राकेश शर्मा के मुंह से निकला, ‘‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।’’

rakesh sharmaप्रतिमा शुक्ला

अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम भारतीय होने का गौरव हासिल करने वाले राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला शहर में हुआ था जबकि उनकी शिक्षा हैदराबाद में हुई। वह 1970 में भारतीय वायुसेना में भर्ती हुए। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा रूस के सोवियत इंटरकोस्मोस स्पेस प्रोग्राम के संयुक्त उपक्रम के तहत उन्हें भारत की ओर से पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया। वह विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री बने। 2 अप्रैल, 1984 के ऐतिहासिक दिन बैकानूर प्रक्षेपण स्थल से सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान में तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी जिसमें मेरे अलावा रूस के वाई. वी. मालिशेव और जी.एम. स्त्रेकालॉव सवार थे। इसने हमें सोवियत रूस के ऑर्बिटल स्टेशन सेल्यूत-7 पहुंचा दिया।’’ भारत और सोवियत संघ की मित्रता के गवाह इस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के दौरान राकेश शर्मा ने भारत और हिमालय क्षेत्र की फोटोग्राफी भी की।  उन्होंने वहां कई प्रयोग भी किए जिनमें मुख्यत बायो मैडीसिन तथा रिमोट सैंसिंग शामिल थे। भारत की तरफ से उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में योगा के महत्व का परीक्षण भी किया था। अंतरिक्ष उड़ान से तीन महीने पहले राकेश शर्मा ने सोवियत तरीके से ट्रेनिंग बंद करके योगाभ्यास शुरू कर दिया था। उड़ान भरने, अंतरिक्ष प्रवास तथा वापसी के दौरान उनके तथा दो अन्य सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों के मैडीकल डाटा का तुलनात्मक अध्ययन किया गया जिसके निष्कर्षों में कोई अंतर नहीं मिला था। राकेश शर्मा को रूस ने ‘हीरो ऑफ सोवियत यूनियन’ तथा भारत ने ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया। वायुसेना में विंग कमांडर के पद से रिटायर होने के बाद 1987 में वह एच.ए.एल. नासिक डिवीजन में चीफ टैस्ट पायलट बन गए। वहां से रिटायर होने के बाद इन दिनों वह तमिलनाडु के कुन्नूर में अपनी पत्नी मधु शर्मा के साथ रहते हैं। किस्मत ने लिया यू-टर्न 1966 में एनडीए पास कर इंडियन एयर फोर्स कैडेट बने राकेश शर्मा ने 1970 में भारतीय वायु सेना को ज्वाइन कर लिया। फिर यहीं से इनकी किस्मत ने यू-टर्न लिया और राकेश ने कुछ ऎसा कर दिखाया कि आज उनके नाम से हर भारतीय का सीना फक्र से चैड़ा हो जाता है। मात्र 21 साल की उम्र में ही भारतीय वायु सेना में शामिल होने का बाद राकेश का जोश दूगना हो गया और वो इसे बरकरार रखते हुए तेजी से आगे बढ़ते गए। आठ दिन के लिए अंतरिक्ष में रहे 1984 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और सोवियत संघ के इंटरकॉसमॉस कार्यक्रम के एक संयुक्त अंतरिक्ष अभियान के अंतर्गत राकेश शर्मा आठ दिन तक अंतरिक्ष में रहे। ये उस समय भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर और विमानचालक थे। भारतवासियों के लिए वह गर्व का क्षण था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पूछने पर कि, ‘‘अंतरिक्ष से भारत कैसा लगता है?’’ पर राकेश शर्मा के मुंह से निकला, ‘‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।’’ उनके अनुसार प्रधानमंत्री से बात करने का वह मौका उनके लिए गौरव के पल थे। राकेश जब बड़े हुए तो आसमान में उड़ते हवाई जहाज को तब तक देखा करते थे जब तक वह उनकी आंखो से ओझल ना हो जाए। जल्द ही राकेश के मन में आसमान में उड़ने की तमन्ना जाग गई। फिर क्या, वह बस उसी ओर लग गए और एक दिन वो कर दिखाया जिससे हर भारतीय को उन पर गर्व है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress