आलोचना राजनीति साहित्‍य

कौन सी पुरस्कार वापसी?

कौनसी पुरस्कार वापसी?
कौनसी साहित्यिक प्रतिभा?
कौन से देश और समाज के हमदर्द?
कौनसी मानवता के हितेशी?
कौनसी प्रजाति के कलमकार?
कौनसी सरकारो के “भांड “?

लगता है देश मे पहली बार कोई घटना हुई है ?

देश मे १९५४ की ग़लतिया जिसके कारण देश को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वार्थ सिद्धि योग के चलते यूएन की सदस्यता की तबाही कर के चीन को सदस्यता दिलवा दी थी…
आज भी हालात वही है , वैश्विक स्तर पर कांग्रेस जिस तरह से भारत की छवि को धूमिल करने का भरसक प्रयास कर रही है, क्यूकी यदि यूएन की सदस्यता यदि मोदी के प्रधानमंत्री रहते मिल गई तो अस्तित्व की लड़ाई के लिए एक ख़तरा और पैदा हो जाएगा…
क्युकी अब नेहरू-गाँधी परिवार का कोई एसा शख्स नही है जो देश की १२१ करोड़ जनता का दिल जीत ले और नेतृत्व कर सके…. एकमात्र उम्मीद का दिया प्रियंका गाँधी है वह भी इस राजनीतिक स्वरूप की चपेट से बचना चाह रही है |
नेतृत्वविहीन कांग्रेस के पास केवल शाम दाम दंड भेद येन केन प्रकारेंण देश की छवि बिगड़ कर एसे हालात बनाना है जिसके दुष्प्रभाव के चलते यूएन की सदस्यता मिल्न की घटना टल जाए…..

अब बात इन तथाकथित (पुरस्कार वापसी करने वाले) साहित्यकारो की भी कर ले….

क्या कोई दिल दहलादेने वाली घटना पहली बार देश मे हुई है ?
इनका महान आत्माओ का दिल तब क्यू नही दहला जब भूदान आंदोलन चला ?
या तब जा देश की सियासत ने कलमकरो की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप लगा दी थी ? या तब जब एक दामिनी ने दुष्कर्म का शिकार हो कर अपनी जान दे दी थी ? या किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे ?
या तब जब देश आक्रांति हो रहा था लगातार देश मे दंगे के हालात थे ? या ये उस वक़्त क्यू नही जागे जब सहारनपुर जल रहा था?
तब कहा थी मानवता की ये मिसाले?

इसका कारण सॉफ है की तब “मोदी” देश का नेतृत्व नही कर रहा था ? या तब भारत को यूएन की सदस्यता मिलने का कोई मौका नही मिल रहा था ?

यक़ीनन अगर ये साहित्य के सृजनकर्ता है तो देश की १२१ croreजनता को आंदोलित करिए, अनायास भय से आक्रांतित भारत की जनता मे जोश के स्वर फुकिये ??
पर इन्हे पूछेगा कौन ?>
क्यूकी स्वार्थगत और राजनीतिक मानसिकता के धनी “भांड” केवल “चरणचूम व्यवस्था और चरणदास लोग” बन कर जीना ही चाहते है….
ये देश के हमदर्द नही बल्कि अपने हितो के साधक और देश को गर्त मे ले जाने वाली व्यवस्थाओ के सिपाही है |
जनता को समझना चाहये…. आख़िर ये कौन लोग है और किसके पिट्ठु…..?

जय हिंद ….

अर्पण जैन “अविचल”kaleekh