मोदी की कथनी और करनी में गजब की समानता

सुरेश हिन्दुस्थानी
जब कोई व्यक्ति पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्म पथ पर अग्रसर होता है तो विश्व समुदाय उसका अनुगामी हो जाता है। इस दायरे में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रखा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। ऐसा लगता है कि स्वतंत्रता के पश्चात देश में ऐसी पहली सरकार बनी है, जिस पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है, इसके विपरीत इसके पूर्ववर्ती सरकार के दामन पर भ्रष्टाचार के अनेक दाग लगे। भारत की जनता ने इस बात की उम्मीद ही छोड़ दी थी कि अब भारत में भ्रष्टाचार कभी समाप्त होगा, लेकिन वर्तमान केन्द्र सरकार ने इस धारणा को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसी बड़ी लकीर खींचने का अहर्निश साहस दिखा रहे हैं, जिसकी देश को दशकों से आवश्यकता थी। वर्षों तक विदेशों के समकक्ष दायित्व वालों के पीछे रहने वाला भारत आज उनके साथ गौरव के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। जो कहीं न कहीं भारत की शक्ति को प्रकट कर रहा है।
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मैं पत्थर पर लकीर खींचता हूं, मक्खन पर नहीं। यह पंक्ति भले ही एक कहावत के तौर पर प्रचलित है, लेकिन इसके भावार्थ बहुत ही गहरे हैं। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने जो कार्य किए हैं, वह आज मील के पत्थर के तौर पर स्थापित हुए हैं। वह चाहे तीन तलाक का मामला हो या फिर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटाने का मामला ही क्यों न हो, राजनीतिक दलों ने देश का जनमानस ऐसा बना दिया था कि इसके बारे में बात करने से भी पसीने छूट जाते थे। इतना ही नहीं जो राजनीतिक दल इसका राजनीतिक और आर्थिक लाभ उठा रहे थे, उन्होंने भी देश में इस प्रकार का डर का वातावरण पैदा किया कि धारा 370 को हटाने के बाद देश में गृह युद्ध के हालात पैदा हो सकते हैं, लेकिन यह केवल बातें ही सिद्ध हुईं। कौन नहीं जानता कि जम्मू कश्मीर में राजनीति करने वाले फारुक अबदुल्ला और मेहबूबा मुफ्ती ने किस प्रकार की भाषा बोली। उनकी वाणी से हमेशा यही प्रतीत होता था कि वह पाकिस्तान परस्त भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कोई नहीं मिलेगा। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि तिरंगा कोई सामान्य कपड़ा नहीं है, जिसको उठाने की आवश्यकता हो। तिरंगा तो इस देश की आन बान और शान का प्रतीक है। इसके बारे में इस प्रकार की धारणा रखना, निश्चित ही देश भाव के साथ मजाक ही है। इस प्रकार भाषा पाकिस्तान के किसी व्यक्ति द्वारा बोली जाती तो समझ में आता है, लेकिन हमारे भारत के मुकुटमणि के बारे में ऐसा बोलना निश्चित ही देशद्रोहिता ही कही जाएगी। अब जम्मू कश्मीर में सुखद बयाी की अनुभूति कराने वाला दृश्य एपस्थित हो रहा है। जो मोदी सरकार की एक बड़ी लकीर के रूप में प्रमाणित हो रहा है।
इसी प्रकार लम्बे समय से निर्णय की प्रतीक्षा करते हुए राम मंदिर का मामला भी मोदी जी के कार्यकाल में सुखद परिणाम देने वाला रहा। वास्तविकता में इस मामले का हल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निकाला गया, लेकिन इसका श्रेय मोदी सरकार के कार्यकाल को ही दिया जा सकता है। यह सारे मामले वास्तव में पत्थर पर लकीर खींचने जैसे ही कहे जा सकते हैं। इसी कारण देश की जनता उनके इन साहसिक निर्णयों के साथ जुड़ती जा रही है। जबकि विपक्षी राजनीतिक दलों की कार्य संस्कृति के चलते जनता इतनी दूर हो गई है कि उनको अपने भविष्य को बचाने के लिए राजनीतिक चिंतन और मंथन की आवश्यकता होने लगी है। हम जानते हैं कि अभी हाल ही में कांगे्रस ने सत्ता पाने की चाह में राजस्थान के उदयपुर में चिंतन किया, जो वास्तव में ढाक के तीन पात वाला ही सिद्ध हुआ। यह वास्तविकता ही है कि कांगे्रस ने जिस प्रकार से मुस्लिम और ईसाई तुष्टिकरण का कार्य किया, उसके कारण निश्चित ही देश का राष्ट्रीय भाव के साथ विचार करने वाला बहुसंख्यक समाज उससे दूर होता चला गया। जबकि प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली में सबका साथ और सबका विकास वाली अवधारणा ही दिखाई देती है। अब तो केन्द्र सरकार ने अंत्योदय की अवधारणा पर कदम बढ़ाते हुए सबका विश्वास अर्जित करने का साहसिक प्रयास करने की ओर कदम बढ़ा दिया है, जिसके परिणाम भी अच्छे आएंगे, यह पूरा विश्वास भी है।
आज देश के विपक्षी राजनीतिक दल मोदी सरकार की कार्यशैली से इसलिए भी भयभीत से दिखाई देते हैं, क्योंकि दोनों की कार्यशैली में जमीन आसमान का अंतर है। जहां एक ओर देश की जनता मोदी के कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा को पसंद कर रही है, वहीं कांगे्रस की भाषा को सुनकर दूर होती जा रही है। आज कांगे्रस की जो स्थिति दिखाई देती है, उसके लिए मोदी जिम्मेदार नहीं, बल्कि स्वयं कांगे्रस ही जिम्मेदार है, क्योंकि देश की जनता कांगे्रस के कार्यों से त्रस्त हो चुकी थी, तब जनता को साहस के साथ निर्णय लेने वाला दमदार नेतृत्व लेने वाले नायक की आवश्यकता महसूस हो रही थी, मोदी में यह सब दिखाई दिया। और जनता ने देश की बागडोर मोदी के हाथ में सौंप दी। मोदी ने अवसर पाकर ऐसे निर्णय लिए जो भाजपा के मुख्य केन्द्र बिन्दु थे। और इसी के आधार पर देश की जनता से वोट भी मांगे थे।
एक बात और… देश के संपन्न मुसलमान और तुष्टिकरण करने वाले राजनीतिक दल गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले मुसलमानों को गुमराह करके भाजपा से डराने का भरसक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यह प्रामाणिक तौर पर कहा जा सकता है कि केन्द्र सरकार योजनाओं का लाभ उन मुसलमानों को भी मिला है, जो इसके लिए पात्र हैं। इसलिए वह भी यह समझने लगे हैं कि भाजपा की सरकार बिना पक्षपात के कार्य करती है। वास्तव में मोदी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है। मोदी किसी को छोटा नहीं करते, बल्कि अपने कार्यों के माध्यम से पत्थर पर ऐसी लकीर स्थापित करते हैं, जो देश के समाज को आगे बढ़ने के लिए मार्ग बनाए।

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