कविता

आदमी आज क्या क्या भूल गया।

आदमी आज क्या क्या भूल गया।
नई आने पर वह पुरानी भूल गया।।

जब से टूथ पेस्ट बाजार में आया है।
वह नीम की दातुन करना भूल गया है।।

जब से घर में पानी नल लगवाया है।
नदियों में स्नान करना वह भूल गया है।।

जब से पिसा पिसाया आटा घर आया है।
वह चक्की पर गेहूं पिसाना भूल गया है।।

जब से रंगीन टी वी घर में आया है।
वह अच्छी किताबे पढ़ना भूल गया है।।

जब से ए सी कूलर घर में आया है।
वह वृक्षों की शीतल छाया भूल गया है।

जब से फ्रिज हर घर में आया है।
वह ताजा खाना,खाना भूल गया है।।

जब से घर के दरवाज़े पर कार आई है।
वह पैदल चलना फिरना ही भूल गया है।।

जब से घर में नया कंप्यूटर आया है।
वह घर वालो से बाते करना भूल गया है।।

जब से लोगो के हाथ में मोबाइल आया है।
चिट्ठी पत्री लिखने भी वह भूल गया है।।

जब से वह अपने गांव से शहर आया है।
अपने गांव की मिट्टी की गंध को भूल गया है।

जब से परफ्यूम बदन में लगाने लगा है।
वह फूलो की सुगंध को ही भूल गया है।।

जब से फास्ट फूड और जंक फ़ूड आए है।
महिलाएं भी पारंपरिक व्यजन भूल गई है।

क्या कया याद कराऊं मैं तुमको भैया।
मैं तो इस जमाने के आगे सब भूल गया।।

आर के रस्तोगी