विहिप और बजरंग दल बेसब्र, कब हटेगी औरंगजेब की कब्र?

प्रदीप कुमार वर्मा

महाराष्ट्र में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा है। छत्रपति संभाजी महाराज पर बनी फिल्म “छावा” की रिलीज के बाद सालों से बोतल में बंद औरंगजेब का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है। फिल्म में औरंगजेब द्वारा क्रूरता पूर्वक छत्रपति संभाजी महाराज के साथ किए गए बर्ताव के बाद हिंदू समाज की भावनाएं उबाल पर हैं और अब प्रदेश के हिंदूवादी संगठनों ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है। विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल ने मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर बाबरी मस्जिद को ढहाने की तरह ही “कार सेवा” करने का ऐलान किया है। इस एलान के बाद में महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है। भाजपा एवं शिवसेना क्रूर मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने के पक्ष में है, वहीं कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इसे गैर जरूरी बताते हुए गाहे-बगाहे औरंगजेब का ही पक्ष लिया है।

            महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर तब विवाद खड़ा हुआ था जब समाजवादी पार्टी नेता और मुंबई की मानखुर्द शिवाजीनगर से विधायक अबु आजमी ने मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ की थी। इस पर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अबु आजमी फिलहाल इस मामले में जमानत पर हैं और कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। यही नहीं, औरंगजेब की तारीफ करने पर आज़मी महाराष्ट्र विधानमंडल के पूरे बजट सत्र से अपना निलंबन भी झेल चुके हैं। विश्व हिंदू परिषद एवं बजरंग दल सहित अन्य हिंदूवादी संगठनों ने अब औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की है। यही वजह है कि किसी भी तरह की गड़बड़ी को टालने के लिए प्रशासन ने कब्र क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी है। वहीं, इस विवाद के बाद औरंगजेब की कब्र पर जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है।

           अपने जमाने के मशहूर क्रूर मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के तत्कालीन औरंगाबाद और वर्तमान के संभाजी नगर के खुल्दाबाद में है। इतिहास के मुताबिक जब वर्ष 1707 में औरंगजेब का निधन हुआ, तो उसकी इच्छा के अनुसार उसे खुल्दाबाद में उनके आध्यात्मिक गुरु शेख जैनुद्दीन की दरगाह के पास दफनाया गया। औरंगजेब की कब्र के पास ही उसके बेटे आजम शाह का मकबरा भी है। औरंगजेब की कब्र साधारण मिट्टी की बनी हुई थी, जिसमें बाद में ब्रिटिश वायसरॉय लॉर्ड कर्जन ने संगमरमर लगवाया था। हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आरटीआई के जरिए जानकारी में सामने आया था कि केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने 2011 से 2023 तक औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च किए हैं जबकि महाराष्ट्र के सिंधु दुर्ग किले में स्थित राज राजेश्वर मंदिर के रखरखाव के लिए केवल 6 हजार रुपये सालाना दिए जाते हैं।

     महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग करने वाले हिंदूवादी संगठनों के उलट देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो औरंगजेब की कब्र को हटाये जाने का विरोध कर रहा है। इनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी एवं एआईएमआईएम सहित अन्य विपक्षी दल शामिल हैं। इस संबंध में जानकारों का कहना है कि वर्ष 1951 से ही औरंगज़ेब की कब्र संरक्षित स्मारकों की सूची में है। इसके साथ ही वर्ष 1958 में इसे राष्ट्रीय महत्व की स्मारक भी घोषित कर दिया गया। वहीं,वक्फ़ बोर्ड की ज़मीन पर होने की वजह से इसे हटाना आसान काम नहीं है। मुगल बादशाह की कब्र होने के नाते ये अब एक राष्ट्रीय धरोहर है। भारत में इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम भारतीय पुरातत्व विभाग करता है जिसके चलते औरंगजेब के कब्र की देखभाल भी पुरातत्व विभाग के ही जिम्मे है।

       ओरंगजेब विवाद पर सदन में शिवसेना के नरेश म्हस्के ने कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी की हत्या की और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर लूटा। औरंगजेब ने नौवें और दसवें सिख गुरुओं की भी हत्या की थी। इसलिए औरंगजेब जैसे क्रूर व्यक्ति की कब्र को संरक्षित करने की क्या जरूरत है? औरंगजेब और भारत के खिलाफ काम करने वाले सभी लोगों के स्मारकों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए। महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी औरंगजेब की कब्र के मुद्दे पर बोले थे। सीएम फडणवीस ने कहा था कि हमें भी लगता है औरंगजेब की कब्र हटाई जाए लेकिन कांग्रेस राज में कब्र को एएसआई संरक्षण मिला है। कुछ चीजें कानूनी तौर पर करनी पड़ती है लेकिन सरकार द्वारा हर हाल में जनता की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा।

       बताते चलें कि मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा और अकबर के बाद सबसे शक्तिशाली बादशाह था। इस मुगल बादशाह ने 1658 से लेकर 1707 तक दिल्ली की गद्दी पर हुकूमत की थी। इतिहास के मुताबिक औरंगजेब हिंदू एवं  सिख विरोधी शासक था। उसने हिंदुओं पर कठोर नीतियां लागू करते हुए काशी विश्वनाथ एवं मथुरा का केशव देव मंदिर तुड़वाया। यही नहीं, उसने  गैर-मुस्लिमों पर धार्मिक भेदभाव के चलते “जजिया” कर भी लागू किया। औरंगजेब के 49 सालों के शासन में करीब 46 लाख लोग मारे गए। उसने छत्रपति संभाजी महाराज को 40 दिनों तक भयंकर यातनाएं देने के बाद उनकी हत्या करवाई थी। करीब तीन साल पूर्व भी एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा औरंगजेब की कब्र पर फूल चढ़ाने को लेकर विवाद हुआ था, तब भी यह मामला सुर्खियों में आया था। अब संभाजी के वंशजों तथा हिंदूवादी संगठनों की ओर से औरंगेजब की कब्र को हटाने की मांग हो रही है। 

प्रदीप कुमार वर्मा

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