राजनीति

कैसी आजादी, कौन सी आजादी चाहते हैं आप

-दानसिंह देवांगन

आजादी की मांग को लेकर एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में आग लगी हुई है। कुछ भाड़े के कट्टरपंथी पाकिस्तान के इशारे पर सड़क पर उतरकर भारत की संप्रभुता को तार-तार करने में तुल गए हैं। उनमें से कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें हम और आप बड़ी इज्‍जत भरी निगाहों से देखते और सुनते रहे हैं। अब ये लोग भी जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं मानते और आजादी की मांग करने लगे हैं।

नई दिल्ली में पिछले दिनों कमेटी फार रिलीज आफ पालिटिकल प्रिजनर नामक संगठन के बैनर तले अरूंधती राय, गिलानी, प्रो अब्दुर्रहमान, नजीब बुखारी, शेख शौकत हुसैन जैसे लोगों ने जो विचार रखे। उस पर मैंने काफी विचार-मंथन किया। आखिर इतने बड़े लोग आजादी की बात कर रहे हैं तो कुछ तो बात होगी। हो सकता है वे सही हो, ये भी हो सकता है कि वे कश्मीरवासियों को मौत के मुंह में धकेल रहे हों। मंथन में कुछ सवाल बाहर निकले, जिनका जवाब मैं इन महानुभावों से पूछना चाहता हूं। पहला ये कि आखिर वे कैसी आजादी चाहते हैं? क्या वे भारत से आजाद होकर पाकिस्तान में मिलना चाहते हैं। यदि ऐसा है तो क्या उन्हें पाकिस्तान में उतनी आजादी मिलेगी, जो अब उन्हें मिल रही है। क्या वे पाकिस्तान में मिलकर अमन और खुशहाली का जीवन जी पाएंगे। यदि ऐसा है तो पाक अधिकृत कश्मीर में 50 साल बाद भी शांति और खुशहाली क्यों नहीं लौट पाई। क्या इसका जवाब हैं आपके पास।

मेरा दूसरा सवाल है, क्या आप भारत से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर जम्मू कश्मीर की आजादी चाहते हैं। यदि ऐसा है तो मुझे बताइए कि एक तरफ पाकिस्तान है जो विगत 60 सालों से जम्मू-कश्मीर पर कब्जा जमाने का सपना पाल रहा है, क्या आपको चैन से बैठने देगा? क्या गारंटी है कि स्वतंत्र राष्ट्र होने के बाद पाकिस्तान आपके खिलाफ साजिश नहीं करेगा? अभी तो भारत जैसा शक्तिशाली राष्ट्र है, जिसकी वजह से पाकिस्तान की हिम्मत नहीं होती, सीधी टक्कर लेने की। आजादी मिलने के बाद आपको कब मसल कर रख देगा, आपको पता भी नहीं चलेगा। दूसरी ओर चीन भी भारत से टक्कर लेने के लिए आप पर हुकूमत नहीं करना चाहेगा, इसकी क्या गारंटी है? क्या चीन धरती के स्वर्ग पर कब्जा करना नहीं चाहेगा? क्या आजाद कश्मीर के पास इतना सामर्थ्य होगा, जो अकेले अपने दम पर पाकिस्तान या चीन से मुकाबला कर सके।

जिस पाकिस्तान के दम पर गिलानी और अरूंधती राय जैसे लोग जम्मू-कश्मीर की आजादी की मांग कह रहे हैं, पहले उन्हें एक माह तक एक आदमी की तरह पाकिस्तान में रहकर देखना चाहिए। उन्हें समझ में आ जाएगा कि जम्मू-कश्मीर की भलाई भारत के साथ रहने में है या स्वतंत्र रहने में। एक तरफ तेजी से विश्व की ताकत बनता भारत है, जहां कुल आबादी के 70 फीसदी लोगों को दो व तीन रूपए किलो चावल देने की तैयारी हो रही है। उधर, पाकिस्तान सदी के सबसे विकराल बाढ़ से पीड़ित लोगों को दो वक्त की रोटी मुहैया नहीं करा पा रहा है। एक तरफ भारत के दर्जनभर उद्योगपति विश्व की कई बड़ी कंपनियों को खरीदने की तैयारी कर रहे हैं, उधर उद्योग तो दूर वहां के कालेज और अस्पताल भी बिकने के कगार पर हैं। भारत का आईटी प्रोफेशनल्स से अब अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी खौफ खाने लगे हैं। यही वजह है कि आउटसोर्सिंग पर अमेरिका में राजनीति गरम है। उधर, पाकिस्तान आज भी 18 वीं सदी में जी रहा है। यही नहीं, भारत में आज इतना अनाज पैदा होता है कि लाखों टन अनाज गोदाम के अभाव में यूं ही खुले आसमान के नीचे रखे होते हैं। उधर, पाकिस्तान में जब तक अमेरिका भीख में डालर नहीं देता, गोदाम में अनाज तो क्या लोगों के घर चूल्हा नहीं जलता।

ये तो कुछ उदाहरण हैं, जो ये समझने के लिए काफी है कि जम्मू-कश्मीर का सुनहरा भविष्य कहां है। अब वहां की जनता को तय करना है कि उन्हें भारत के साथ रहकर शांति और विकास की राह पर चलना है या पाकिस्तान के साथ आतंकवाद और बर्बादी की राह पर। वैसे भी आज जो कश्मीर की हालत है, उसके लिए भी यही कट्टरपंथी जिम्मेदार हैं। यदि ये लोग जितनी ताकत जम्मू-कश्मीर को आजाद कराने में लगाते हैं,उससे 50 फीसदी ताकत भी यदि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास में लगाते तो शायद जम्मू-कश्मीर की वादियों में आग नहीं, बल्कि आज सोने का धन बरस रहा होता। अंत में मैं जम्मू-कश्मीर की जनता से करबध्द प्रार्थना करना चाहता हूं कि आप भी हमारे अपने भाई-बहन हैं, किसी के बहकावे में न आएं और अरूंधती राय व गिलानी जैसे

लोगों को मुंहतोड़ जवाब दें ताकि फिर कोई देशद्रोही इस तरह खुलेआम भारत की संप्रभुता पर हमला करने की सोच भी न सके।