अदालत का सामना करें ‘भगोड़े’ हुसैन: विहिप

विश्व हिन्दू परिषद ने कहा है कि हिंदू देवी-देवताओं के अश्लील चित्रकारी कर चर्चित हुए विवादित चित्रकार एम.एफ. हुसैन को अपने कुकृत्यों के कारण चल रहे मुकदमों का डटकर सामना करना चाहिए।

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता डा. सुरेन्द्र जैन ने शुक्रवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हुसैन को भगोड़े अपराधियों की तरह भारत से भागने के बजाए, भारत में आकर न्यायपालिका का सामना करना चाहिए।

डा. जैन ने कहा कि कला के नाम पर भारत माता और हिंदू देवी-देवताओं के अश्लील चित्रण के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं, इसको हुसैन अपने समर्थकों से ज्यादा समझते हैं। इसलिये उनके समर्थन में चलाये जा रहे अभियानों से वे प्रभावित नहीं हो रहे।

इस बीच विहिप प्रवक्ता ने साफ कहा कि, ‘एम.एफ. हुसैन हिन्दूवादी संगठनों से डरकर नहीं अपितु अपने कुकृत्यों की वजह से चल रहे मुकदमों के संभावित परिणामों से डरकर भारत से भागे थे।’

उन्होंने कहा कि भारत माता का नंगा चित्र बनाते समय उन्हें अवश्य स्मरण रहा होगा कि उन्होंने मदर टेरेसा और फातिमा का चित्रण शालीनता के साथ किया था। उनका यह दोहरा मापदंड आंख पर पट्टी बांधने वाले समर्थकों को शायद नहीं दिखाई दे रहा है। डा. जैन ने कहा कि हुसैन का समर्थन करने वाले कलाकारों को बीबी फातिमा और मदर टेरेसा के अश्लील चित्र बनाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्राता की दुहाई देनी चाहिए।

विहिप प्रवक्ता ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद किसी भी व्यक्ति की आस्था का अपमान करने के पक्ष में नहीं है। इसीलिये जब बड़ोदरा के एक चित्रकार ने जीसस का अपमानजनक चित्र बनाया था तो हमने उसका विरोध किया था। परन्तु तस्लीमा नसरीन और एम.एफ. हुसैन के कृत्यों से भारत की सैक्युलर बिरादरी का दोगलापन स्पष्ट हो गया है। उन्होंने कहा कि जब पंजाब के किसी अखबार में जीसस का आपत्तिजनक चित्रण होता है, कर्नाटक में कोई मनगढ़ंत लेख छपता है या किसी स्वीडिश पत्रकार के चित्रों से अकारण हिंसा भड़कती है एवं तथा निर्दोष हिंदुओं के जानमाल पर हमला किया जाता है तो ये सेक्युलर बिरादरी गला फाड़कर आस्थाओं के सम्मान की बात करती है परन्तु कोई भी हिंसा की निंदा नहीं करता।

डा. जैन ने कहा कि एम.एफ. हुसैन को कतर ने अपनी नागरिकता हिन्दू धर्म के अपमान के कारण दी है न कि कला के सम्मान के लिए। विहिप प्रवक्ता ने कहा कि भारत का हिंदू समाज किसी भी प्रकार की आलोचना से डरने वाला नहीं है।

4 COMMENTS

  1. देवी-देवताओं पर कीचड़ उछालने से उनतक पहुँचने से रहा . हुसैन साहेब की करनियों से उनके मन का कलुष सामने आगया है. हुसेन के बहाने एक बार फिरसे भारतीय संस्कृति के दुश्मनों के चेहरे बेनकाब होगये हैं. ये सोच कोई आज की नहीं ,बहुत पुरानी है. रावण, राक्षस, कंस इसी सोच के थे. कलयुगी राक्षस अपनी सोच के अनुसार करनी कर रहे हैं. घड़ा भरने पर फूटेगा ही फूटेगा. अछा है की पाप का घडा जल्दी फूटे. सज्जन शक्तियों को इनकी हर करनी को जोर -शोर से बेपर्दा करते रहना है, यूँही इनके अंत की इबारत लिखिजाएगी.शुभम भविष्यति !

  2. कुलदीप गुप्ताजी से सहमति प्रकट करता हूं।आंतर राष्ट्रीय सफलताका एक सूत्र है। सूत्र:–> जो भी कलाकार भारतकी संस्कृतिको नीचा दिखाएगा, या वैसा दिखानेका, प्रयत्न करेगा, सफल होगा। एक “विशेष गुट”, जो “वैचारिक राष्ट्रांतरण” (भारतको खोखला करने) में जुटा हुआ है, वह, ऐसे, अभियानोमें, आपको सहायता प्रदान करेगा। कुछ विषय इंगित करता हूं।(१) सति प्रथा (२) हिंदू विधवाओंकी समस्याएं, (३) अछूतोंपर अन्याय (४)जाति प्रथा —संक्षेपमें जो भी परंपराएं भारतको दुर्बल बनानेमें सहायता करेगा, धन, यश, और वैश्विक प्रसिद्धि प्राप्त करेगा।
    — साथ गलत अर्थांतरणसे बचनेके लिए; इन प्रथाओंको समाप्त करनेवाले, कार्यक्षेत्रमें, वैमनस्य ना फैलाते हुए, कार्यमें जुटे हुए देशसेवकोंका, समर्थन करता हूं। रचनात्मक कामका बोल बाला करना नहीं पडता, वह तो प्रसिद्धि-विमुख होकर किया जाता है।किंतु, फिर आप हुसैनकी भांति, सफल नहीं हो पाओगे।—- एक बच्चेने, क्रोधित होकर दावातको लात मारी, स्याही सारे कागजपर फैल गयी, पिताने उसे, Frustration (हताशा) नाम दिया, और वह पेंटिंग प्रदर्शनीमे पहले क्रम का पारितोषिक जीत गयी।

  3. M F Hussain is an over glorified painter. He started his career with painting cinema hoardings of Madhubala and culminated it by making a movie with her niece Madhuri Dixit.All his antics have been to garner cheap publicity,which some people have provided him foolishly,which in turn have jacked up prices of his doodle named as paintings.In India there is class of Fashionable and Rich known as Page 3 Genre who have little concept of either art or beauty.They spend money on what is considered to be “object of art”.Fashion Designers and people like Hussain pander to their Ego and make money.No blame on any one for such silly perceived sense of intellectualism. Banning of Salaman Rushdie rioting over Taslimas article,Rstriction on screening of DA Vinci code on one end of the scale and M F hussain’s right of showing Hindu Gods/Goddesses genitals, is too UNFAIR. If he believes in his perceived sense of freedom of art he should be prepared to face the free and fair courts of India. He is fleeing from that PERIOD.Is Qatar is a modicum of freedom, let him Paint a picture of Mohammed and see the consequences. He may be executed without a semblance of a trial too.

Leave a Reply to Dr. Rajesh Kapoor Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here