कविता

किसान आंदोलन के पीछे कौन ?

सुना है तेरे शहर की आबोहवा शैतान बन गई,
शाहीन बाग़ की लोमड़ियां अब किसान बन गई।

मिली नहीं कोई जगह जब किसी शहर में उनको,
दिल्ली शहर में आकर जबरदस्ती मेहमान बन गई।

घुसने नहीं दिया जब किसी मंदिर मस्जिद मे उनको,
किसानों के बीच बैठ कर उनकी भगवान बन गई।

लगाती थी कभी वे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे,
आज ट्रैक्टर मे वे बैठकर हिंदुस्तान बन गई।

मिलते है जहां तवा परात,बिताती हैं वे सारी रात,
इनका न कोई दीन ईमान,पूरी बेईमान बन गई।

अन्नदाता आंदोलन में खालिस्तानी कहां से आ गए
लगता हैं आंदोलन की फिजाए खालिस्तान हो गई।

लगता है वोट के खातिर,सारे विपक्षी एक हो गए,
रस्तोगी कहता है अब तो सारी पार्टी बेईमान बन गई।

आर के रस्तोगी