्र चुनाव के बाद उनका मंत्रालय ही बदल दिया जाएगा। उधर कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों ने कहा कि महाराष्ट्र चुनावों के नतीजों के बाद अगर वहां राकांपा की स्थिति कमजोर रही तो हो सकता है कि पटेल को महत्वहीन मंत्रालय ही थमा दिया जाए।
पुच्छल तारा
देश का कोई भी कोना एसा नहीं होगा जहां आप भिखारियो से रूबरू न होएं। अक्सर हम सिनेमा में यही देखते हैं जिसमें कोई भी पात्र यही कहता है कि गरीबी से बड़ा जुर्म और कोई नहीं है। क्या गरीबी जुर्म है? इस बारे में एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की गई है। इस याचिका में बाम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट को भी चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि गरीबी कोई जुर्म नहीं है और अगर कोई गरीबी के कारण भीख मांगता है तो उसे क्राईम नहीं करार दिया जाना चाहिए, और इस आधार पर उसे गिरफ्तार कर सजा नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार से पूछा है कि क्या भीख मांगना क्राईम है?
-लिमटी खरे
kahe ke yuvraj gandhi parvar ke na hote tu kidar jate pata nai
bahut badia sir
अरे पगलउ जस्ट चिल्ल
kusmariya jee aap mantri hain n if u will do like this than ho gaya pradesh ka bhala, SHIVRAJ MAMA JEE aap tu kuch dhayan rakhiye pradesh ka?
ARJUN SING AB GUJRE JAMANE KE BAT HO GAYE HAIN SAHIB, RAHUL SINGH MAIN BHI DAM NAHE BACHA HAI, REWA MAIN AB NAYA KHOON CHAHEYE JO CONGRESS KO JINDA KAR SAKE. . .
Ek Dozen se bhi adhik post per comments keval Rahul Gandhi ke lekh per.
is this the careerist of rahul gandhi?
is hafte aapke delhi wale jan nahe dakne ko mile khare jee
राहुल गाँधी को अपने छेत्र मैं ध्यान देना चाहेये
yuvraj yuvraj pukar rahe hai desh ke janta, kidar ho bhgvan hum ko bhi tu dekh lo jee
bahut badiya aalek, badhai
gud hai, desh ka yuvraj so raha hai, uske riyaya bhooki mar rahe hai badhai ho badhai, ise shashk par hume garva hona chaheye, ju khud sukh se rahe aur riyaya marti rahe
Limty ki laltain ki roshani janata ko eik na eik din jaga hi degy.
I really like your blog and i respect your work. I’ll be a frequent visitor.
rahul gandhi ko agar desh chana hai kam se kam apne loksabha ka khyal raken
kya mana jaye ke RAHUL GANDHI KE HANTHON MAIN DESH SURAKSHIT RAH SAKEGA!!!!
राजनीति पर विविध टिप्पणियों से भरा आपका आलेख पढ़ा. राष्ट्र को लेकर आपकी और हमारी चिंताएं समान हैं. दलगत राजनीति में मैं विश्वास नहीं करता और ना ही मेरा राजनीति में कोई बहस या हस्तक्षेप का इरादा है. हालांकि राहुल का व्यक्तित्व मुझे प्रभावित करने लगा है खासकर उसकी बेबाक टिप्पणियां जो इन दिनों मीडिया में खूब सुर्खियां भी पा रही हैं.
– प्रदीप जिलवाने, खरगोन म.प्र.
rahul gandhi ko apne ghar ka khyal rakna jaroori hai janab varna riyaya unhe unke aukat dikha degee.
अगर सच्चाई यही है तो लगता है कि राहुल गांधी अभी राजनैतिक तौर पर नेहरू गांधी परिवार की विरासत संभालने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं।
क्या यह वही राहुल गांधी हैं, जिनके दम पर कांग्रेस भविष्य में देश पर शासन करने के ख्वाब देख रही है, अगर एसा है तो कांग्रेस की सोच, दशा और दिशा पर रोना ही आता है।
nice one boss, this is the truth which i wanna to know about indian politics, keep it up boss
कांगेस के नेता और कार्यकर्ता राहुल गांाधी को देश का युवराज मानते हैं, युवराज के आंख नाक कान ही उन्हें उनके संसदीय क्षत्र की जमीनी हकीकत से रूबरू नहीं करवा पा रहे हें तो भला आने वाले कल राहुल गांधी देश को कैसे चलाने में सक्षम हो पाएंगे।
राहुल गांधी को चाहिए कि वे देश से पहले अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के सुख सुविधाओं का ख्याल रखें। नेहरू गांधी परिवार की पांचवी पीढी होने का तातपर्य यह नहीं है कि वे अपने सांसद पद की जिम्मेवारी से मुक्त हो गए हैं। उनके लिए हर हाल में उनका संसदीय क्षेत्र पहली प्राथमिकता होना चाहिए।
kise ne leader ke reality ko people ke samne lane ke koshis ke. rahuk ka nam lene se kya fayada. bundelkhand, maharastra me farmer suside kar rahe hai. kise leader ne responsbility le. leadero ko ya to khud ke pet bharne ke fikra hai ya apne vote bank ke. rahukl bhe isse jyada kuch nahe kar rahe hai.
Bahut hi achha aur tikha vyang, very good.Ise kahate hai swasth patrakarita.
rahul gandhi ko ab kon samjhaye ke ramlal kon hai
very good article
TODAY AMITABH BACHHAN JEE TURNS UP 67 AND AND HE IS BIG-B MEANS BIG BROTHER OF ALL KIND OF PEOPLE LIKE ME AND TOP OF IT GREAT ACTOR OF THREE GENERATIONS ME, MY FATHER AND MY SON SO ON THE AUSPICIOUS OCCASION WE WOULD LIKE TO CONGRATULATE HIM AND ALL THE BEST FOR HIS PROFESSIONAL LIFE AND PERSONAL LIFE AND GOOD HEALTH-ANIL REJA, SUNITA REJA, ANSHUL REJA, MUMBAI
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– a blog for Daily Posts, News, Views Compilation by a Common Hindu
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देश में घुमने में हुई मेहनत का अंदाजा तो हम लगा सकते हैं। लोकज्ञान के प्राप्ति हेतु गांधी ने यही मार्ग अपनाया था।परन्तु उस यात्रा के मध्य मे अगर सतामोह हो, तो उसका प्रतिफल तो भुगतना हीं पड़ेगा। साध्य और साधन की सूचिता हीं असल मायने में ज्ञान देती है। जिस यात्रा का उद्देश्य नाम कमाना हो उसे , धिक्कार है। ऐसे युवराज को लोकज्ञान तो नही पर भगौलिक ज्ञान की प्राप्ति अवश्य होगी। तब राहुल जी किसी विश्वविद्यालय में पढ़ाते नजर आयें, तो मुझे खुशी होगी।
शीला दीक्षित के सहयोगी मंत्रियों द्वार मितव्ययता का बहुत ही अच्छा उदहारण प्रस्तुत किया जा रहा है, कम से कम देश की राजधानी में तो इस तरह का काम नहीं होना चाहिए।
RAHUL GANDHI JINDABAD
bahut badhiya bahut acche RAHUL GANDHI jeee jaisa leder har jagah hona chahele aabadi apne aap he kam ho jayege