क्‍या दिग्विजय सिंह लश्‍कर-ए-तोयबा आदि संगठनों के एजेंट हैं

डॉ. कुलदीप चन्‍द अग्निहोत्री

शुरु-शुरु में ऐसा माना जाने लगा था कि कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह के आतंकवाद को लेकर दिए गए बयानों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए। कुछ लोगों ने ऐसा वातावरण भी बनाया कि सोनिया कांग्रेस के भीतर भी लोग दिग्गी राजा के बयानों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कुछ लोगों ने यह कह कर छुटकारा पाने की कोशिश की कि दिग्विजय सिंह तो राजनीति के जोकर हैं जिनकी बातों को ज्यादा वजन देना उनकी महत्ता को बढ़ना होगा। कुछ लोग ऐसा भी कहने लगे कि दिग्विजय आतंकवाद को लेकर जो कहते हैं उसकी जड़ें मध्य प्रदेश में कांग्रेस की भीतरी लड़ाई में खोजनी चाहिए। परंतु अभी हाल ही में हुए मुंबई में आतंकवादी हमले तुरंत बाद जब दिग्विजय ने यह कहा कि इन हमलों में आरएसएस या फिर हिंदू संगठनों का हाथ भी हो सकता है और इस दिशा में भी जांच की जानी चाहिए तब निष्पक्ष राजनीतिक विश्लेषक ही सक्ते में नही आए बल्कि संघ के विरूध्द ही राजनीतिज्ञ भी दिग्विजय सिंह के आतंकवाद को लेकर दिए जाने वाले बयानों में तारतम्य खोजने लगे।

दिग्विजय सिंह के आतंकवाद संबंधी बयानों को लेकर कुछ मुद्दे तुरंत ध्यान खींचते हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैंः * उनके बयान पाकिस्तान को भारत में करवाई जा रही आतंकवादी गतिविधियों से बच निकलने का एक आसान गलियारा प्रदान करते हैं। यह अब कोई छिपा हुआ रहस्य नही है कि भारत में जो आतंकवादी गतिविधियां हो रही है वह पाकिस्तान के राज्य की नीति का एक सुविचारित हिस्सा है। इन गतिविधियों को आईएसआई पुरी योजना के तहत अंजाम देती है। पाकिस्तान के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उस पर गाहे-बगाहे यह अंतर्राष्ट्रीय दबाव पड़ता रहता है कि वह भारत में अपने आतंकवादी गतिविधियां समाप्त करे। चाहे पाकिस्तान पूरे जोर से आतंकवाद में संलिप्त होने के आरोप का खंडन करता है परंतु उसके इस खंडन को दुनिया में कोई भी गंभीरता से सुनने वाला नहीं है। आखिर ओसामा विन लादेन को पाकिस्तान की आईएसआई ने ही कई सालों से छिपा कर रखा था। मुंबई बम विस्फोटों का सरगना दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान सरकार की छत्रछाया में ही कराची में रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। अतः पाकिस्तान की सबसे बड़ी जरूरत यह थी कि हिन्दुस्थान में से ही कुछ प्रमुख लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से इस बात का खंडन करें कि हिन्दुस्थान के शहरों में हो रहे बम विस्फोटों में पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवादियों का हाथ है। ऐसा नहीं कि पाकिस्तान की इस जरूरत को पूरा करने के लिए हिन्दुस्थान में उसके एजेंट उपलब्ध नही है। गाहे-बगाहे वे पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता को लेकर खंडन जारी करते रहते हैं। परंतु यह खंडन करने वाले ज्यादातर एजेंट मुसलमान होने के कारण उनके खंडन की अहमियत भी समाप्त हो जाती है और विश्वसनीयता भी। पाकिस्तान के इशारे पर भारत में काम कर रहे आतंकवादी संगठनों यथा लश्कर-ए-तोयबा, इंडियन मुजाहिद्दीन, सिमी, फिदायीन इत्यादि संगठनों को किसी जानेमाने ऐसे हिंदू नेता की तलाश थी जो प्रत्यक्ष रूप से न सही परंतु अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान और इन आतंकवादी संगठनों को दोषमुक्ति का प्रमाण-पत्र दें। इसे षड़यंत्र कहा जाए या फिर संयोग कि इन संगठनों की यह जरूरत सोनिया कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने जाने आनजाने पूरी कर दी है। दिग्विजय सिंह ने हिन्दुस्थान में आतंकवाद को लेकर जो नया थिसेस दिया है उसके अनुसार देशभर में जो बम धमाके हो रहे हैं उसमें जांच एजेंसियों को प्राथमिकता के आधार पर हिंदुओं का हाथ तलाशना चाहिए। * दिग्विजय सिंह के इस थिसेस का क्या परिणाम होता है, यह जानना बहुत जरूरी है। यह ध्यान रखना चाहिए कि वे कोई साधारण व्यक्ति नही है बल्कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में चल रहे एक ऐसे राजनैतिक दल के महासचिव हैं जिसने जोड़-तोड़ करके इस देश की सत्ता पर कब्जा किया हुआ है। जाहिर है कि उनके बयान से जांच एजेंसियां दिशा ग्रहण करती है और उसमें छिपे हुए अर्थों को पकड़ती है। राजनैतिक संकेत मिलने के बाद जांच एजेंसियां इस दबाव में आ जाती है कि वे इन विस्फोटों में किसी भी प्रकार से हिंदुओं की तथा कथित शमुलियत को दर्शाएं। जाहिर है कि इसके लिए जांच एजेंसियां जैसे-कैसे रपटें तैयार करके कचहरियों में हिंदुओं के खिलाफ मुकद्दमें दायर करती हैं। आतंकवादी संगठनों और पाकिस्तान की प्रचार मशीनरी को दुनिया भर में अपने आप को निर्दोषित करने के लिए बहुत बढ़िया प्रचार मसाला मिल जाता है। इस मशाले की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि यह दिग्विजय सिंह जैसे हिंदुओं की फैक्टरी से निकला होता है। * दरअसल, आतंकवादी विस्फोटों को लेकर जो बयान लश्कर-ए-तोयबा और सिमी जैसे संगठन जारी करते हैं लगभग उसी से मिलते-जुलते बयाना दिग्विजय सिंह जैसे लोग जारी करते हैं।

इससे यह शक उभरता है कि दिग्विजय सिंह कहीं आतंकवादी संगठनों को बचाव के राजनैतिक रास्ते तो उपलब्ध नही करा रहे। अफलज गुरू की फांसी का विरोध करने वालों के तार भी कहीं न कहीं इसी षड़्यंत्र से तो नहीं जुड़े हुए? पिछले दिनों प्रज्ञा सिंह ठाकु र ने दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश के देवास में सुनिल जोशी की जो हत्या हुई थी उसमें भी दिग्विजय सिंह का हाथ था। इससे पहले दिग्विजय सिंह यह आरोप लगाते रहे हैं कि सुनिल जोशी की हत्या में प्रज्ञा सिंह ठाकुर का हाथ है। यह आश्चर्य की बात है कि केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों ने दिग्विजय सिंह के आरोप पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ तो जांच शुरू कर दी लेकिन प्रज्ञा सिंह ने जो दिग्विजय पर आरोप लगाया उसका नोटिस लेना जरूरी नही समझा। मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह पर और भी अनेक आरोप लगते रहे हैं लेकिन आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तोयबा, सिमी जैसे संगठनों को लेकर दिग्विजय सिंह पर जो ताजा आरोप लगने शुरू हुए हैं उसे किसी भी प्रकार से अनदेखा नहीं किया जा सकता। अतः जरूरी है कि एनआईए या फिर एटीएस दिग्विजय सिंह की गतिविधियों और उनके बयानों की गहराई से छानबीन करे क्योंकि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला है जिसकी किसी भी हालत में अनदेखी नहीं की जा सकती।

2 COMMENTS

  1. सही कहा आपने, दिग्विजय सिंह सच में आतंकवादियों का एजेंट ही है|
    साथ ही गीतांजलि तिवारी जी की टिप्पणी भी इस संदेह को और पुख्ता कर रही है|

  2. पुरानी कहावत है की सैयां भये कोतवाल अब डर काहे का?दिग्विजय की चाटुकारिता तो प्रसिद्ध थी ही.अब अगर वह अपने आकाओं के सह पर इधर उधर भी हाँथ पाँव मारने लगे हैं तो शक ही क्या? ऐसे हो सकता है की प्रचार का भूख भी उन्हें इस दिशा में अग्रसर करने में सहायक हो.क्योंकि कहा जाता है की बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ.एक अन्या कारण भी हो सकता है उनके संघ या बीजेपी पर झूठ का सहारा लेकर आक्रमण करते रहने का .शायद वह बीजेपी के हाथों अपनी हार को भुला नहीं पारहे हैं..

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