गजल

हम ना फैलायेंगे हाथ मर जायेंगे…..

इक़बाल हिंदुस्तानी

हल्फ़ लेकर भी क़ातिल मुकर जायेंगे,

बेक़सूरों के सर फिर उतर जायेंगे।

 

फिर ना चल पायेंगी उनकी मनमानियां,

जब भी सड़कों पे हम लोग उतर जायेंगे।

 

रहबरों की बजाये तू किरदार दे,

देश के सारे मुजरिम सुधर जायेंगे।

 

आपके इक इशारे की फ़रियाद है,

जाने कितनों के जीवन संवर जायेंगे।

 

मेरी खुद्दारियों से वो वाक़िफ़ नहीं,

हम ना फैलायेंगे हाथ मर जायेंगे।

 

ज़ात फ़िरकों की एका तो एका नहीं,

मतलबी लोग हैं कल फिर बिखर जायेंगे।

 

तुम उसूलों का दामन जो थामे रहे,

सारे तूफ़ान आकर गुज़र जायेंगे।

 

कशमकश में हैं तुम से मिले ना मिलें,

तुमने ठुकरा दिया तो किधर जायेंगे।।

 

नोट-हल्फ़ः शपथ, किरदारः चरित्र, खुद्दारीः स्वाभिमान, वाक़िफःपरिचित फ़िर्कोंः सम्प्रदाय, उसूलः सिध्दांत