विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीती मैं गरमाहट शुरू ?

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मुजफ्फर भारती

आसन्न राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति मैं गरमाहट महसूस की जा रही है यह बात साफ तौर पर इस बात से ज़ाहिर हो रही है की कांग्रेस के रणनितिकरों ने राजस्थान मैं विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियाँ शुरू कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेश से लौटने के बाद इन तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रदेश के राजनीतिक हालात और सत्ता-संगठन में चल रही टकरा हट के कारण प्रदेश अध्यक्ष चंद्रभान को बदला जा सकता है और उनके स्थान पर किसी अन्य जाट या ब्राह्मण को कमान दी जाने की संभावना है। यह सारा असर इस बात का भी है की पिछले दिनों कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने राजस्थान के 35 प्रमुख कांग्रेस नेताओं को दिल्ली बुलाकर गहलोत सरकार और संगठन के कामकाज पर सीधा फीड बैक लिया है। इस बीच राजस्थान में तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद तेज़ी से अपने क़दम बढ़ा रही है .

दरअसल सितम्बर का महीना राजस्थान की कांग्रेस राजनीति के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है और कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के कांग्रेस नेताओं में चल रहे टकराव को लेकर काफी गंभीर है। कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल, महासचिव जनार्दन द्विवेद्वी सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा राजस्थान के लिए तैयार किए गए चुनाव प्लान के तहत केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री डॉ. सी.पी.जोशी, केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट एवं वरिष्ठ नेता डॉ. गिरिजा व्यास को महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी सौंप कर चुनाव सम्पन्न होने तक राजस्थान में ही रहने के लिए कहा जाएगा। इनमें से किसी एक नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वैसे जाट वोट बैंक को खुश करने के लिए सांसद हरीश चौधरी के नाम भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर चर्चा में है। हरीश चौधरी मुख्यमंत्री के निकट माने जाते है। दिल्ली में बैठे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सहयोगी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह एवं मुकुल वासनिक इनके नाम को आगे बढ़ा रहे है। हालांकि राहुल गांधी खेमा डॉ.सी.पी.जोशी एवं सचिन पायलट मे से किसी एक को प्रदेश कांग्रेस की ज़िम्मेदारी सौंपना चाहते है लेकिन यह दोनों ही यह पद संभालने के इच्छुक नहीं है। दोनों ही नेता पीसीसी अध्यक्ष बनने के बजाय चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बनकर काम करने की इच्छा रखते हैं।

इधर प्रदेशाध्यक्ष डॉ.चंद्रभान के दिल्ली दौरे ने प्रदेश संगठन में नेतृत्व बदलाव की संभावनाएं तेज कर दी है। माना जा रहा है कि केन्द्र में इस माह संगठन और सरकार में कुछ फेरबदल हो सकता है और इसके साथ ही प्रदेश में भी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बदलाव की संभावनाएं है। ऐसे में चंद्रभान को दिल्ली बुलाकर बात करने को भी शुरुआती एक्सरसाइज माना जा रहा है। गौरतलब है कि सोनिया गांधी के बाड़मेर दौरे में प्रदेश अध्यक्ष चंद्रभान को मंच पर भाषण देने का मौका नहीं मिल पाया था। वहीं बाढ़ प्रभावितों से मिलने आई सोनिया गांधी के कार्यक्रम के दौरान चन्द्रभान के वाहन का सुरक्षा पास भी नहीं बन सका था। इसके बाद से ही प्रदेश संगठन में राजनीतिक चर्चाएं बढ़ने लग गई थी। इस सारी कवायद के बीच सोनिया गांधी के निकट मानी जाने वाली डॉ. गिरिजा व्यास को भी प्रदेश के चुनाव अभियान में किसी कमेटी के माध्यम से ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी। सियासी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के केन्द्रीय नेताओं ने इन तीनों ही नेताओं को राज्य विधानसभा चुनाव तक राजस्थान में काम सौंपने की योजना बना ली है कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की स्वदेश वापसी के बाद निर्णय को लागू किया जाएगा।

ग़ौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की राज्य की राजनीति में बढ़ती रुचि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे पिछले डेढ़ माह में 35 से अधिक नेताओं को दिल्ली बुलाकर लंबी चर्चाएं कर चुके हैं। गोपालगढ़, सुरवाल, सराडा, मैं हुई साम्प्रदायिक घटनाओं से परंपरागत वोट बैंक मुस्लिमों की पार्टी के प्रति नाराज़गी , केन्द्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन, राजस्थान विश्वविद्यालय के बारे में पिछले एक साल से मिल रही शिकायतों, छात्रसंघ चुनावों में कमजोर प्रदर्शन, जाट समाज की उपेक्षाए ब्राह्मण समाज के निरंतर दूर जाने और आरसी एम मुद्दे पर सरकार की नकारात्मक भूमिका को लेकर असंतुष्ट हुए राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बातचीत और निर्देश के बाद राजस्थान के नेताओं को बुलाकर सीधी बातचीत का फैसला लिया। इस लिए राजस्थान में भविष्य में होने वाले मंत्रिमंडल पुनर्गठन में इस विचार.विमर्श और उसके निष्कर्षों की प्रमुख भूमिका रहने वाली है।

इन तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच राजस्थान में तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद तेज़ी से अपने क़दम बढ़ा रही है और इस सियासत के जन्म दाता हैं दौसा के निर्दलीय सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और भरतपुर के पूर्व सांसद महाराजा विश्वेंद्र सिंह कांग्रेस एवं भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को साथ लेकर तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे है। दोनों नेताओं ने दौसाए करौली, सवाईमाधोपुर, बांराए,बूँदी और भरतपुर पर अपना ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। इन जिलों की तीन दर्जन सीटों के लिए अभी से संभावित उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए गए हैं। इन जिलों के अतिरिक्त कुछ अन्य विधानसभा सीटें भी चिन्हित की गई हैं। दोनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव के लिहाज से अभी से दौरे शुरू कर दिए है। मीणा जनता दल यू. के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव से भी मुलाकात कर तीसरे मोर्चे को सहयोग का आग्रह कर चुके है। मीणा का कहना है कि राज्य की जनता कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारें देख चुकी हैं। दोनों ही सरकारों ने जनता को धोखा दिया हैए अब अगले चुनाव में प्रदेश में तीसरे मोर्चे की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि तीसरा मोर्चा मजबूत होगा और दोनों बड़े दलों से अधिक सीटें जीतकर सत्ता में आएगा। ग़ौरतलब है कि डॉ, मीणा वर्षो तक भाजपा में रहे लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मतभेद के कारण करीब चार साल पहले भाजपा छोड़ दी और पिछले विधानसभा चुनाव में 15 विधानसभा सीटों पर अपने समर्थकों को निर्दलीय चुनाव लड़वाया इनमें से दस चुनाव जीते। यह निर्दलीय विधायक मौजूदा अशोक गहलोत सरकार को समर्थन देने के बदले मंत्री बने हुए हैं। वहीं भरतपुर के पूर्व सांसद महाराजा विश्वेंद्र सिंह पहले कांग्रेस में थे लेकिन पार्टी नेताओं से मतभेद के कारण अलग हो गए

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