समाज

संघ और भाजपा को सांप्रदायिक कहने वालों का मुंह हुआ काला

-धीरेन्द्र प्रताप सिंह

स्वतंत्र भारत में अब तक के सबसे बड़े मुकदमे के तौर पर माने जा रहे राम जन्मभूमि के मालिकाना हक से संबंधित मामले पर 60 साल चली लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार आज फैसला आ ही गया। इस फैसले के आने के बाद से ही जहां तथाकथित धर्म निरपेक्ष लोगों का मुंह काला हो गया वहीं राश्ट्र मंदिर के निर्माण के लिए सतत संघर्शषील राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ और एकात्म मानववाद की कल्पना को साकार करने की प्रेरणा लेकर राजनीति की गंदी गलियों में उतरी भाजपा की संयत और शिष्ट मर्यादित टिप्पणी ने इनके उपर सांप्रदायिकता का आरोप लगाने वाले लोगों के मुंह पर करारा तमाचा मारा है।

तमाम तथाकथित छद्म धर्मनिरपेक्ष का मुखौटा पहने और लाशों पर राजनीति करने वाले संगठनों और लोगों को गुरूवार को एक साथ दो मोर्चो पर हार का सामना करना पड़ा। एक तो वे शुरू से अयोध्या को राम जन्म भूमि मानने से इंकार करने और इस देश में राम के असतित्व को कल्पना करार देने में जो सक्रियता दिखा रहे थे उसे उच्च न्यायालय ने गलत करार दिया। दूसरे उन लोगों ने एक हफ्ते से पूरे देश को सांप्रदायिक हिंसा में जलाने का जो सपना देख रहे थे उसे आरएसएस और भाजपा ने अपनी संयत टिप्पणी से नाकाम कर दिया। अब इन लोगों की स्थिति खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली हो गई है। जिस तरह से पूज्य सरसंघ चालक श्री भागवत जी ने कहा कि इस फैसलों को कोई भी जीत हार में न ले वह निश्चित ही प्रशंसनीय है। इसी तरह भाजपा ने भी इस मामले पर सधी हुई टिप्पणी देकर गंदी राजनीति करने वालों की मनोकामना को निश्फल किया है।

वैसे भी ये देश सदैव सांप्रदायिकता का विरोधी रहा है। इस सनातन हिन्दू देश में प्राचीन काल से सभी धर्मों को समान मानने की परंपरा रही है। लेकिन कभी भी किसी देश के खिलाफ युद्ध न छेड़ने वाले इस देश की संस्कृति को विदेशी आक्रान्ताओं ने तहस नहस किया। चूंकि ये सनातन परंपराओं वाला देश है इसलिए इसमें कट्टरता ज्यादा दिन चलती नहीं। जिसका ज्वलंत उदाहरण है आज का फैसला है।

आज इस फैसले के आने के बाद मुझे अपने दिल्ली कार्यकाल की याद आ गई जब मैं हिन्दुस्थान समाचार के लिए वामपंथी पार्टियों को कवर करता था। एक दिन गोल मार्केट स्थित माकपा मुख्यालय पर माकपा के बड़े नेता सीताराम येचुरी की प्रेस कांफ्रेंस थी। इस कांफ्रेंस में जब सेतुबंध रामेश्‍वरम की बात आई तो सीताराम येचुरी ने कहा कि राम जैसा कोई व्यक्ति इस धरती पर कभी हुआ ही नहीं और न तो उनका कोई अस्‍तित्व रहा। उन्होंने कहा कि राम का नाम मात्र कल्पना है। उनकी ये बात सुनते ही एक बुजुर्ग पत्रकार ने तुरंत जवाब देते हुए कहा कि अरे सीताराम कम से कम तू तो ऐसी अनर्गल बात मत बोल तेरे नाम में तो राम और सीता दोनों का नाम है। उनके इस उत्तर ने सीतराम येचुरी का मुंह काला कर दिया और वे इसका बिना कोई जवाब दिए वहां से निकल लिये। खैर राम इस देश की आस्था के प्राण लोगों की श्रद्धा है। इसलिए जब भी कोई व्यक्ति या संस्था इनके अस्तित्‍व पर प्रश्नचिन्ह लगाएगा उसको मुंह की खानी पड़ेगी।