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तीन साल का हो गया ‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’

आज 16 अक्‍टूबर है। इसी दिन सन् 2008 में ‘प्रवक्‍ता डॉट कॉम’ की शुरुआत हुई थी। 

सोचा यही था कि मुख्यधारा के मीडिया से ओझल हो रहे जनसरोकारों से जुड़ी खबरों व मुद्दों को प्रमुखता से प्रकाशित करें और उस पर गंभीर विमर्श हो। साथ ही एक अरब से अधिक की जनसंख्या वाले देश की राष्ट्रभाषा हिंदी को इंटरनेट पर प्रभावी सम्मान दिलाने के लिए सार्थक प्रयास हो। 

इस काम में हम कितना सफल हो पाए हैं, यह तो सुधी पाठक और विद्वत लेखकगण ही बता सकेंगे। 

‘प्रवक्‍ता’ के फलक को हम और विस्‍तारित करने जा रहे हैं। पूरी दुनिया में मानव-समाज का संकट गहरा रहा है। विकल्‍पहीनता की स्थिति है। ऐसे में हम सभ्‍यतामूलक विमर्श पर विशेष ध्‍यान केन्द्रित करेंगे। ‘भारतीय सभ्‍यता बनाम पश्चिमी सभ्‍यता’ ‘प्रवक्‍ता’ के विमर्श के केन्‍द्रबिंदू होंगे। 

आशा है आपका स्‍नेह और सहयोग हमें पूर्व की भांति सतत् मिलता रहेगा। 

इस अवसर पर हम ‘प्रवक्‍ता’ के प्रबंधक श्री भारत भूषण, सुधी पाठक व विद्वत लेखकगण तथा विज्ञापनदाताओं के प्रति आभार प्रकट करते हैं। 

आपका,

संजीव कुमार सिन्‍हा

संपादक

प्रवक्‍ता डॉट कॉम