गर्मी का ईलाज

0
571

सूनी पड़ी सभी गली व सड़के।
बाहर हो रही आग की बारिश,
सारे जीव पानी को है तरसे।।

सूखे पड़े है सब ताल तलैया,
पशु पक्षियों का हाल है बेहाल।
तरस रहे है वे सब पानी को,
कोई रख रहा न उनका ख्याल।।

सूख गए है सभी पेड़ और पौधे,
सूख गई है सारी हरी भरी घास।
सूख गए है सारे वन व उपवन,
मानव हों गया है बड़ा उदास।।

चारो तरफ चल रही गर्म हवाएं,
जिसको कहते है हम सब लू।
घर के बाहर कोई न निकले,
नही तो लग जायेगी तुम्हे लू।।

बार बार सभी ठंडा पानी मांगे,
किसी तरह इस गर्मी को काटे।
पर ये गर्मी अब बढ़ती जा रही,
सब को लगा रही मुंह पर चाटे।।

इस गर्मी को कोई करे इलाज,
ऐ सी कूलर भी फीके पड़ गए।
अब तो प्रभु है इसके डाक्टर,
जो कर सकते है इसका इलाज।।

झम झम जब बारिश बरसे,
तब होगा गर्मी का ईलाज।
इंद्रदेव से सब करे प्रार्थना।
वे कर सकते इसका ईलाज।।

आर के रस्तोगी

Previous articleमोदी की कथनी और करनी में गजब की समानता
Next articleगृह-शांति के लिये आतंक से लड़ाई का सन्देश
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here