जब रक्षक बन जाये भक्षक,फिर बेटी कौन बचाये

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निर्मल रानी
हमारे देश में जहां कन्याओं व महिलाओं के कल्याण व उनके संरक्षण,सुरक्षा व आत्मनिर्भरता के लिये सरकार द्वारा तरह तरह की योजनाओं के दावे किये जाते हैं। जहां हमारा समाज कन्याओं की देवी स्वरूप पूजा करता और नवरात्रों में कंजक बिठाता है। जहां धार्मिक प्रवचनों व सत्संगों में पुरुषों से अधिक महिलायें बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हों और तालियां बजा बजाकर व नृत्य कर अपनी धार्मिक श्रद्धा व भक्ति का प्रदर्शन करते न थकती हों, जहाँ लड़कियों की पूजा कर उनके पैर भी धोये जाते हों,उन्हीं कन्याओं व महिलाओं के साथ आख़िर कौन सा ज़ुल्म नहीं होता ? बलात्कार,सामूहिक बलात्कार,बलात्कार के बाद हत्या,लड़कियों के चेहरे पर तेज़ाब डालकर उनके चेहरे को बदसूरत बनाने जैसा जघन्य अपराध,शादी करने का झांसा देकर अपनी वासना की हवस पूरी कर किसी लड़की को धोखा देना, दहेज की मांग,और मांग न पूरी होने पर हत्या कर देना या पत्नी को छोड़ देना अथवा मनमुटाव रखना या इसी बहाने मार पीट करते रहना आदि जैसे अनेक ज़ुल्म इसी ‘देवी रुपी’ कन्याओं के साथ आये दिन होते रहते हैं। एक आंकलन के अनुसार भारत में 88 मिनट के अंतराल में बलात्कार की एक घटना होती है।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या समाज व परिवार का कोई वर्ग या रिश्ता ऐसा भी है जहां कन्या को व उसकी इज़्ज़त आबरू को पूरी तरह सुरक्षित समझा जाये ? क्या पिता के पास उसकी अपनी पुत्री सुरक्षित है? क्या भाई के पास उसकी बहन सुरक्षित है ? क्या गुरु के पास उसकी शिष्या, किसी संत,पुजारी या मौलवी के पास श्रद्धा भाव लेकर सत्कारवश जाने वाली किसी बच्ची की इज़्ज़त सुरक्षित है ? किसी अधिकारी के मातहत काम करने वाली महिला, किसी नेता के पास अपनी फ़रियाद लेकर पहुंची कोई लड़की अपना दुखड़ा लेकर इंसाफ़ मांगने के लिये थाने पहुंची कोई लड़की,आख़िर कौन सी ऐसी जगह है जहाँ हम और आप दावे से यह कह सकें कि अमुक वर्ग या अमुक रिश्ते के अंतर्गत बेटियां और उनकी इस्मत व आबरू पूरी तरह सुरक्षित है।लड़कियों के प्रति असुरक्षा की इस तरह की भावना कोई कोरी कल्पना पर नहीं बल्कि भारत के किसी न किसी कोने से प्राप्त होने वाली अविश्वसनीय किन्तु सत्य व दिल दहलाने वाली ख़बरों पर आधारित हैं।
उदारहरण के तौर पर पिछले दिनों इंदौर शहर के खजलाना थाना क्षेत्र से एक ऐसी ख़बर आई जिसे सुनकर किसी भी मानव ह्रदय रखने वाले व्यक्ति की रूह काँप उठे। ख़बरों के अनुसार एक दुराचारी व्यक्ति जोकि किसी खाड़ी देश में एक पेट्रोकेमिकल कंपनी में कार्यरत है वह अपनी ग्यारह वर्षीय सगी बेटी के साथ दुष्कर्म करने का आदी हो गया था। उसने अपनी बेटी की आयु 15 वर्ष होने तक यह कुकर्म जारी रखा। हद तो यह कि उसने इन चार वर्षों में कई बार अपनी बेटी से अप्राकृतिक दुष्कर्म भी किया। वह केवल अपनी बेटी से दुष्कर्म करने की ख़ातिर ही वर्ष में दो बार अरब देश से इंदौर आता और जब मौक़ा मिलता वह उसके साथ कुकर्म करता। वह बेटी को यह बात किसी से भी न बताने को कहता और बताने पर उसे जान से मारने की धमकी देता। पिछले दिनों एक दिन जब उसके शरीर में पीड़ा हुई तो उसने अपनी मां से इन बातों का ज़िक्र किया। पहले तो उसकी मां को यक़ीन ही नहीं हुआ। परन्तु लड़की के बहुत यक़ीन दिलाने पर वह मान गयी। और बेटी के साथ उसने पुलिस में जाकर एफ़ आई आर कर दी। जब वासना का भेड़िया उसका हब्शी बाप पिछले दिनों पुनः अपनी बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाने भारत आया तो इंदौर पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया। इसी तरह भाई,चाचा,मामा,ससुर,जेठ,देवर,जीजा जैसे पवित्र रिश्तों को कलंकित करने वाले अनेक समाचार प्राप्त होते रहते हैं। इसी तरह एक सामूहिक बलात्कार पीड़िता जब आप बीती लेकर थाने पहुंची तो मौक़ा पाकर थानेदार ने भी उसके साथ बलात्कार कर दिया। इससे बड़ा राक्षसीय व अमानवीय कृत्य और क्या होगा ?
गुरु शिष्या या अध्यापक व छात्रा का रिश्ता भी किसी पिता या अभिभावक के कम नहीं। परन्तु यह रिश्ता भी हमारे देश में तार तार हो चुका है। इसके उदाहरण गिनने की तो ज़रुरत ही नहीं क्योंकि कई ‘कुप्रसिद्व गुरु घंटाल ‘ आज भी अपने ऐसे ही दुषकर्मों की सज़ाएं जेल की सलाख़ों के पीछे रहकर काट रहे हैं। मंदिर-मस्जिद-मदरसा आदि कितने पवित्र स्थलों में गिने जाते हैं। परन्तु आये दिन यह ख़बर आती है कि कभी किसी महंत ने किसी बाबा या पुजारी ने अथवा किसी मौलवी या हाफ़िज़ ने किसी बच्ची या महिला के साथ अपना मुंह काला किया। उदाहरण स्वरूप पिछले दिनों एक ताज़ातरीन हृदय विदारक घटना राजस्थान के अलवर ज़िले के मालाखेड़ा क्षेत्र में घटी।यहां एक 60 वर्षीय पुजारी एक पांच वर्ष की मासूम बच्ची को बहला फुसला कर मंदिर में ले गया और वहीं उसके साथ ज़ोर ज़बरदस्ती कर दुष्कर्म करने लगा। जब लड़की असहनीय पीड़ा से ज़ोर ज़ोर चीख़ी चिल्लाई तब उसकी आवाज़ सुनकर पड़ोस से लोग इकठ्ठा हुये और पुजारी को रंगे हाथों पकड़ा। उसकी आम लोगों ने ख़ूब पिटाई की। बताया जाता है कि अलवर की पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम स्वयं घटना स्थल पर पहुंचीं और पुजारी पर एफ़ आई आर से लेकर मेडिकल जांच आदि तक की कार्रवाई स्वयं अपनी देखरेख में कराई। इसी प्रकार कुछ समय पूर्व एक समाचार उत्तर प्रदेश से आया था जिसके अनुसार कोई मौलवी तलाक़ के बाद हलाला व्यवस्था के नाम पर तलाक़ शुदा महिलाओं से ऐय्याशी का धंधा चलाता था। हमारे ही देश में सत्ता के लोग विधान सभा में बैठकर ब्लू फ़िल्म देखते पकड़े गये। उत्तर प्रदेश का ही एक बाहुबली विधायक तो बलात्कार व क़त्ल के इलज़ाम में अभी भी जेल में है।
गोया हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि चाहे जिस पद,गद्दी अथवा धार्मिक या संवैधानिक मरतबे पर बैठा व्यक्ति क्यों न हो,रिश्ता भी चाहे जितना पवित्र क्यों न हो,परन्तु कभी भी उसके भीतर बैठा वासना का राक्षस उसे किसी भी पद अथवा रिश्ते को तार तार करने के लिये मजबूर कर सकता है। ऐसे में समाज के सामने आज का सुलगता सवाल यही है कि आख़िर जब रक्षक ही बन जाये भक्षक,फिर बेटी कौन बचाये ?

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