उम्मीद (क्षणिकाएं )
उम्मीद
सालों की सुस्त पड़ी ज़िंदगी में ,
कुछ मुस्कुराहट आ है ।
फिर से जीने की उमंग और
खुद को जानना
जैसे लौटे पंछी अपने देश
डूबते को तिनके का सहारा
काफी होता है ।
प्यार
शाख से टूट कर अलग हो गए
हवा से भी खफा हो गए
क्या कहे उसकी मोहब्बत को
जिसकी याद मैं हम फ़ना हो गए
याद तो करेगें वो भी हमें
जब हम जुदा हो गए
चारु शिखा