यूपी परिवहन निगम बसों का कड़वा सच

-रवि विनोद श्रीवास्तव-

up bus

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की लम्बी दूरी तय करने वाली बसों को लेकर एक कड़वा सच जिससे आप अंजान नही होगें। रास्तों में ढाबा वालों से बस ड्राईवरों और कंडेक्टरों की सेटिंग से बेचारे सफर कर रहे यात्रियों को ढ़ाबा वालों की महंगाई का शिकार बनना पड़ता है। इनकी सेटिंग की वजह से यात्रियों को मजबूरी में खाना पड़ता है। सबसे अहम बात है कि जिस ढ़ाबे पर बस रोकते हैं, उस पर उनको फ्री में बना हुआ पकवान मिलता है। और उनके इस फ्री खाने के चक्कर में यात्रियों को इसका खामयाजा भुगतना पड़ता है। ढ़ाबा वाले मनमानी तरीके से खाने का पैसा वसूलते हैं। भूख से तड़प रहे लोग खाना खाते हैं और ज्यादा पैसे देते हैं। दिल्ली से कानपुर के सफर के लिए मैं निकला था। रात के करीब 9 बजे आंनद विहार से बस पकड़ी। करीब दो से ढ़ाई घण्टे के बाद बस बुलंदशहर के बस स्टाप पर पहुंची। बस रूकते ही ड्राईवर की पहली हिदायत थी की बस थोड़ी देर के लिए रूकी है सिर्फ बोतल  में पानी भर लो। यात्री बेचारे करे भी तो क्या बस ड्राईवर का सख्त निर्देश मिला था। सब पानी बोतल में भरकर वापस आ रहे थे। जोरों की भूख से सबके पेट में चूहें कूद रहे थे। सीट पर ऐसे बैठे रहे जैसे मां बाप की आज्ञा दी हो की नीचे नही उतरना। बस में बैठा एक भूख से परेशान हो पहले ही उतर गया था। उधर बस स्टाप पर बार-बार एनाउंसमेंट हो रही थी कि बस करीब 20 से 25 मिनट रूकेगी। आप स्टाप पर क्लासिक रेस्टोरेंट में भोजन का लुफ्त उठा सकते हैं। ड्राईवर की बात से अंजान उस लड़के ने खाने का आर्डर तो दे दिया था। जब उसके साथी ने ड्राईवर को रूकने को कहा। नाराज ड्राईवर ने गुस्सा दिखाते हुए अपनी बस को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। उस लड़के के सामने खाने की थाली रखी थी। जिसकी ड्राईलर ने बिलकुल परवाह नही की। आखिरकार उस लड़के को खाने को छोड़कर भाग कर बस में आना पड़ा। जैसे वो बस पर चढ़ा ड्राईवर और कंडेक्टर ने उस पर चिल्लाना शुरू कर दिया। वहां से निकलने के बाद अलीगढ़ के थाना क्षेत्र अकराबाद में एक वैष्णवी ढाबा पर बस रोकी गई। ये जो तश्वीरे आप देख रहे हैं वही की हैं। मोबाइल का फ्लैश खराब होने की वजह से ठीक से फोटों  नही  आ पाई है। लेकिन इनकी दास्तां बताने के लिए काफी हैं। ढ़ाबे पर खाना काफी महंगा था। दाल हाफ प्लेट 50 रूपए की। जबकि बुलंदशहर के पूरी थाली इतने की। कोल्ड ड्रिंक की 300 ml की बोतल 20 रूपए की थी। खाने का रेट सुनकर ही मेरी तो भूख मर गई थी। पेट के चूहे को शांत करने के लिए कुछ खाना जरूरी था। मैने पेटीज खरीदा तो उसकी कीमत भी दिल्ली से ज्यादा उस जगह थी। 15 रूपए की पेटीज दी। एक –एक कर तीन चार बसें उस ढाबे पर रूकी और यात्रियो को लूटने का सिलसिला चलता रहा। ऐसे न जाने कितनी बसें अपनी सेटिंग वाले ढ़ावों पर रूकती है। इस बात से तो उत्तर प्रदेश परिवहन निगम भी अंजान नही होगा। यात्रियों को सुविधाएं देने के बजाय ऐसी असुविधा देते हैं। कितने लोग तो भूखे ही सफर कर लेते हैं। जो परिवार के साथ सफर करते होगें वो क्या करें। इस बात का ख्याल कभी ड्राईवर और कंडेक्टर को होगा। कैसे इतने महगें ढ़ाबे में खाना खाएं। ऐसा लगता है कि वो ढ़ाबा नही कोई होटल खोलकर रखा हो। इन ढ़ाबों से सस्ता तो कस्बों का होटल होता है। सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो जिन ढाबों पर बस रूकती है वहां अगर एक ढ़ाबे और एक दो दुकान सिगरेट और पान मसाला की होती है। जिस बेरहमी से ऐसे सून-सान जगह पर बस को रोका जाता है। कभी भी कोई बड़ी घटना लूटपाट जैसी घटित हो सकती है। दो रोटी फ्री में खाने के चक्कर में इतना बड़ा रिस्क लेते हैं ये बस के ड्राईवर।ये कोई पहली घटना नही है। इससे पहले के सफर में तो एक यात्री और ढाबे वाले में खाने को लेकर बहस हो गई थी। आलू दम और कुछ रोटी का बिल 120 रूपए बनाया था। जिसे लेकर वो यात्री काफी नाराज हो गया था। और दोनो में जमकर बहस हुई थी। जब दिल्ली से चलते समय ऐसे बस स्टाप होते हैं जहां सस्ता और अच्छा खाना यात्रियों को मिल सके तो बस को वहां क्यों नही रोकते हैं। शायद वहां फ्री में खाना न मिलता हो। खाना ही नही चाय पानी पीने के लिए भी दुकाने फिक्स कर रखे हैं। बसें वही रूकती है जहां खाना पीना फ्री हो। ऐसे में यात्री का कोई ख्याल नही है। रोडवेज प्रशासन को इस पर पहल करनी चाहिए। ऐसे लोगों पर लगाम लगाए। बस स्टाप पर खुली दुकानों और ढ़ाबों का क्या? जो परिवहन निगम को पैसा देकर टेंडर लेते होगे। वित्तीय घाटा तो उनको भी होता होगा। देखने वाली बात है कि परिवहन निगम इस बात को लेकर अपनी आखें कब खोलता है। या फिर यात्रियों को लुटवाने वाला ये कड़वा सच ऐसे ही चलता रहेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here